Monday, 23 March 2015

महाशिवरात्रि पूजा विशेष तथा शिवरात्रि की महत्ता

By flipkart   Posted at  05:42   No comments
            महाशिवरात्रि पूजा विशेष तथा शिवरात्रि की महत्ता 



महाशिवरात्रि हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है | यह पर्व भगवान शिवशंकर का पूजन कर मनाया जाता है | भगवान शिव को सभी देवों का देव कहा गया है इसलिए इनको महादेव भी कहा जाता है |

महाशिवरात्रि का त्यौहार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि को भगवान् शंकर का ब्रह्मा से रुद्र के रूप में अवतरण हुआ था | तथा प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्मांड को तीसरे नेत्र की ज्वाला से भस्म कर देते हैं |

इसीलिए इस दिन को महाशिवरात्रि अथवा कालरात्रि कहा गया। भगवान भोलेनाथ सदैव माता पार्वती तथा शिव प्रेतों व पिशाचों के साथ रहते है |

शिव का रूप सभी देवो से अलग है | शरीर पर भस्म,  गले में सर्पों का हार,  कंठ में विष,  जटाओं में पतित पावनी गंगा मैया तथा मस्तक पर चंद्र कि छटा विराजित रहती है |

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर शिवभक्त शिव मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बिल्वपत्र तथा आक के फूल जो आदिनाथ को अत्यंत प्रिय है उनको अर्पित करते हैं, तथा शिव का पूजन करते है और उपवास करते हुए रात्रि को जागरण करते हैं | इस दिन शिवलिंग पर बिल्वपत्र तथा आक के फूल चढाना और पूजन करना हिंदू पौराणिक संस्कृति कि परम्परा का जीता-जगाता उदाहरण है | तथा भक्तो की आस्था का प्रतीक है |

महाशिवरात्रि पर्व विशेष:-

इस पर्व को उत्साह और श्रृद्धा से मनाने का करना यह भी है कि इस दिन महादेव शिव की शादी हुई थी इसलिए इस दिन रात्रि में शिवजी की बारात निकाली जाती है। वास्तव में शिवरात्रि का परम पर्व स्वयं परमपिता परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की याद को मानस पटल पर जीवन्त करता है | परमपिता परमात्मा ही ज्ञान के सागर है जो जीव-मात्र को सत्यज्ञान (सत्) द्वारा अन्धकार (तम) से प्रकाश की ओर अथवा असत्य से सत्य की ओर ले जाते हैं | इस दिन सभी जाति, धर्मों तथा वर्णों के मनुष्यों को इन मापदंडो से ऊपर उठाकर भगवान भोलेनाथ का व्रत करते हुए पूर्ण श्रृद्धा से पूजन करना चाहिए |



पूजन विधान:-महाशिवरात्रि के दिन मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर, ऊपर से बिल्वपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है तथा उनका पूजन किया जाता है | अगर नजदीक में शिवालय या शिवमंदिर न हो तो घर पर ही शुद्ध गीली मिट्टी से ही शिवलिंग बनाकर उसका विधि पूर्वक पूजन करना उत्तम माना गया है | इस दिन सुबह प्रात:काल में ही नित्य-कर्मों से निवृत होकर भगवान शिव कि आराधना “ऊं नमः शिवाय” मंत्र से सुरु करते हुए पूरे दिन इसी मंत्र का बारम्बार जाप करते रहना चाहिए | इस मंत्र में वह शक्ति है जो किसी अन्य मंत्र में नहीं है अत: श्रृद्धालुओं को चाहिए कि वह शिव पूजन करते समय अधिकाधिक इस मंत्र का जाप करें तथा भगवान भोलेनाथ कि कृपानुभूति प्राप्त करें | तथा इस दिन शिवमहापुराण और रुद्राष्टकम आदि का पाठ अति उत्तम माना जाता है |

महाशिवरात्रि भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन है। इस दिन महाशिव का पूजन तथा स्तुति करने से सब पापों का नाश हो जाता है। तथा मनुष्य के जीवन को नयी दिशा मिल जाती है | ईशान संहिता में महाशिवरात्रि कि महिमा को इस प्रकार बताया गया है:-
 

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