Tuesday, 24 March 2015

मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता

By flipkart   Posted at  01:56   No comments
   मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता



मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता

मेरी  बिगड़ी माँ  ने  बनायीं सोयी तकदीर जगाई
ये बात ना सुनी सुनाई  मैं खुद बीती बतलाता रे इतना दिया मेरी माता
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता

मान मिला सम्मान मिला, गुणवान मुझे संतान मिली
धन धान मिला, नित ध्यान मिला, माँ से ही मुझे पहचान मिली
घरबार दिया मुझे माँ ने, बेशुमार दिया मुझे माँ ने,
हर बार दिया मुझे माँ ने, जब जब मैं मागने जाता, मुझे इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी  पढ़ गयी रे इतना दिया मेरी माता ...

मेरा रोग कटा मेरा कष्ट मिटा, हर संकट माँ  ने  दूर किया,
भूले से  जो  कभी गुरुर किया, मेरे अभिमान को चूर किया,
मेरे अंग संग हुई सहाई, भटके को राह दिखाई,
क्या लीला माँ ने रचाई, मैं कुछ भी समझ ना पाता, इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी पड़ गयी रे इतना दिया मेरी माता ....

उपकार करे भव पार करे, सपने सब के साकार करे,
ना  देर  करे  माँ  मेहर  करे, भक्तो के सदा भंडार भरे,
महिमा निराली माँ की, दुनिया है सवाली माँ की,
जो लगन लगा ले माँ की, मुश्किल में नहीं घबराता रे , मुझे इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी  पढ़ गयी रे इतना दिया मेरी माता ...

कर कोई यतन ऐ चंचल  मन, तूँ होके मगन चल माँ के भवन,
पा जाये नैयन पावन दर्शन, हो जाये  सफल फिर ये जीवन,
तू थाम ले  माँ का दामन, ना चिंता रहे ना उलझन,
दिन रात मनन कर सुमिरन जा  कर माँ  कहलाता मुझे इतना दिया मेरी माता,
मेरी झोली छोटी  पढ़ गयी रे इतना दिया मेरी माता ...
स्वर
नरेन्द्र चंचल

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