Wednesday 1 April 2015

कुंडली से जाने भाग्योदय के योग

By flipkart   Posted at  00:51   No comments

      कुंडली से जाने भाग्योदय के योग :भाग्योदय होगा की नही

 

 

भाग्योदय  होगा की  नही ? भाग्योदय  होगा  तो कब होगा :भाग्योदय न होने के कारण और  उपाय :
भाग्योदय  होगा की  नही ? भाग्योदय  होगा  तो कब होगा :भाग्योदय न होने के कारण और  उपाय :
जन्म कुण्डली का नवम भाव भाग्य का होता है।
नवम भाव मै क्या  विचार करे : 

नवम भाव की राशि।
नवममेष स्वामी व उसकी स्थिति।
नवम भाव में स्थित ग्रह।
नवममेष पर दृष्टि।
कारक, अकारक एवं तटस्थ ग्रह।
मैत्री व शत्रुता।
कुंडली में भाग्य के नवम स्थान पर शुभ ग्रहो का प्रभाव हो ,तो वह भाग्यशाली होता है।
नवम भाव  पर  ग्रहो का प्रभाव :
नवम्   भाव में बलवान शुभ ग्रह गुरु ,शुक्र ,बुध , चन्द्र ,स्व  उच्च राशि मे  हो तथा लग्न से केन्द्र ,त्रिकोण ,शुभ दृष्ट हो ,  तो ही भाग्य अच्छा होता   है | शनि मंगल पाप ग्रह भी यदि नवम्   भाव में स्व ,मित्र ,उच्च राशि के होने पर भी भाग्य अच्छा होता   है . नवम्   भाव ,नवमेश तथा कारक गुरु तीनों जन्मकुंडली में बलवान  होने से भाग्य अच्छा होता   है।
वर्ग कुंडलि के  डी ४ चार्ट मैं भी ऊपर बताये अनुसार देखे।
नवम् भाव में सूर्य हो, तो 22वें वर्ष में, चंद्रमा  24वें में, मंगल  28वें में, बुध 32वें में, गुरु  16वें , शुक्र हो तो 21वें में तथा शनि हो तो 36वें वर्ष में भाग्योदय जरुर होता है।
भाग्य मे बाधा के  कारण ये  है।
नवम भाव व नवमेश  यदि दूषित अथवा अशुभ फल देने कारण व्यक्ति सदैव भाग्यहीन रहता है।
यदि भाग्य का स्थान नवम भाव में राहु, मंगल, शनि यदि शत्रु राशि युक्त या नीच के हो तो व्यक्ति भाग्यहीनता से परेशान हो जाता है। उसे छोटे-छोटे कार्यों में भी बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
लग्नेश कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में हो.
भाग्य की बाधा के लिये  नवम भाव व नवमेश का  अध्ययन करना चाहिए।ऊपर बताये गये  ग्रह निर्बल पाप ग्रह अस्त ,शत्रु –नीच राशि  में लग्न से 6,8 12 वें भाव में स्थित हों , तो  भाग्य में बाधा आती है |
लग्नेश बलों में कमजोर, पीड़ित, नीच, अस्त, पाप मध्य, 6,8,12वें भाव में ,तो  भाग्य में बाधा आती है .
वर्ग कुंडलि के  डी ४ चार्ट मैं भी ऊपर बताये अनुसार देखे।
यदि भाग्य का स्थान नवम भाव में राहु, मंगल, शनि यदि शत्रु राशि युक्त या नीच के हो तो तो  भाग्य में बाधा आती है |
नवम भाव का स्वामी बलवान हो या निर्बल, उसकी दशा अन्तर्दशा में शुभ अशुभ फल  देगा।
भाग्य बाधा निवारण केलिए सरल उपाय करें।
अपने इष्टदेव की प्रतिदिन पूजन, अर्चन, अराधना होना चाहिये ।
कुंडली के अशुभ ग्रह का उपाय  करें।
सूर्य गुरु लग्नेश व भाग्येश के  उपाय करने से भाग्य संबंधी बाधाएं दूर होती है।
गायत्री मंत्र का जाप करे।
भगवान सूर्य को जल दें।
प्रात:काल उठकर माता-पिता के आशीर्वाद लें।
अहंकार न करें।
किसी भी निर्बल व असहाय व्यक्ति की  सहायता  करे ।
वद्धाश्रम मे  मदद करें।
रुद्र अभिषेक का पाठ करे  ।
‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’।
इस द्वादश अक्षर मंत्र का जाप रोज करे ।

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