Wednesday 1 April 2015

शनि दोष शांति उपाय

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                                शनि दोष शांति उपाय

 

शनि दोष शांति उपाय अंकुर नागौरी यदि आपको किसी भी कारण शनि के शुभ फल प्राप्त नहीं हो रहे हैं। फिर वह चाहे जन्मकुंडली में शनि ग्रह के अशुभ होने, शनि साढ़ेसाती या शनि ढैय्या के कारण है तो प्रस्तुख लेख में दिये गये सरल उपाय आपके लिए लाभकारी सिद्ध होंगे। भारतीय समाज में आमतौर ऐसा माना जाता है कि शनि अनिष्टकारक, अशुभ और दुःख प्रदाता है, पर वास्तव मंे ऐसा नहीं है।


जन्म कुंडली से  अकारक ग्रहों  को जानकर उनका उपाय ,मंत्र जाप, दान से करना चाहिए।
कारक ग्रह :शुभ फल देते हैं।
कुंडली के कारक ग्रह :केंद्र त्रिकोण के स्वामी।
अकारक ग्रह: अशुभ फल देते हैं।  अकारक ग्रहों के अशुभ प्रभावों में कमी करने के लिए ग्रहों से संबंधित मंत्र जप, दान तथा व्रत करना चाहिए।
जन्म कुंडली में अकारक ग्रह अशुभ फल देते हैं:
अशुभ भावों के स्वामी अकारक ग्रह होते  हैं।  
अशुभ भावों के स्वामी :त्रिषटायश :3 भाव , 6 भाव , 11 भाव , के स्वामी ग्रह
मारक भाव :2 भाव एवं 7 भाव के स्वामी ग्रह.
भाव :8वें और 12वें भाव के स्वामी ग्रह ।
अशुभ फल देने का  समय :
अशुभ भावों के स्वामी की दशा, अंतर्दशा तथा प्रत्यंतर में  अशुभ फल देंते हैं ।
लग्न के अनुसार अकारक ग्रह:
मेष :बुध, शुक्र, शनि।
वृष :चंद्र, मंगल, गुरू।
मिथुन में सूर्य, चंद्र, मंगल, गुर।
कर्क में सूर्य, बुध, गुरू, शुक्र, शन।
सिंह में चंद्र, गुरू, शुक्र, शन।
कन्या में सूर्य, मंगल, गुरू, शुक्र, शन।
तुला में मंगल, बुध, गुर।
वृश्चिक में बुध, शुक्र, शन।
धनु में चंद्र, मंगल, बुध, शुक्र, शन।
मकर में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुर।
कुंभ में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरू ।
मीन में सूर्य, मंगल, शुक्र, शन।
राहु-केतु :स्थान और  ग्रह के अनुसार  फल देंगे।
अकारक ग्रह के लिए  मंत्र,
सूर्य मंत्र- ऊँ घृणि सूर्याय नम:, जप संख्या 7,000
चंद्र मंत्र- ऊँ सों सोमाय नम:, जप संख्या- 11,000
मंगल मंत्र- ऊँ अं अंगारकाय नम:, जप संख्या- 10,000
बुध मंत्र- ऊँ बुं बुधाय नम:, जप संख्या- 9,000
गुरू मंत्र- ऊँ बृं बृहस्पतये नम:, जप संख्या 19,000
शुक्र मंत्र- ऊँ शुं शुक्राय नम:, जप संख्या 16,000
शनि मंत्र- ऊँ शं शनैश्चराय नम:, जप संख्या- 23,000
राहु मंत्र- ऊँ रां राहवे नम:, जप संख्या- 18,000
केतु मंत्र- ऊँ कें केतवे नम:, जप संख्या- 17,000
अकारक  ग्रहों के उपाय :
सूर्य : सूर्य को जल दे. पिता की सेवा करे।   गेहूँ और तांबे का बर्तन दान करें।
चंद्र : किसी मंदिर में कुछ दिन कच्चा दूध और चावल रखें: माता की सेवा करे।  चन्द्र के लिए चावल, दुध एवं चान्दी के वस्तुएं दान करें.
मंगल : मंगलवार को बंदरो को भुना हुआ गुड और चने खिलाये। बड़े भाई बहन के सेवा करे. मंगल के लिए साबुत, मसूर की दाल दान करें 
बुध : ताँबे के पैसे में सूराख करके बहते पानी में बहाएँ।
फिटकरी से दन्त साफ करे. साबुत मूंग का दान करें। माँ दुर्गा की आराधना करें।
बृहस्पति : केसर का तिलक रोजाना लगाएँ।  कुछ मात्रा में केसर खाएँ और नाभि या जीभ पर लगाएं।  चने की दाल या पिली वस्तु दान करें.
शुक्र : गाय की सेवा करें। घर तथा शरीर को साफ-सुथरा रखें।
गाय को हरा चारा डाले। दही, घी, कपूर का दान करें.
शनि : शनि के दिन पीपल पर तेल का दिया जलाये।  किसी बर्तन में तेल लेकर उसमे अपना क्षाया दखें और बर्तन तेल के साथ दान करे. हनुमान जी की पूजा करे और बजरंग बाण का पाठ करे. काले साबुत उड़द एवं लोहे की वस्तु का दान करें.
राहु : जौ या मूली या काली सरसों का दान करें।
केतु :  चींटियों को। काला सफ़ेद कम्बल कोढियों को दान करें। कौओं को रोटी खिलाएं. काला तिल दान करे.कर्म ठीक रखे।
 नोट :अपनी  कुंडली अच्छे ज्योतिषी  को  दिखाइए  और अकारक ग्रहों
को जानकर उनकी दशा, अंतर्दशा तथा प्रत्यंतर में उपाय करके अशुभ प्रभावों में कमी कर सकते  हैं  ।
 

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