विषुव अयन (precession of equinoxes)
विषुव अयन और राशि चक्र के मेष राशि से शुरू होने का कारण पृथ्वी की तीसरी गति है। साल के शुरु होते समय (जनवरी माह में) सूरज दक्षिणी गोलार्द्ध में होता है और वहां से उत्तरी गोलार्द्ध जाता है। साल के समाप्त होने (दिसम्बर माह) तक सूरज उत्तरी गोलार्द्ध से होकर पुनः दक्षिणी गोलार्द्ध पहुचं जाता है। इस तरह से सूरज साल में दो बार भू-मध्य रेखा के ऊपर से गुजरता है। इस समय को विषुव (equinox) कहते हैं। यह इसलिये कि, तब दिन और रात बराबर होते हैं। यह सिद्धानतः है पर वास्तविकता में नहीं, पर इस बात को यहीं पर छोड़ देते हैं। आजकल यह समय लगभग २० मार्च तथा २३ सितम्बर को आता है। जब यह मार्च में आता है तो हम (उत्तरी गोलार्द्ध में रहने वाले) इसे महा/बसंत विषुव (Vernal/Spring Equinox) कहते हैं तथा जब सितम्बर में आता है तो इसे जल/शरद विषुव (fall/Autumnal Equinox) कहते हैं। यह उत्तरी गोलार्द्ध में इन ऋतुओं के आने की सूचना देता है।विषुव का समय भी बदल रहे है। इसको विषुव अयन (Precession of Equinox) कहा जाता है। पृथ्वी अपनी धुरी पर २४ घन्टे में एक बार घूमती है। इस कारण दिन और रात होते हैं। पृथ्वी की धुरी भी घूम रही है और यह धुरी २५,७०० साल में एक बार घूमती है। यदि आप किसी लट्टू को नाचते हुये उस समय देखें जब वह धीमा हो रहा हो, तो आप देख सकते हैं कि वह अपनी धुरी पर भी घूम रहा है और उसकी धुरी भी घूम रही है। विषुव का समय धुरी के घूमने के कारण बदल रहा है। इसी लिये pole star भी बदल रहा है। आजकल ध्रुव तारा पृथ्वी की धुरी पर है और दूसरे तारों की तरह नहीं घूमता। इसी लिये pole star कहलाता है। समय के साथ यह बदल जायगा और तब कोई और तारा pole star बन जायगा।
पृथ्वी अपनी धुरी पर लगभग २५,७०० साल में एक बार घूमती है। वह १/१२वें हिस्से को २१४१ या लगभग २१५० साल में तय करती है। वसंत विषुव के समय सूरज मेष राशि में ईसा से १६५० साल पहले (१६५०BC) से, ईसा के ५०० साल बाद (५०० AD) तक लगभग २१५० साल रहा। अलग अलग सभ्यताओं में, इसी समय खगोलशास्त्र या ज्योतिष का जन्म हुआ। इसी लिये राशिफल मेष से शुरु हुआ पर अब ऐसा नहीं है। इस समय वसंत विषुव के समय सूरज, पृथ्वी के सापेक्ष, मीन राशि में है। यह लगभग ईसा के ५०० साल बाद (५०० AD) से शुरु हुआ। यह अजीब बात है कि विषुव के बदल जाने पर भी हम राशिफल मेष से ही शुरु कर रहें है – तर्क के हिसाब से अब राशिफल मीन से शुरु होने चाहिये, क्योंकि अब विषुव के समय सूरज, मेष राशि में न होकर, मीन राशि में है।
ईसा के ५०० साल (५०० AD) के २१५० साल बाद तक यानि कि २७वीं शताब्दी (२६५० AD) तक, वसंत विषुव के समय सूरज, पृथ्वी के सापेक्ष, मीन राशि में रहेगा। उसके बाद वसंत विषुव के समय सूरज, पृथ्वी के सापेक्ष, कुम्भ राशि में चला जायगा। यानि कि तब शुरु होगा कुम्भ का समय। अब आप हेयर संगीत नाटक के शीर्षक गीत Aquarius की पंक्ति ‘This is the dawning age of Aquarius’ का अर्थ समझ गये होंगे। अकसर लोग इस अर्थ को नहीं समझते – ज्योतिष में भी कुछ ऐसा हो रहा है।
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