Thursday 2 April 2015

Hair Musical

By flipkart   Posted at  22:55   No comments
हेयर संगीत नाटक   Hair Musical
१९६० के दशक में, हेयर संगीत नाटक {Hair (musical)} का मंचन अमेरिका में शुरू किया गया। इसका सबसे पहले मंचन १७ अक्टूबर १९६७ को हुआ। इसका मंचन आज तक अलग-अलग देशों में हो रहा है पर अपने देश में कभी नहीं हुआ। यह उस समय शुरू हुआ जब अमेरिका में लोग वियतनाम जंग के खिलाफ हो रहे थे, हिप्पी सभ्यता जन्म ले रही थी। बहुत से लोगों का कहना है कि हिप्पी सभ्यता, इसी संगीत नाटक से जन्मी। इसमें लड़के और लड़कियां राशि के चिन्हों को दर्शाते थे, कुछ दृश्यों में निर्वस्त्र होते थे कुछ में वे अमेरिकी झण्डे को पहने होते थे। इसलिये शायद यह चर्चित तथा विवादास्पद हो गया।
इसका शीर्षक गीत इस प्रकार है This is the dawning age of Aquarius है। इस गाने के शब्द यहां हैं और इसे आप यहां देख वा सुन सकते हैं। यह गाना अपने देश में भी प्रचलित है। इस गाने का शब्दिक अर्थ है कि कुम्भ राशि का समय आने वाला है लोग इसका शब्दिक अर्थ तो जानते हैं – पर यह नहीं समझते कि यह क्या है। क्या वास्तव में कुम्भ राशि का समय आ रहा है? यह क्यों कहा जा रहा है? इसका गाने के अर्थ का भी हमारे विषय से सम्बन्ध है। इसको समझने के लिये जरूरी है कि पृथ्वी की गतियों एवं राशियों को समझें।



पृथ्वी की गतियां
हमारी पृथ्वी की बहुत सारी गतियां हैं:
  • पृथ्वी अपनी धुरी पर २४ घंटे में एक चक्कर लगा रही है। इसलिये दिन और रात होते हैं।
  • पृथ्वी सूरज के चारों तरफ एक साल में एक चक्कर लगाती है। यदि हम उस तल (plane) की कल्पना करें जिसमें पृथ्वी और सूरज का केन्द्र, तथा उसकी परिक्रमा है तो पायेंगे कि पृथ्वी की धुरी, इस तल से लगभग साढ़े २३ डिग्री झुकी है पृथ्वी के धुरी झुके रहने के कारण अलग-अलग ऋतुयें आती हैं। हमारे देश में गर्मी के दिनों में सूरज उत्तरी गोलार्द्ध में रहता है और जाड़े में दक्षिणी गोलार्द्ध में चला जाता है। यानी कि साल के शुरू होने पर में सूरज दक्षिणी गोलार्द्ध में रहता है पर वहां से चलकर उत्तरी गोलार्द्ध और फिर वापस दक्षिणी गोलार्द्ध के उसी विन्दु पर पहुंच जाता है।
  • पृथ्वी की धुरी भी घूम रही है और पृथ्वी की धुरी लगभग २५७०० साल में एक बार घूमती है। इस समय हमारी धुरी सीधे ध्रुव तारे पर है इसलिये ध्रुवतारा हमको घूमता नहीं दिखाई पड़ता है और दूसरे तारे घूमते दिखाई देते हैं। हजारों साल पहले हमारी धुरी न तो ध्रुव तारा पर थी और न हजारों साल बाद यह ध्रुव तारा पर होगी। तब ध्रुवतारा भी रात में पूरब की तरफ से उदय होगा और पश्चिम में अस्त होता दिखायी देगा।
  • हमारा सौरमंडल एक निहारिका में है जिसे आकाश गंगा कहा जाता है। इसका व्यास लगभग १,००,००० प्रकाश वर्ष है। हमारी पृथ्वी आकाश गंगा के केन्द्र से लगभग ३०,००० प्रकाश वर्ष दूर है और हमारा सौरमंडल भी इस आकाश गंगा के चक्कर लगा रहा है और हमारी पृथ्वी भी उसके चक्कर लगा रही है।
  • हमारी आकाश गंगा और आस-पास की निहारिकायें भी एक दूसरे के पास आ रही हैं। यह बात डाप्लर सिद्धान्त से पता चलती है। हमारी पृथ्वी भी इस गति में शामिल है।
मुख्य रूप से हम पृथ्वी की पहली और दूसरी गति ही समझ पाते हैं, तीसरी से पांचवीं गति हमारे जीवन से परे है। वह केवल सिद्धान्त से समझी जा सकती है, उसे देखा नहीं जा सकता है। हमारे विषय के लिये दूसरी और तीसरी गति महत्वपूर्ण है।

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