श्री बगलामुखी अस्त्र
इस साधना के २ नाम है,कुछ लोग बगलामुखी अस्त्र साधना कहते है तो कुछ लोग बृहदभानुमुखी पञ्चमास्त्र भी कहते है,यह साधना हमारे पास हो और हमे शत्रु कभी परेशान करे येसा कभी हो नहीं सकता,जब बगलामुखी साधना मे सफलता ना मिले तो यह साधना बगलामुखी सिद्धि के लिए बड़ी सहाय्यक साधना है.इस मंत्र का एक-एक बीज तीव्र है,और मंत्र जाप कि अनुभूतिया कुछ ही समय मे मिलने लगती है.माँ बगलामुखी जी को नक्षत्र स्तंभीनी भी कहा जाता है इसीलिये इनकी साधना ग्रह दोष भी कम करती है ,शत्रु बाधा हो या फिर मुकदमा चल रहा हो या फिर किसी प्रकार कि तंत्र बाधा हो इस साधना से तो राहत मिलती ही है,इस साधना को संपन्न करने के बाद हर क्षेत्र मे जितने कि आदत लग जाती है,जीवन कि कई बड़ी समस्याये कुछ ही समय मे समाप्त हो जाती है.स्मरणशक्ति मे भी वृद्धि होती है.
साधना विधान :-
माँ बगलामुखी जयंती पर ब्रम्हमुहूर्त मे ही साधना संपन्न कीजिये और स्नान करने से पहिले जल मे थोड़ी हल्दी डाल दीजिये ,पीले रंग कि आसन,वस्त्र आवश्यक है,मुख पश्चिम दिशा कि और होना चाहिये.सामने किसी बाजोट पर पीले रंग कि वस्त्र बिछाये और गुरुचित्र के साथ माँ बग्लाजिका चित्र स्थापित कीजिये,हल्दी से रंगे हुये चावल कि ५ ढेरिया बनाये,हर ढेरी पे साबुत हल्दी कि गाठे स्थापित कीजिये और उनकी पूजन कीजिये ,और घी का दीपक जलाये.
गुरुमंत्र कि ५ मालाये करनी आवश्यक है,फिर निखिल कवच का १ पाठ कीजिये.और बिना किसी माला के ९० मिनिट निचे दिए हुये मंत्र का जाप कीजिये,मंत्र जाप से पूर्व ही संकल्प लेना है.
मंत्र:-
|| ओम ह्लाम् ह्लीम् ह्लुम् ह्लैम् हलौम् ह्ल: ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः बगलामुखी ह्लाम् ह्लीम् ह्लुम् ह्लैम् हलौम् ह्ल: ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः जिव्हां कीलय कीलय ह्लाम् ह्लीम् ह्लुम् ह्लैम् हलौम् ह्ल: ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः बुद्धि नाशय नाशय ह्लाम् ह्लीम् ह्लुम् ह्लैम् हलौम् ह्ल: ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः हूं फट स्वाहा ||
इस मंत्र विधान को फिर से एक बार रात्रि काल मे ९ बजे के बाद दौराना है,ताकि साधना मे पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो .यह साधना संपन्न होने के बाद आप जब भी चाहो तब इस मंत्र का २१,५१,१०८...... बार उच्च्यारण करके कार्य मे सिद्धि प्राप्त कर सकते है.दूसरे दिन साधना सामग्री को जल मे प्रवाहित कर दे.
लक्ष्मी साधना से पहिले इस मंत्र का २१ बार जाप करनेसे पैसे व्यर्थ मे खर्च भी नहीं होते है और टिक कर भी रहते है......
साधना विधान :-
माँ बगलामुखी जयंती पर ब्रम्हमुहूर्त मे ही साधना संपन्न कीजिये और स्नान करने से पहिले जल मे थोड़ी हल्दी डाल दीजिये ,पीले रंग कि आसन,वस्त्र आवश्यक है,मुख पश्चिम दिशा कि और होना चाहिये.सामने किसी बाजोट पर पीले रंग कि वस्त्र बिछाये और गुरुचित्र के साथ माँ बग्लाजिका चित्र स्थापित कीजिये,हल्दी से रंगे हुये चावल कि ५ ढेरिया बनाये,हर ढेरी पे साबुत हल्दी कि गाठे स्थापित कीजिये और उनकी पूजन कीजिये ,और घी का दीपक जलाये.
गुरुमंत्र कि ५ मालाये करनी आवश्यक है,फिर निखिल कवच का १ पाठ कीजिये.और बिना किसी माला के ९० मिनिट निचे दिए हुये मंत्र का जाप कीजिये,मंत्र जाप से पूर्व ही संकल्प लेना है.
मंत्र:-
|| ओम ह्लाम् ह्लीम् ह्लुम् ह्लैम् हलौम् ह्ल: ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः बगलामुखी ह्लाम् ह्लीम् ह्लुम् ह्लैम् हलौम् ह्ल: ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः जिव्हां कीलय कीलय ह्लाम् ह्लीम् ह्लुम् ह्लैम् हलौम् ह्ल: ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः बुद्धि नाशय नाशय ह्लाम् ह्लीम् ह्लुम् ह्लैम् हलौम् ह्ल: ह्रां ह्रीं हूं ह्रौं ह्रः हूं फट स्वाहा ||
इस मंत्र विधान को फिर से एक बार रात्रि काल मे ९ बजे के बाद दौराना है,ताकि साधना मे पूर्ण सिद्धि प्राप्त हो .यह साधना संपन्न होने के बाद आप जब भी चाहो तब इस मंत्र का २१,५१,१०८...... बार उच्च्यारण करके कार्य मे सिद्धि प्राप्त कर सकते है.दूसरे दिन साधना सामग्री को जल मे प्रवाहित कर दे.
लक्ष्मी साधना से पहिले इस मंत्र का २१ बार जाप करनेसे पैसे व्यर्थ मे खर्च भी नहीं होते है और टिक कर भी रहते है......
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