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Monday, 18 May 2015

इन हेल्थ टिप्स को आजमा कर आप भी रह सकते हे स्वस्थ

By flipkart   Posted at  23:26   HEALTH NEWS No comments


इन दिनों लोगों ने अपनी लाइफस्टाइल ऐसी बना ली है कि दिनों दिन वे नई-नई परेशानियों और बीमारियों से घिरते जा रहे हैं। चाहे खान-पान हो या आरामदायक जीवनशैली। और तो और शहरी वातावरण भी उन्हें इस तरह की दिनचर्या बनाने में काफी मदद की है। सभी ऐशोआराम की चीजें उन्हें घर बैठे हासिल हो जाती है। उन्हें उठकर कहीं जाने की जरूरत भी नहीं पड़ती। नतीजा....

जीवनशैली से जुड़ी बीमारियां। आइए नये साल पर अपनी आरामदायक जीवनशैली को बदलने के लिए कुछ संकल्प लें। यहां 15 आसान हेल्थ टिप्स दिये जा रहें हैं जिन्हें अपनाकर आप अपनी फिगर को मेंटन तो कर ही सकती हैं। साथ ही इन्हें अपनाकर आप दिन भर तरोताजा भी महसूस करेंगीं।

प्रतिदिन वॉक करें। अगर हो सके तो फुटबॉल खेलें यह एक प्रकार का एक्सरसाइज ही है।

ऑफिस में या कहीं भी जाएं तो लिफ्ट के बदले सीढिय़ों का इस्तेमाल करें।

अपने कुत्ते को वॉक पर खुद लेकर जाएं। बच्चों के साथ खेलें, लॉन में नंगे पांव चलें, घर के आसपास पेड़ पौधे लगाऐं, यानि कि वो सब करें जिनसे आप खुद को एक्टिव रख सकें।

ऐसी जगह एक्सरसाइज न करें जहां भीड़भाड़ ज्यादा हो।

तले-भुने भोजन, और अन्य फैटी चीजों से परहेज करें यह बहुत से बीमारियों की जड़ होती है।
डेयरी प्रोडक्ट्स का सेवन करें। जैसे कि चीज, कॉटेज चीज, दूध और क्रीम का लो फैट प्रोडक्ट आदि।

यदि खाना ही है तो, मक्खन ,फैट फ्री चीज और मोयोनीज का लो फैट उत्पाद प्रयोग में लाऐं।

तनाव हमारी जिंदगी में काफी निगेटिव असर डालता है। विशेषज्ञों के अनुसार तनाव कम करने के लिए सकारात्मक विचार बहुत मददगार साबित हो सकते हैं।

तनाव कम करने के लिए रोज कम से कम आधा घंटा ऐसे काम करें, जिसे करने में आपको मन लगता हो। तनाव कम करने के लिए आप योग का भी सहारा ले सकते हैं।

गुस्सा तनाव बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है इसलिए गुस्सा आने पर स्वंय को शांत करने के लिए एक से दस तक गिनती गिनें।

उन लोगों से दूर रहने की कोशिश करें जो आपके तनाव को बढ़ाते हों।

धूम्रपान से परहेज करें। धूम्रपान से शरीर और उम्र पर असर तो पड़ता ही है, साथ ही फेफड़ों का कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी भी हो सकती है।

धूम्रपान में कमी लाने के लिए उसकी तलब लगने पर सौंफ आदि का सेवन करें।मार्केट में भी आजकल बहुत से प्रोडक्ट मिलने लगे हैं जो धूम्रपान की तलब को कम करते हैं।

Sunday, 10 May 2015

जब महंगी दवाओं के लिए न हों पैसे , तो अजमाए ये नुस्खे

By flipkart   Posted at  22:44   HEALTH NEWS No comments


जब महंगी दवाओं के लिए न हों पैसे , तो अजमाए ये  नुस्खे 

आज का समय विज्ञान का है, लेकिन व्यक्ति के कब शारीरिक समस्याएं हो जाती हैं पता नहीं चलता। लोग बिना सोचे-समझे बाजार से भागकर माॅडर्न दवाएं ले आते हैं और खा लेते हैं। बाद में सेहत प्रॉब्लम ज्यादा हो जाती हैं। ऐसे में आधुनिक मेडिसन के नुकसान या महंगे खर्च से बचने के लिए आप घरेलू उपाय याद कर सकते हैं। यहां कुछ आजमाए हुए नुस्खे बताए जा रहे हैं जिन्हें विकट परिस्थिति में यूजकर हालात संभाल सकते हैं –

1. यदि आपकी स्किन रूखी और बेजान लगती है तो जौ का आटा, हल्दी, सरसो का तेल पानी में मिलाकर उबटन बनाकर रोजाना शरीर में मालिश कर गुनगुने पानी से नहाएं। दूध को केसर में मिलाकर पिएं, रूप निखर जाएगा।
2. धनिया, जीरा और चीनी तीनों को बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से अम्लपित्त या एसिडिटी के कारण होने वाली जलन शांत हो जाती है।
3. आधा चम्मच चिरौंजी को 2 चम्मच दूध में भिगोकर पीसकर पेस्ट बनाकर लगाएं। 15 मिनट बाद धो लें। इसे नियमित रूप से डेढ़ महीने लगाए जाने पर रंग निखरता है व चेहरे के दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं।
4. मुंह के छाले की समस्या परेशान कर रही हो तो दिन में कम से कम तीन बार कच्चे दूध से अच्छी तरह से गरारे करें, छाले मिट जाएंगे।

5. प्याज के बीजों को सिरका में पीसकर प्राप्त रस को दाद-खाज और खुजली पर लगाने से बहुत जल्दी आराम मिलता है। हमें पता है कि अंग्रेजी दवाएं हर कोर्इ नहीं खरीद पाता है, इसलिए 20 और घरेलू उपाय यहां बताए जा रहे है। गैलरी में पिक्स पर क्लिक कर जानें प्राकृतिक उपचार के टिप्स ..

6. पुदीना सिरदर्द की समस्या में एक रामबाण औषधि माना जाता है।पुदीने का रस लेने से या पुदीने की चाय पीने से सिरदर्द में तुरंत आराम मिलता है। इसके अलावा अगर सिरदर्द बहुत ज्यादा तेज हो तो पुदीना का तेल हल्के हाथों से सिर पर लगाने से सिरदर्द बंद हो जाता है। 10. सफेद जीरे को घी में भूनकर इसका हलुआ बनाकर प्रसुता को खिलाने से स्तनों के दूध में बढ़ोतरी होती है।

7. जीरे को मिश्री की चाशनी बनाकर उसमें या शहद के साथ लेने पर पथरी घुलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है। 15. दो चम्मच ईसबगोल की भूसी छ: घंटे पानी में भिगोकर रख दें। रात को सोने से पहले ईसबगोल में मिश्री मिलाकर लें। इसके बाद थोड़ा पानी जरूर पिएं। कब्ज दूर हो जाएगी।

8. दस ताजे हरे करी पत्तों को सुबह खाली पेट खाएं। तीन महीनों तक नियमित रूप से ये प्रयोग करने पर डायबिटीज कंट्रोल में आ जाती है व मोटापा घटने लगता है। आगे के फोटो पे चलिए….

Saturday, 9 May 2015

जानिए पाचन तंत्र को पुष्ट कैसे करता है “पुदीना”

By flipkart   Posted at  23:56   HEALTH NEWS No comments


पूरे भारत वर्ष में पाया जाने वाला पौधा पुदीना किसी परिचय का मोहताज नही है | हाँ इतना जरुर है कि विभिन्न भाषाओं में यह भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है | हिंदी में इसे पुदीना और पोदीना, मराठी में पंदिना, बंगला में पुदीना, संस्कृत में पूतिहा, पुदिन:, गुजराती में फुदिनो, अंग्रेजी में स्पियर मिंट तथा लैटिन भाषा में मेंथा सैटाइवा व मेंथा विरिडस इत्यादि नामों से जाना जाता है|
गुण धर्म व प्रयोग की दृष्टि से देखा जाये तो यह कफ वात शामक, वातानुमोलक, कृमिघ्न, हृदयोत्तेजक, दुर्गन्धनाशक, वेदना स्थापक, कफ नि:सारक है|

>> अरुचि, अपच, अतिसार, अफारा, श्वास, कास, ज्वर, मूत्ररोग इत्यादि में अति उत्तम माना गया है| वैसे तो पुदीना पूरे वर्ष पाया जाता है किन्तु इसका सर्वाधिक उपयोग गर्मियों में होता है| पुदीने में पाया जाने वाला एपटाइजर गुण उदर सम्बन्धी समस्याओं के लिए अमृत का काम करता है, जिससे पाचन तंत्र संतुलित रहता है| पुदीने के अन्दर पाए जाने वाले सुगंध मात्र से ही “लार ग्रंथि” (स्लाइवा ग्लैंड) सक्रिय हो जाता है जो पाचन क्रिया में अहम् भूमिका निभाता है| पुदीने का नित्य थोडा सा किसी न किसी रूप में सेवन तथा योगासन के अंतर्गत आने वाला वज्रासन पाचन तंत्र को सक्रिय रखने के लिए सर्वोत्तम है| यह याद रहे कि भोजनोपरांत दस मिनट तक वज्रासन में बैठने से पाचन क्रिया तीव्र व संतुलित रहती है| गर्मियों में चलने वाली लू (गर्म हवा) द्वारा शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावो को भी पुदीना मिश्रित “पना” नाकाम करता है| पुदीना का एक सबसे महत्वपूर्ण गुण यह भी है कि यह एसिडिटी के कारण उत्पन्न होने वाले पेट में जलन व सूजन को भी ठीक करता है| पुदीने की पत्ती को पीस कर माथे पर लेप करने से माईग्रेन के दर्द में भी राहत मिलती है| पुदीने के सेवन से श्व्वास की बदबू भी पूरी तरह से नियंत्रित हो जाती है| आमतौर पर उच्च रक्तचाप व निम्न रक्तचाप दोनों की दवा अलग – अलग होती है किन्तु पुदीना रक्तचाप की ऐसी औषधि है जो निम्न और उच्च दोनों ही रक्तचाप के लिए लाभकारी है| यह ध्यान रहे कि उच्चरक्तचाप के मरीज पुदीना सेवन में शक्कर व नमक का प्रयोग न करें| तथा निम्न रक्तचाप के मरीज को पुदीने में कालीमिर्च व सेंधा नमक मिला कर सेवन करना चाहिए|

जानिए मशरूम को क्यों कहा जाता है जडी-बूटियों का राजा

By flipkart   Posted at  23:43   HEALTH NEWS No comments


चाहे आप वेजिटेरियन हों या फिर नॉन वेजिटेरियन, मशरूम की सब्‍जी हर किसी को खानी पसंद है। डॉक्‍टरों का कहना है कि मशरूम का सेवन मानव सेहत के लिए रामबाण है। इसके सेवन से जहां उच्चरक्तचाप नियंत्रित होता है तो वही मोटापा को कम करता है। तो फिर आइये जानते हैं इसके गुणों के बारे में-

1. प्रतिरक्षा प्रणाली बढा़ए- मशरूम में मौजूद एंटी ऑक्‍सीडेंट हमें भंयकर फ्री रेडिकल्‍स से बचाता है। इसको खाने से शरीर में एंटीवाइरल और अन्‍य प्रोटीन की मात्रा बढती है, जो कि कोशिकाओं को रिपेयर करता है। यह एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक है जो कि माइक्रोबियल और अन्‍य फंगल संक्रमण को ठीक करता है।

2. कैंसर- यह प्रोस्‍टेट और ब्रेस्‍ट कैंसर से बचाता है। इसमें बीटा ग्‍लूकन और कंजुगेट लानोलिक एसिड होता है जो कि एक एंटी कासिजेनिक प्रभाव छोड़ते हैं। यह कैंसर के प्रभाव को कम करते हैं।
 3. हृदय रोग- मशरूम में हाइ न्‍यूट्रियंट्स पाये जाते हैं इसलिये ये दिल के लिये अच्‍छे होते हैं। इसमें कुछ तरह के एंजाइम और रेशे पाए जाते हैं जो कि कोलेस्‍ट्रॉल लेवल को कम करते हैं।

 4. मधुमेह- मशरूम वह सब कुछ देगा जो मधुमेह रोगी को चाहिये। इसमें विटामिन, मिनरल और फाइबर होता है। साथ ही इमसें फैट, कार्बोहाइड्रेट और शुगर भी नहीं होती, जो कि मधुमेह रोगी के लिये जानलेवा है। यह शरीर में इनसुलिन को बनाती है।
5. मोटापा कम करे- इसमें लीन प्रोटीन होता है जो कि वजन घटाने में बडा़ कारगर होता है। मोटापा कम करने वालों को प्रोटीन डाइट पर रहने को बोला जाता है, जिसमें मशरूम खाना अच्‍छा माना जाता है।

 6. मैटाबॉलिज्‍म- मशरूम में विटामिन बी होता है जो कि भोजन को ग्‍लूकोज़ में बदल कर ऊर्जा पैदा करता है। विटामिन बी2 और बी3 इस कार्य के लिये उत्‍तम हैं।

Friday, 8 May 2015

अपने दिमाक को तेज करें ब्रेन गेम खेल कर ( brain games)

By flipkart   Posted at  06:41   HEALTH NEWS No comments


जिस तरह Body को Fit करने के लिये Exercise की आवश्‍यकता होती है, उसी प्रकार हमारे Mind को भी Fit रहने के लिये Exercise की आवश्‍यकता होती है । कहते हैं कि एक आम इन्‍सान अपने पूरे जीवन में केवल 10 प्रतिशत हिस्‍से का ही प्रयोग कर पाता है, यह सही है कि नहीं यह तो कह नहीं सकते। लेकिन इतना कह सकते हैं कि अगर हम अपने Mind की Exeercise कराते रहें तो हम ज्‍यादा तेज सोच सकते हैं, और अपने निर्णय को भी तेज तरीके से ले सकेंगें।

यह तो बात रही दिमाग की, अब बात आती है कि दिमाग की Exercise कैसे करायी जाये। क्‍योंकि शरीर की Exercise के लिये तो हम जिम चले जाते हैं। लेकिन अभी दिमाग के लिये कोई जिम नहीं बना है। लेकिन हॉ एक ऑनलाइन जिम है जहॉ आप अपने दिमाग को Exercise करा सकते हैं। इसका नाम है गेम्‍स फॉर द ब्रेन इस साइट पर दिमागी कसरत के लिये 40 से ज्‍यादा गेम्‍स दिये गये हैं, जिन्‍हें आप बडी ही अासानी से ख्‍ोल सकते हैं, लेकिन हॉ आपके दिमाग को थोडी कसरत करनी होगी। 

दिमाग भी लेता है सांस, जानिए कैसे

By flipkart   Posted at  00:57   HEALTH NEWS No comments


दिमाग भी लेता है सांस, जानिए कैसे

जब हम सांस लेते हैं तो वायु प्रत्यक्ष रूप से हमें तीन-चार स्थानों पर महसूस होती है। कंठ, हृदय, फेफड़े और पेट। कान और आंख में गई वायु का कम ही पता चलता है लेकिन मस्तिष्क में गई हुई वायु का हमें पता नहीं चलता। मस्तिष्क में वायु को महसूस करेंगे तो मस्तिष्क में जाग्रति फैलेगी और दिमाग तेज होने लगेगा। कैसे...

हम जब श्वास लेते हैं तो भीतर जा रही हवा या वायु पांच भागों में विभक्त हो जाती है या कहें कि वह शरीर के भीतर 5 जगह स्थिर हो जाती है। ये पंचक निम्न हैं- (1) व्यान, (2) समान, (3) अपान, (4) उदान और (5) प्राण।

उक्त सभी को मिलाकर ही चेतना में जागरण आता है, स्मृतियां सुरक्षित रहती हैं, मन संचालित होता रहता है तथा शरीर का रक्षण व क्षरण होता रहता है। उक्त में से एक भी जगह दिक्कत है तो सभी जगह उससे प्रभावित होती है और इसी से शरीर, मन तथा चेतना भी रोग और शोक से ‍घिर जाते हैं। चरबी-मांस, आंत, गुर्दे, मस्तिष्क, श्वास नलिका, स्नायुतंत्र और खून आदि सभी प्राणायाम से शुद्ध और पुष्ट रहते हैं।

(1) व्यान : व्यान का अर्थ जो चरबी तथा मांस का कार्य करती है।
(2) समान : समान नामक संतुलन बनाए रखने वाली वायु का कार्य हड्डी में होता है। हड्डियों से ही संतुलन बनता भी है।
(3) अपान : अपान का अर्थ नीचे जाने वाली वायु। यह शरीर के रस में होती है।
(4) उदान : उदान का अर्थ ऊपर ले जाने वाली वायु। यह हमारे स्नायुतंत्र में होती है।
(5) प्राण : प्राणवायु हमारे शरीर का हालचाल बताती है। यह वायु मूलत: खून में होती है।

 महसूस करें : जब हम सांस लेते हैं तो वायु प्रत्यक्ष रूप से हमें तीन-चार स्थानों पर महसूस होती है। कंठ, हृदय, फेफड़े और पेट। मस्तिष्क में गई हुई वायु का हमें पता नहीं चलता। कान और आंख में गई वायु का भी कम ही पता चलता है।

श्वसन तंत्र से भीतर गई वायु अनेक प्रकार से विभाजित हो जाती है, जो अलग-अलग क्षेत्र में जाकर अपना-अपना कार्य करके पुन: भिन्न रूप में बाहर निकल आती है। यह सब इतनी जल्दी होता है कि हमें इसका पता ही नहीं चल पाता।

हम सिर्फ इनता ही जानते हैं कि ऑक्सीजन भीतर गई और कार्बन डाई ऑक्सॉइड बाहर निकल आई, लेकिन भीतर वह क्या-क्या सही या गलत करके आ जाती है इसका कम ही ज्ञान हो पाता है। सोचे ऑक्सीजन कितनी शुद्ध थी। शुद्ध थी तो अच्‍छी बात है वह हमारे भीतरी अंगों को भी शुद्ध और पुष्ट करके सारे जहरीले पदार्थ को बाहर निकालने की प्रक्रिया को सही करके आ जाएगी।

प्रत्येक जगह वायु को महसूस करने के लिए कपालभाति और भस्त्रिका का अभ्यास नाड़िशोधन प्राणायाम के अभ्यास के बाद करें। फिर ध्यान में बैठकर मस्तिष्क में वायु की ठंडक को महसूस करें।
 वायु का प्रभाव : यदि हम जोर से श्वास लेते हैं तो तेज प्रवाह से बैक्टीरियां नष्ट होने लगते हैं। कोशिकाओं की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है। 'बोन मेरो' में नए रक्त का निर्माण होने लगता है। आंतों में जमा मल विसर्जित होने लगता है। मस्तिष्क में जाग्रति लौट आती है जिससे स्मरण शक्ति दुरुस्त हो जाती है।

न्यूरॉन की सक्रियता से सोचने-समझने की क्षमता पुन: जिंदा हो जाती है। फेफड़ों में भरी-भरी हवा से आत्मविश्वास लौट आता है। सोचे जब जंगल में हवा का एक तेज झोंका आता है तो जंगल का रोम-रोम जाग्रत होकर सजग हो जाता है। ‍सिर्फ एक झोंका।

इनसे होगा मस्तिष्क शुद्ध : कपालभाति या भस्त्रिका प्राणायाम तेज हवा के अनेक झोंके जैसा है। बहुत कम लोगों में क्षमता होती है आंधी लाने की। लगातार अभ्यास से ही आंधी का जन्म होता है। 10 मिनट की आंधी आपके शरीर और मन के साथ आपके संपूर्ण जीवन को बदलकर रख देगी। हृदय रोग या फेफड़ों का कोई रोग है तो यह कतई न करें।

 प्राणायाम करते समय तीन क्रियाएं करते हैं-1. पूरक, 2. कुंभक, 3. रेचक। इसे ही हठयोगी अभ्यांतर वृत्ति, स्तम्भ वृत्ति और बाह्य वृत्ति कहते हैं।

(1) पूरक : अर्थात नियंत्रित गति से श्वास अंदर लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब भीतर खींचते हैं तो उसमें लय और अनुपात का होना आवश्यक है।

(2) कुंभक : अंदर की हुई श्वास को क्षमतानुसार रोककर रखने की क्रिया को कुंभक कहते हैं। श्वास को अंदर रोकने की क्रिया को आंतरिक कुंभक और श्वास को बाहर छोड़कर पुन: नहीं लेकर कुछ देर रुकने की क्रिया को बाहरी कुंभक कहते हैं। इसमें भी लय और अनुपात का होना आवश्यक है।

(3) रेचक : अंदर ली हुई श्वास को नियंत्रित गति से छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब छोड़ते हैं तो उसमें लय और अनुपात का होना आवश्यक है।

Thursday, 7 May 2015

नोनी फल क्या हे जाने सेहत के लिए इसके क्या फायदे है

By flipkart   Posted at  00:22   HEALTH NEWS 4 comments


यह एक प्रकार का पौधा है, इसे मोरिन्डा सिट्रीफोलिया के नाम से जाना जाता है। यह औषधि की क्षमता को बेहतर बनाता है। इसे अन्य औषधियों के साथ भी लिया जा सकता है।

नोनी फल आम लोगों के लिए जितना गुमनाम है, सेहत के लिए उतना ही फायदेमंद। नोनी के रूप में वैज्ञानिकों को एक ऐसी संजीवनी हाथ लगी है, जो मधुमेह, अस्थमा, गठिया, दिल के मरीजों सहित कई बीमारियों के इलाज में रामबाण साबित हो रहा है।

नोनी फल : यह त्वचा के घाव भरने में मदद करता है। यह मुहांसों के उपचार में भी सहायक है।

Wednesday, 6 May 2015

वजन कम करना है तो कीजिए सेक्स...

By flipkart   Posted at  03:49   HEALTH NEWS No comments


सेक्स एक प्रकार का व्यायाम है। इसके लिए खास किस्म के सूट, शू या महंगी एक्सरसाइज सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। जरूरत होती है बस बेडरूम का दरवाजा बंद करने की। सेक्स व्यायाम शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव को दूर करता है और शरीर को लचीला बनाता है। एक बार का हेल्दी सेक्स किसी थका देने वाले एक्सरसाइज या स्विमिंग के 10-20 चक्करों से अधिक असरदार होता है। सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार मोटापा दूर करने के लिए सेक्स काफी सहायक सिद्ध होता है।

 390 बार चुंबन लेने से आधा किलो वजन कम

सेक्स से शारीरिक ऊर्जा खर्च होती है, जिससे चर्बी घटती है। एक बार के सेक्स में 500 से 1000 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। सेक्स के समय लिए गए चुंबन भी मोटापा दूर करने में सहायक सिद्ध होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार सेक्स के समय लिए गए एक चुंबन से लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। इस तरह 390 बार चुंबन लेने से 1/2 किलो वजन घट सकता है।

क्योंकि स्वास्थ्य ही सेक्स का आधार है
विशेषज्ञों का कहना है कि वजन कम करने के लिए खाना छोडऩा तो दूर की बात है, एक सीमा से अधिक खाना कम कर देना भी स्वास्थ्य के लिए उचित नहीं है, क्योंकि स्वास्थ्य ही स्वस्थ सेक्स का आधार होता है। परफेक्ट फिगर की चाह  को हम एक बीमारी कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। जो दुबले हैं वे वजन बढ़ाने के लिए फैट्स आदि ज्यादा मात्रा में खाने लगते हैं और जो मोटे हैं वे वजन घटाने के लिए खाना-पीना छोड़कर डाइट व ड्रग्स लेने लगते हैं। दोनों ही बातें सेहत की दृष्टि से गलत है।

मधुमेह, अस्थमा व हृदयरोग इन जानलेवा रोगों के मूल में हैं अधिक स्टार्चयुक्त व फैट्स वाला भोजन व शारीरिक श्रम का अभाव। आज हम अपने पाचनतंत्र की डाइजेस्टिव कैपेसिटी से कई गुना अधिक खा रहे हैं। यह अतिरिक्त भोजन हमारे शरीर में तरह-तरह के विकार पैदा करता है। आधुनिक जीवनशैली के तहत वक्त-बेवक्त खाना मधुमेह, अस्थमा व हृदयरोग जैसी बीमारियों को जन्म देता है।

सुबह व शाम की सैर के साथ खुली हवा में व्यायाम से पाचनतंत्र के सभी विकार दूर होते हैं जिससे संपूर्ण शरीर हलका-फुलका, स्वस्थ व स्फूर्तिदायक बन जाता है। सुबह जल्दी उठकर खुली हवा में सांस लेने से फेफड़ों में स्वस्थ वायु का प्रवेश होता है। फेफड़े स्वस्थ रहने से न केवल हृदय को बल मिलता है बल्कि खांसी, दमा, श्वास रोग व एलर्जी आदि से भी छुटकारा मिलता है।
बदलती जीवनशैली में काम के प्रेशर के चलते स्त्री-पुरुष अपनी रूटीन लाइफ में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि सेक्स जैसी महत्वपूर्ण क्रिया से दूर होते जाते हैं। उनकी सेक्सुअल इच्छा कम होती जाती है। पति-पत्नी में आकर्षण का अभाव अनेक पारिवारिक और सेक्स संबंधी समस्याओं को जन्म देता है।

गंभीर समस्या श्वेत प्रदर थोड़ी सी सावधानी व उपचार बचा जा सकता है

By flipkart   Posted at  03:17   HEALTH NEWS 1 comment


गंभीर समस्या श्वेत प्रदर
ल्यूकोरिया (श्वेत प्रदर) की बीमारी महिलाओं की आम समस्या है। संकोच में इसे न बताना कई गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। थोड़ी सी सावधानी व उपचार के जरिए इसके घातक परिणामों से बचा जा सकता है। अन्यथा यह कैंसर का कारण बन सकती है। सामान्य तौर पर गर्भाशय में सूजन अथवा गर्भाशय के मुख में छाले होने से यह समस्या पैदा होती है। उपचार न कराने से पीडि़ता को कई तरह की मानसिक व शारीरिक समस्याओं का शिकार होना पड़ता है। इसलिए महिलाएं को श्वेत प्रदर की बीमारी को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण स्त्रियां बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है। महिलाओं में श्वेत प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है। श्वेत प्रदर वास्तव में एक बीमारी नहीं है बल्कि किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है; या सामान्यत: प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है।

 कारण

अत्यधिक उपवास
उत्तेजक कल्पनाए
अश्लील वार्तालाप
सम्भोग में उल्टे आसनो का प्रयोग करना
सम्भोग काल में अत्यधिक घर्षण युक्त आघात
रोगग्रस्त पुरुष के साथ सहवास
सहवास के बाद योनि को स्वच्छ जल से न धोना व वैसे ही गन्दे बने रहना आदि इस रोग के प्रमुख कारण बनते हैं।
बार-बार गर्भपात कराना भी एक प्रमुख कारण है।
असामान्य योनिक स्राव से कैसे बचा जा सकता है?

ल्यूकोरिया में आयुर्वेदिक इलाज

आंवला
आंवले को सुखाकर अच्छी तरह से पीसकर बारीक चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इसी बने चूर्ण की 3 ग्राम मात्रा को लगभग 1 महीने तक रोज सुबह-शाम को पीने से स्त्रियों को होने वाला श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) नष्ट हो जाता है।

झरबेरी
झरबेरी के बेरों को सुखाकर रख लें। इसे बारीक चूर्ण बनाकर लगभग 3 से 4 ग्राम की मात्रा में चीनी (शक्कर) और शहद के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम को प्रयोग करने से श्वेतप्रदर यानी ल्यूकोरिया का आना समाप्त हो जाता है।

नागकेशर
नागकेशर को 3 ग्राम की मात्रा में छाछ के साथ पीने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) की बीमारी से छुटकारा मिल जाता है।
केला
2 पके हुए केले को चीनी के साथ कुछ दिनों तक रोज खाने से स्त्रियों को होने वाला प्रदर (ल्यूकोरिया) में आराम मिलता है।

गुलाब
गुलाब के फूलों को छाया में अच्छी तरह से सुखा लें, फिर इसे बारीक पीसकर बने पाउडर को लगभग 3 से 5 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह और शाम दूध के साथ लेने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) से छुटकारा मिलता है।

मुलहठी
मुलहठी को पीसकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 1 ग्राम की मात्रा में लेकर पानी के साथ सुबह-शाम पीने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) की बीमारी नष्ट हो जाती है।

बड़ी इलायची
बड़ी इलायची और माजूफल को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर समान मात्रा में मिश्री को मिलाकर चूर्ण बना लें, फिर इसी चूर्ण को 2-2 ग्राम की मात्रा में प्रतिदिन सुबह-शाम को लेने से स्त्रियों को होने वाले श्वेत प्रदर की बीमारी से छुटकारा मिलता है।

ककड़ी
ककड़ी के बीज, कमलककड़ी, जीरा और चीनी (शक्कर) को बराबर मात्रा में लेकर 2 ग्राम की मात्रा में रोजाना सेवन करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) में लाभ होता है।

जीरा
जीरा और मिश्री को बराबर मात्रा में पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर इस चूर्ण को चावल के धोवन के साथ प्रयोग करने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) में लाभ मिलता है।

चना
सेंके हुए चने पीसकर उसमें खांड मिलाकर खाएं। ऊपर से दूध में देशी घी मिलाकर पीयें, इससे श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) गिरना बंद हो जाता है।

जामुन
छाया में सुखाई जामुन की छाल का चूर्ण 1 चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार पानी के साथ कुछ दिन तक रोज खाने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) में लाभ होता है।

फिटकरी
चौथाई चम्मच पिसी हुई फिटकरी पानी से रोजाना 3 बार फंकी लेने से दोनों प्रकार के प्रदर रोग ठीक हो जाते हैं। फिटकरी पानी में मिलाकर योनि को गहराई तक सुबह-शाम धोएं और पिचकारी की सहायता से साफ करें। ककड़ी के बीजों का गर्भ 10 ग्राम और सफेद कमल की कलियां 10 ग्राम पीसकर उसमें जीरा और शक्कर मिलाकर 7 दिनों तक सेवन करने से स्त्रियों का श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) रोग मिटता है।

गाजर
गाजर, पालक, गोभी और चुकन्दर के रस को पीने से स्त्रियों के गर्भाशय की सूजन समाप्त हो जाती है और श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) रोग भी ठीक हो जाता है।

नीम
नीम की छाल और बबूल की छाल को समान मात्रा में मोटा-मोटा कूटकर, इसके चौथाई भाग का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम को सेवन करने से श्वेतप्रदर में लाभ मिलता है। रक्तप्रदर (खूनी प्रदर) पर 10 ग्राम नीम की छाल के साथ समान मात्रा को पीसकर 2 चम्मच शहद को मिलाकर एक दिन में 3 बार खुराक के रूप में पिलायें।

मेथी
मेथी के चूर्ण के पानी में भीगे हुए कपड़े को योनि में रखने से श्वेतप्रदर (ल्यूकोरिया) नष्ट होता है। रात को 4 चम्मच पिसी हुई दाना मेथी को सफेद और साफ भीगे हुए पतले कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर अन्दर जननेन्द्रिय में रखकर सोयें। पोटली को साफ और मजबूत लम्बे धागे से बांधे जिससे वह योनि से बाहर निकाली जा सके। लगभग 4 घंटे बाद या जब भी किसी तरह का कष्ट हो, पोटली बाहर निकाल लें। इससे श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है और आराम मिलता है। मेथी-पाक या मेथी-लड्डू खाने से श्वेतप्रदर से छुटकारा मिल जाता है, शरीर हष्ट-पुष्ट बना रहता है। इससे गर्भाशय की गन्दगी को बाहर निकलने में सहायता मिलती है। गर्भाशय कमजोर होने पर योनि से पानी की तरह पतला स्राव होता है। गुड़ व मेथी का चूर्ण 1-1 चम्मच मिलाकर कुछ दिनों तक खाने से प्रदर बंद हो जाता है।

कैसे बच सकते है हम माइग्रेन दर्द से जाने - cure for migraine

By flipkart   Posted at  02:55   HEALTH NEWS No comments


माइग्रेन सिरदर्द का एक गंभीर रूप है, जो एक सामान्य और स्वस्थ जीवन को काफी मुश्किल बना देता है। इस विकार के लक्षण हैं मतली आना, प्रकाश-संवेदनशीलता बढ़ जाना, धुन्धले धब्बे, रौशनी की चमक और गर्दन में दर्द। हालांकि माइग्रेन एक गंभीर बीमारी है, कुछ सरल उपायों की मदद से इसका प्रभावी ढंग से इलाज किया जा सकता है। माइग्रेन को कम करने के लिए सबसे प्रभावी तरीकों में से कुछ नीचे दिए गए हैं।

माइग्रेन की पहचान:-

क्या आपको सिर के एक हिस्से में बुरी तरह धुन देने वाले मुक्कों का एहसास होता है, और लगता है कि सिर अभी फट जाएगा?

क्या उस वक्त आपके लिए अत्यंत साधारण काम करना भी मुश्किल हो जाता है?

क्या आपको यह एहसास होता है कि आप किसी अंधेरी कोठरी में पड़े हैं, और दर्द कम होने पर ही इस अनुभव से निजात मिलती है?

अगर इनमें से किसी भी प्रश्न का उत्तर हां में है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपको माइग्रेन हुआ है। इसलिए फौरन डॉक्टर के पास जाकर इसकी पुष्टि कर लेनी चाहिए।

अगर दर्द माइग्रेन का है तो, (cure for migraine)

आइस पैक रखें माइग्रेन का सिरदर्द कम करने के लिए एक सबसे सरल उपचार है अपने सिर पर आइस पैक रखें। आइस पैक मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद करता है और दर्द को कम कर देता है। प्रभावित क्षेत्र, कनपटी और गर्दन पर प्रभावी राहत के लिए आइस पैक को धीरे-धीरे रगड़ें।

बड़ी इलाइची का छिलका या लौंग अच्‍छे से पीसकर उसे हल्‍का गर्म करें और सिर पर लेप की तरह लगाएं।

अगर अक्‍सर दर्द उठता है तो दिन में दो बार दही और चावल खाएं।

गाय का घी सुबह शाम नाक में डालें।

केसर को घी में पीसकर सूंघने से भी आराम पड़ता है।

अगर दर्द सूर्योदय के साथ घटता बढ़ता है तो सूर्योदय से पहले दही, चावल और मिश्री मिलाकर खाएं।

सामान्‍य सिर दर्द,  (How to cure Normal headache )

अगर गर्मी की वजह से दर्द हो रहा है तो घीया का गूदा निकालकर पीस लें और उसे माथे पर लगाएं। धनिया या तुलसी के पत्‍तों को पीसकर भी उसका लेप लगा सकते हैं।

अगर गैस की वजह से सिर में दर्द है तो गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पिएं।

अगर सर्दी जुकाम की वजह से दर्द है तो साबुत धनिया और मिश्री का काढ़ा बनाकर पिएं।

वात की वजह से पैदा होने वाले सिर दर्द को रोकने के लिए लहसुन की दो चार कलियां चुटकी भर नमक के साथ खाने के साथ खाएं।

सुबह खाली पेट सेब खाने से राहत मिलती है।

दालचीनी को पीसकर उसका लेप लगा सकते हैं।

गुड का शर्बत पिएं।

एक कप दूध में पिसी इलाइची पिएं।

Tuesday, 5 May 2015

जाने भोजन के बाद में क्यों नहीं पीना चाहिए पानी

By flipkart   Posted at  23:02   HEALTH NEWS No comments


जाने भोजन के समय पानी पीने के क्या गुण है

भोजन के पहले पानी पीने से आँखों पर कालापन या अतिसार (दस्त) होता है और दुबलापन आता है। भोजन के अन्त में पानी पीने से मोटापा बढ़ता है, कफ होता है। बीच में जलपान से धातु-निर्माण होता है और सुख मिलता है।

अधिक पानी पीने से अन्न पचता नहीं है। पानी न पीने से भी वही दोष होता है। इसलिए मनुष्य को (जठर) अग्नि बढ़ाने के लिए बार-बार थोड़ा-थोड़ा पानी पीना चाहिए। प्यास लगे तो खाओ मत, भूख लगे तो जल मत पियो। प्यास से परेशान रहने वाले को तिल्ली हो जाती है और भूखा रहने वाले को भगन्दर (पाइल्स) हो जाते हैं।

साँझ होने तक चाहे तो हजार घड़े पानी पी लें। परन्तु सूर्यास्त के बाद एक बूँद पानी भी एक घड़े के समान होता है। रात्रि-भोजन के समय थोड़ा पानी भी विष है। रात में प्यास लगे तो ठण्डे पानी से कुल्ले कर लेने चाहिए। रात में मैथुन से थके या सम्भोगलीन लोगों को पानी तत्काल तृप्ति देता है। वह धातु तथा इन्द्रिय को बल प्रदान करता है। कभी गर्म पानी से शीतल जल का निवारण न करें। अन्न पच जाने पर तृप्ति तक शीतल जल पियें।

पानी से जलन शान्त हो जाती है। शेष अन्न पच जाता है। अजीर्ण होने पर पानी दवाई है और पच जाने पर पानी बल प्रदान करता है। पानी भोजन में अमृत है। परन्तु भोजन के बाद वह विष है।

जल पचने के काल तीन प्रकार के बताये गये हैं- कच्चा पानी एक प्रहर (तीन घंटे) में पचता है, गरम से ठंडा किया पानी आधे प्रहर (डेढ़ घंटे) में और गरम पानी उसके भी आधे समय (पौन घंटे) में पच जाता है।

धूप में तपा पानी कफ और वात दूर करता है। खुजली नहीं करता, पित्त को तोड़ता है, पाण्डु (पीलिया) दूर करता है और शुक्ल (आँखों के सफेद भाग का रोग) दूर करता है।

ब्रेस्ट कैंसर / स्तन कैंसर के लक्षण और बचाव

By flipkart   Posted at  00:09   HEALTH NEWS No comments


ब्रेस्ट कैंसर / स्तन कैंसर के लक्षण और बचाव

 हमारे शरीर के सभी अंग सेल्स से बने होते हैं। जैसे-जैसे शरीर को जरूरत होती है, ये सेल्स आपस में बंटते रहते हैं और बढ़ते रहते हैं, लेकिन कई बार ऐसा भी होता है कि शरीर को इन सेल्स के बढ़ने की कोई जरूरत नहीं होती, फिर भी इनका बढ़ना जारी रहता है। बिना जरूरत के लगातार होने वाली इस बढ़ोतरी का नतीजा यह होता है कि उस खास अंग में गांठ या ट्यूमर बन जाता है। असामान्य तेजी से बंटकर अपने जैसे बीमार सेल्स का ढेर बना देने वाले एक सेल से ट्यूमर बनने में बरसों, कई बार तो दशकों लग जाते हैं। जब कम-से-कम एक अरब ऐसे सेल्स जमा होते हैं, तभी वह ट्यूमर पहचानने लायक आकार में आता है।

शर्म हावी न हो समस्या पर
ब्रेस्ट कैंसर एक गंभीर समस्या है, इसलिए सिर्फ शर्म की वजह से न तो इसको नजरअंदाज करें और न ही इस समस्या के बारे में चुप्पी साधें। इस विषय पर अपने आसपास के लोगों से चर्चा करें और इसके बारे में ज्यादा जानकारी लेने का प्रयास करें। जानकारी से इस रोग से बचाव संभव है। यदि आपको इस संबंध में किसी प्रकार की शंका हो तो डॉक्टर के पास जाकर सलाह अवश्य लें। कहा जाता है कि किसी बीमारी के इलाज से लाख गुना बेहतर होता है कि उससे बचाव की सावधानी बरती जाए। जुकाम से लेकर कैंसर तक इस सूत्र की सत्यता को झुठलाया नहीं जा सकता। बात ब्रेस्ट कैंसर की करें, तो हर युवती को 20 साल की उम्र से ही इस तरफ ध्यान देना शुरू कर देना चाहिए। वह स्वयं ही अपने ब्रेस्ट की जांच समय-समय पर करे, जैसे उसमें कोई गांठ न हो या ब्रेस्ट अनावश्यक रूप से मोटा न हुआ हो। इस बीमारी से बचाव के लिए सबसे महत्वपूर्ण है खानपान का ध्यान रखना। अगर अपने खानपान का लगातार ध्यान रखा जाए और कुछ एक्सरसाइज भी की जाए तो इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।

 ट्यूमर दो तरह के हो सकते हैं - बिनाइन और मैलिग्नेंट।

क्यों होता है कैंसर
वैसे तो ब्रेस्ट कैंसर के 100 में से 10 मामलों में ही अनुवांशिकता काम करती है, लेकिन कैंसर होने में जीन के बदलाव का 100 फीसदी हाथ होता है। जींस, एनवायरनमेंट और लाइफस्टाइल- ये तीन कारक मिलकर किसी के शरीर में कैंसर होने की आशंका को बढ़ाते हैं।

20 साल की उम्र से हर महिला को हर महीने पीरियड शुरू होने के 5-7 दिन बाद किसी दिन (मीनोपॉज में पहुंच चुकी महिलाएं कोई एक तारीख तय कर लें) खुद ब्रेस्ट की जांच करनी चाहिए। ब्रेस्ट और निपल को आईने में देखिए। नीचे ब्रा लाइन से लेकर ऊपर कॉलर बोन यानी गले के निचले सिरे तक और बगलों में भी अपनी तीन उंगलियां मिलाकर थोड़ा दबाकर देखें। उंगलियों का चलना नियमित स्पीड और दिशाओं में हो (यह जांच अपने कमरे में लेटकर या बाथरूम में शॉवर में भी कर सकती हैं)।
देखें कि ये बदलाव तो नहीं हैं :

ब्रेस्ट या निपल के साइज में कोई असामान्य बदलाव

कहीं कोई गांठ (चाहे मूंग की दाल के बराबर ही क्यों न हो) जिसमें अक्सर दर्द न रहता हो, ब्रेस्ट कैंसर में शुरुआत में आम तौर पर गांठ में दर्द नहीं होता
   
कहीं भी स्किन में सूजन, लाली, खिंचाव या गड्ढे पड़ना, संतरे के छिलके की तरह छोटे-छोटे छेद या दाने बनना
   
एक ब्रेस्ट पर खून की नलियां ज्यादा साफ दिखना
   
निपल भीतर को खिंचना या उसमें से दूध के अलावा कोई भी लिक्विड निकलना ब्रेस्ट में कहीं भी लगातार दर्द

(नोट : जरूरी नहीं है कि इनमें से एक या ज्यादा लक्षण होने पर कैंसर हो ही। वैसे भी युवा महिलाओं में 90 पर्सेंट गांठें कैंसर-रहित होती हैं। लेकिन 10 पर्सेंट गांठें चूंकि कैंसर वाली हो सकती हैं, इसलिए डॉक्टर से जरूर जांच कराएं।)

गलतफहमियां न पालें

कैंसर छूत की बीमारी नहीं है जो मरीज को छूने, उसके पास जाने या उसका सामान इस्तेमाल करने से हो सकती है।

कैंसर के मरीज का खून या शरीर की कोई चोट या जख्म छूने से कैंसर नहीं होता।

कैंसर डायबीटीज और हाई बीपी की तरह शरीर में खुद ही पैदा होनेवाली बीमारी है। यह किसी इन्फेक्शन से नहीं होती, जिसका इलाज एंटी-बायोटिक्स से हो सके।
   
चोट या धक्का लगने से ब्रेस्ट कैंसर नहीं होता।
   
20 साल की उम्र से किसी भी उम्र की महिला को ब्रेस्ट कैंसर हो सकता है।
   
ब्रेस्ट कैंसर पुरुषों को भी होता है। 100 में से एक ब्रेस्ट कैंसर का मरीज पुरुष हो सकता है।
  
खान-पान और लाइफस्टाइल में सुधार कर कैंसर होने की आशंका को कम किया जा सकता है। लेकिन एक बार कैंसर हो जाने के बाद उसे बिना दवा या सर्जरी के ठीक नहीं किया जा सकता। इसका प्रामाणिक इलाज अलोपथी ही है।

ज्यादातर (100 में से 90) मामलों में ब्रेस्ट कैंसर खानदानी बीमारी नहीं है। कई वजहें मिलकर कैंसर बनाती हैं।

ब्रेस्ट की 90 फीसदी गांठें कैंसर-रहित होती हैं। फिर भी हर गांठ की फौरन जांच करानी चाहिए।

ज्यादातर मामलों में कैंसर की शुरुआत में दर्द बिल्कुल नहीं होता।

कैंसर का इलाज मुमकिन है और इसके बाद भी सामान्य जिंदगी जी सकते हैं।

जागरूकता जरूरी
पहले ब्रेस्ट कैंसर विकसित देशों की, खाते-पीते परिवारों की महिलाओं की बीमारी मानी जाती थी, लेकिन अब यह हर वर्ग की महिलाओं में देखा जा रहा है। खास यह है कि ब्रेस्ट कैंसर के 50 फीसदी मरीजों को इलाज करवाने का मौका ही नहीं मिल पाता। कैंसर के सफल इलाज का एकमात्र सूत्र है - जल्द पहचान। जितनी शुरुआती अवस्था में कैंसर की पहचान होगी, इलाज उतना ही सरल, सस्ता, छोटा और सफल होगा। इसकी पहचान के बारे में अगर लोग जागरूक हों, अपनी जांच नियमित समय पर खुद करें तो मशीनी जांचों से पहले ही बीमारी के होने का अंदाजा हो सकता है।

Monday, 4 May 2015

स्पिरूलीना क्या है जाने क्या है इसके फायदे

By flipkart   Posted at  23:02   HEALTH NEWS No comments


स्पिरूलीना हरे-नीले रंग के शैवाल हैं। लैटिन अमेरिकी देशों में माया सभ्यता के दौरान इसे मुख्य भोजन के रुप में इस्तेमाल किया जाता था।

सही मायने देश में कुपोषण के खिलाफ जंग में वैज्ञानिकों को ‘स्पिरूलीना’ के रुप में वरदान मिल गया है।

भारत में स्पिरूलीना की कैंडी (कुल्फी, चॉकलेट या चिक्की के रूप में) को तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में स्थित दो हजार आदिवासी बच्चों पर आजमाया गया और इसका सकारात्मक असर देखा गया। इससे वैज्ञानिक उत्साहित हैं। चाइल्ड फंड इंडिया (सीएफआई) के राष्ट्रीय निदेशक डोला महापात्र के अनुसार, अध्ययन के दौरान बच्चों के दो समूह बनाए गए। एक समूह को ‘स्पिरूलीना कैंडी’ दी गई और दूसरे समूह को दैनिक भोजन। नियमित रूप से स्पिरूलीना का सेवन करने वालों की सेहत (कद और वजन) में दूसरे समूह के बच्चों के मुकाबले उत्साहजनक सुधार दिखा।

स्पिरूलीना एक कुपोषित व्यक्ति को उल्लेखनीय स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह विटामिन ए की कमी की वजह से आंख की समस्याओं को दूर कर सकते हैं कि बीटा कैरोटीन में समृद्ध है। प्रोटीन और बी-विटामिन जटिल एक शिशु के आहार में एक प्रमुख पोषण सुधार बनाता है। यह पूरे हार्मोन प्रणाली को विनियमित करने में मदद करता है कि एक आवश्यक फैटी एसिड जी एल ए की पर्याप्त मात्रा युक्त, मां के दूध के अलावा, केवल खाद्य स्रोत है।




Saturday, 2 May 2015

जानें कैंसर से बचाने वाले नौ खाद्य पदार्थों के बारे में - Learn about cancer protection nine foods

By flipkart   Posted at  03:59   NEWS No comments


जानें कैंसर से बचाने वाले नौ खाद्य पदार्थों के बारे में


लेकिन सब्जियां, फल, साबुत अनाज और फलियों से बना संतुलित आहार, आवश्यक विटामिन और मिनरल कैंसर से लड़ने में सहायता कर सकते हैं. एक नजर कैंसर से बचाने वाले नौ खाद्य पदार्थों पर-

01. लहसुन और प्याजः लहसुन और प्याज में मौजूद सल्फर कंपाउंड बड़ी आंत, स्तन, फेफड़े और प्रोस्टेट कैंसरकी कोशिकाओं को मार देते हैं. लहसुन ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है. यह इंसुलिन उत्पादन को कम करके शरीर में ट्यूमर नहीं होने देता.

02. सब्ज़ियां : फूलगोभी और ब्रोकोली शरीर में दो ताकतवर कैंसर रोधी अणु होते हैं. ये दोनों डिटोक्सीफिकेशन एंजाइम के उत्पादन को बढ़ाते हैं, जो कैंसर की कोशिकाओं को मारते हैं  और ट्यूमर को बढ़ने से रोकते हैं. और ये फेफड़े, प्रोस्टेट, मूत्राशय और पेट के कैंसर के जोखिम को कम करने के लिए भी जाने जाते हैं.

03. अदरक : ताजा अदरक में कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने वाले कुछ खास गुण होते हैं. और ट्यूमर की कोशिकाओं को रोकने के लिए मदद करते हैं. अदरक का अर्क कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी से होने वाली परेशानी को भी कम कर सकता है.

04. हल्दी : यह सबसे शक्तिशाली प्राकृतिक कैंसर रोधी है. यह कैंसर कोशिका को मारकर ट्यूमर को बढ़ने से रोकती है और साथ ही कीमोथेरेपी का असर बढ़ाती है. काली मिर्च के साथ तेल में मिलाने पर हल्दी और भी ज्यादा असरकारी हो जाती है.

05. पपीता, कीनू और संतरे : ये फल विटामिन और ऐसे तत्वों से भरपूर होते हैं जो लीवर में पाए जाने वाले कार्सिनोजन को अपने आप खत्म हो जाने के लिए मजबूर करते हैं. कीनू और उसके छिल्के में फ्लेवनोइड्स और नोबिलेटिन नामक तत्व होते हैं जिसमें कैंसर कोशिकाओं को रोकने की क्षमता है.

06. गाजर, आम और कद्दू : अल्फा और बीटा नामक कैरोटीन्स कैंसर को ख़त्म करने वाले शक्तिशाली कारक के रूप में जाने जाते हैं. ये तीनों फल गर्भाशय, मूत्राशय, पेट और स्तन कैंसर सहित कई प्रकार के कैंसर की रोकथाम में असरदार हैं.

07. अंगूर : ये एंथोसायनिन और पुलीफेनल्स की मदद से शरीर में कैंसर के कणों का उत्पादन कम करने में अहम रोल अदा करते हैं.

08. टमाटर और तरबूज : ये लाइकोपीन का समृद्ध स्रोत हैं, जिसे एक बहुत मजबूत एंटीऑक्सीडेंट माना जाता है. यह सेलुलर क्षति से सुरक्षा प्रदान करता है. एक सप्ताह के दौरान टमाटर को भोजन के दसवें भाग के रूप में खाने से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा लगभग 18 फीसदी कम हो जाता है.

09. फलियां और दाल : दाल और फलियां प्रोटीन का एक समृद्ध स्रोत होने के अलावा फाइबर और फोलेट प्रदान करते हैं जो पैनक्रियाज़ के कैंसर के खतरे को कम कर सकते हैं. फलियां में प्रतिरोधी स्टार्च होता है जो बड़ी आंत की कोशिकाओं के स्वास्थ्य में सुधार करते हैं.

आंखों के नीचे काले घेरे ऐसे करें दूर - Under Eye dark circle issue

By flipkart   Posted at  02:28   LIFE STYLE No comments


आंखों के नीचे काले घेरे ऐसे करें दूर

खूबसूरत  आंखे देखने वाले को अपनी और खीच लेती हे। लेकिन अगर आँखों के नीचे  झुर्रिया या लाइन्स  हो तो चेहरे की खूबसूरती फीकी पड  जाती हे। आँखों के नीचे की त्वचा काफी नाजुक होती हे और इनमे आयल  ग्लैंड्स न होने की वजह से इस जहा सबसे पहले झुर्रिया आ जाती हे।

 स्टीम या भाप चहरे पर - चेहरे पर भाप लेने से आँखों के नीचे को कोशिकाए को काफी नुकसान होता हे। आँखों पर गुलाब जल का फाया रखने से ठंडक जरुर मिलती हे लेकिन भाप से हुए नुकसान सही नहीं होता। और न ही केवल खीरा या आलू का टुकड़ा रखने से फायदा होता हे। इसलिए आलू या खीरे को कद्दुकस करके उसके छल्ले या रस निकाल के आँखों पर रखे। ये काफी फायदा करता हे।

घरेलु उपाय काले घेरो के लिए -
1. आँखों के नीचे या आस पास कभी भी कोई फेस पैक न लगाये। जब पैक सूखता हे तो उससे त्वचा में खेचाव होता हे जिससे झुर्रिया हो जाती हे।

2. चेहरे की मालिश के बाद आँखों के आस पास अंडर आई क्रीम से मालिश करे। या अगर नार्मल क्रीम से मालिश की हे तो मालिश के बाद एक्स्ट्रा  क्रीम को गीली रुई से साफ कर दे।

3. 2 चम्मच चाय की पत्ती को थोड़े से पानी में 2 मिनिट के लिए उबाल ले। फिर छान  ले।
इस पानी को 2 भागो में बाट ले। एक हिस्से को फ्रीजर में रख कर ठंडा करे। और दुसरे को हल्का गरम ही रहने दे।

अब इस गरम पानी में रुई डुबो कर 2 मिनिट के लिए आँखों के नीचे रखे। फिर 2 मिनिट बाद ठन्डे पानी में रुई डुबो कर सेक करे। इस तरह 5 बार ठंडा गरम का सेक करे। ध्यान दे ये हफ्ते में 2 बार से ज्यादा न करे।

4. अब आँखों के नीचे अंडर आई पैक लगाये
अंडर आई पैक - 1 छोटा चम्मच शहद में 1/4 चम्मच खीरे का रस, 1/4 चम्मच आलू का रस और 2 ड्रॉप्स  बादाम का तेल डाले।

इस पैक को आँखों के चारो तरफ लगा कर 20 मिनिट के लिए सूखने दे। फिर सादे पानी से धो ले।

हफ्ते में 1 या 2 बार ये उपाय करके आँखों के खूबसूरती को वापस लाया जा सकता हे। और हमेशा बरक़रार रखा जा सकता हे।

कुछ और टिप्स -

अच्छी रात की नींद
यह आप काम के एक व्यस्त दिन के बाद एक अच्छा रात आराम पाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है . आंखें भी आराम की जरूरत है और आप आंख puffiness को कम करने और भी काले घेरे के प्रभाव को कम करने के लिए हर दिन सात घंटे की एक न्यूनतम के लिए नींद की ज़रूरत है .

योग और ध्यान
योग और ध्यान यह हमेशा ताजा और ऊर्जा से भरा हुआ अपने मन और शरीर रखेंगे काले घेरे को कम करने के लिए अद्भुत काम करेंगे . तुम आराम करो और मन की पूर्ण शांति प्राप्त करने में सक्षम हैं, तो आपकी त्वचा भी चमक के लिए शुरू कर देंगे और आप अपनी आंखों के नीचे काले घेरे पर महान परिणाम देखेंगे . हर दिन योग और ध्यान का अभ्यास आसानी से काले घेरे से छुटकारा पाने के लिए पर जवाब में से एक है .

पके सेब
सेब में मौजूद है कि टनीन एसिड आपकी त्वचा टोन बिजली में मदद मिलेगी और इसलिए काले घेरे के इलाज के लिए एक बहुत अच्छा और कारगर उपाय है जाएगा . आप छोटी सी पतली स्लाइस में पका हुआ सेब कटौती और फिर लगभग आधे घंटे के लिए अपनी आंखों के शीर्ष पर सीधे रख सकते हैं. यह नियमित रूप से इस्तेमाल अगर काले घेरे को कम करने में मदद मिलेगी .

ग्रीन एप्पल
आप भी अपनी आंखों के नीचे और प्रभावित क्षेत्र में उबले हरे सेब का पेस्ट लागू करते हैं और आधे घंटे के लिए वहां छोड़ सकते हैं . फिर, आप गुनगुने पानी के साथ बंद कुल्ला कर सकते हैं . पोटेशियम , विटामिन बी और सेब में सी उपस्थित भी त्वचा टोनिंग  में मदद करेगा और आपके आंखों के नीचे की त्वचा को पोषण दे देंगे .

नींबू का रस
नींबू का अर्क अच्छी तरह से अपनी विरंजन गुणों के लिए जाना जाता है और यह आप नींबू का रस निकालने और कपास गेंदों की मदद से अपनी आंखों के नीचे इस रस लागू करते हैं और आधे घंटे के लिए वहां छोड़ सकते हैं विटामिन सी का एक समृद्ध स्रोत है . बाद में, आप नम कपड़े का उपयोग कर इसे मिटा सकते हैं . अपनी आंखों के नीचे त्वचा के रंग में कमी देखने को कुछ दिनों के लिए इस प्रक्रिया को दो से तीन बार एक दिन दोहराएँ .

प्राकृतिक आंख के नीचे घर पैक
आप बेसन , नींबू के रस का एक बड़ा चमचा , ताजा टमाटर प्यूरी के दो या तीन बड़े चम्मच हल्दी पाउडर के एक चम्मच के एक चम्मच मिश्रण से आंख पैक के तहत अपने स्वयं के लिए तैयार है और एक चिकनी पेस्ट के रूप में यह कर सकते हैं . धीरे आंखों के आसपास इस पेस्ट लागू करें और इस मिश्रण आप हल्के साबुन और पानी से अपने चेहरे और आंखों धोया के बाद ही लागू हो गया है . आपकी त्वचा पर सूखे और फिर इसे बंद कुल्ला करने के लिए इस मिश्रण को छोड़ दें . आप आँख त्वचा के साथ ही अंधेरे आंखों के रंग में कमी के अंतर्गत चिकनी आनंद लेने के लिए तीन से चार बार एक सप्ताह के लिए आंख पैक के अधीन किए गए इस घर का उपयोग कर सकते हैं .


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झड़ते बालों से न हो परेशान करें ये सरल उपाय

By flipkart   Posted at  00:02   HEALTH NEWS No comments


झड़ते बालों से न हो परेशान करें ये सरल उपाय

प्राकृतिक रूप से अच्छे बाल सुन्दरता की एक पहचान है| पर कई लोग बालों की समस्या जैसे बालों का झड़ना, तैलीय बाल, रूसी, रूखे बालों से परेशान रहते है|

इन सभी में बालों का झड़ना सबसे बड़ी समस्या है जिसके कई कारण हो सकते हैं जैसे बालो का पतला होना, गंजापन, कंघी करते समय बालों का झड़ना इत्यादि|

बाल झड़ने के मुख्य कारण

हारमोंस में असंतुलन– यह बाल झड़ने का सबसे आम कारण हैं| पुरुषो में टेस्टोस्टेरोन और स्त्रियों में एस्ट्रोजन सबसे महत्वपूर्ण हारमोंस हैं बाल झड़ने का

थाइरोइड की समस्या – थाइरोइड ग्रंथि हारमोंस को नियंत्रित करती है| अगर ये ठीक से काम न करे तो शरीर के हारमोंस में असंतुलन होगा जिससे बाल झड़ने की समस्या हो सकती है|

सिर की त्वचा में संक्रमण – इससे बालों की जडें कमज़ोर होती हैं|

शरीर में लोहे की कमी – लोहे की कमी से बालों की जड़ो में केरोटीन की कमी हो जाती है जिससे बाल झड़ने लगते हैं|

बालों की शैली– बालों को रंगने और अत्यधिक शैली परिवर्तन से बालों की जडें कमज़ोर ओ जाती हैं| अप्राकृतिक रंगो में अमोनिया होता है जो बालों को हानि पहुचाता हैं|

असंतुलित भोजन – इससे भी बाल झड़ते हैं इसलिए भोजन में प्रोटीन्स, विटामिन ई, ओमेगा 3 फैटी अम्ल अवश्य लें|

कुछ इस तरह से टूटते बालों से बचा जा सकता है -

आपको बता दें कि बाल झड़ने के कई कारण होते हैं जैसे कि - सिर को गंदा रखने पर ज्यादा बाल झड़ते हैं, जबकि नियमित शैंपू करने पर कम। जो लोग खुले में ज्यादा नहीं जाते और ज्यादातर एसी में रहते हैं, वे हफ्ते में दो-तीन बार शैंपू करें। जो बाहर का काम करते हैं या जिन्हें पसीना ज्यादा आता है, उन्हें रोजाना बाल धोने चाहिए।

तेल बालों को भारी और गंदा बनाता है। नहाने के बाद तेल लगाने का कोई फायदा नहीं है। तेल लगाने से बाल लंबे होने की बात भी गलत है। कई लोगों को लगता है कि तेल लगाकर बाल धोने से बाल मजबूत होते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। हां, उनमें लुब्रिकेशन और चमक जरूर आ जाती है।

बालों को मजबूत बनाने और टूटने से बचाने के लिए आपको सप्ताह में कम से कम दो बार बालों की जड़ों में आंवला, बादाम, ऑलिव ऑयल, नारियल का तेल, सरसो का तेल इत्यादि में से कोई एक लगाना चाहिए। इससे बालों का झड़ना, बाल पतले होना, डैंड्रफ, दोमुंहे बाल व उम्र से पहले बालों का सफेद होने जैसी प्रॉब्लम्स से निपटा जा सकता है।

बालों को झड़ने से बचाने के लिए आपको अपने बालों को धूप से बचाना चाहिए। जब भी आप बाहर धूप में जाएं तो अपने साथ छाता लेकर जाएं या फिर अपने बालों को कपड़े से पूरी तरह ढक लें।

कई शैंपू एक्स्ट्रा प्रोटीन होने का दावा करते हैं। इसी तरह प्रोटीन युक्त सीरम भी मार्केट में मिलते हैं। बाल धोने के दौरान शैंपू का प्रोटीन बालों के अंदर नहीं जाता। इसका काम बालों की बाहरी सतह यानी क्यूटिकल को साफ करना है। बालों को प्रोटीन की जरूरत है, लेकिन वह खुराक से मिलता है।

कुछ लोग बालों में बार-बार कंधी करते हैं,ये सोचकर कि इससे बाल लंबे होंगे या फिर बाल सुलझें रहेंगे लेकिन आपको बता दें इससे भी कई बार बाल झड़ते है। आपको बालों को दिन में कम से कम 2-3 बार कंधी करें, इससे आपके बाल कम से कम उलझेंगे और बाल कम टूटेंगे। यानी बाल सुलझे भी रहेंगे और बालों के टूटने का डर भी खत्म।

100 ग्राम आंवले को 20 मिनट तक नारियल के तेल में उबाल लें| अब छन्नी से तेल को छान ले और किसी ठण्डे स्थान पर संभल कर रख दें| इसे लगाने से बाल फिर से बढ़ने लगेंगे|
100 ग्राम मेहँदी के पत्तों को नारियल के तेल में 20 मिनट तक उबल लें और चान कर किसी ठन्डे स्थान पर रख दें| इसे बालों की जड़ो में लगायें|

नारियल तेल को बालों की जड़ो में लगाने से क्षतिग्रस्त बालों को फिर से ठीक किया जा सकता है|

½ कप दही, 1 चम्मच पुदीना पाउडर और एक चम्मच जैतून का तेल मिला कर सिर में लगाने से बालों का झड़ना नियंत्रित किया जा सकता है|

शैंपू करने के बाद बहुत-से लोग कंडिशनर नहीं लगाते। उन्हें लगता है कि इससे बाल कमजोर हो जाते हैं। यह गलत है। कंडिशनर से बालों की चमक बनी रहती है और वे उलझते नहीं हैं। ध्यान रखें कि कंडिशनर सिर की सतह यानी त्वचा में न जाए। इससे बालों को नुकसान पहुंचता है।

नजला-जुकाम से बाल टूटने की भ्रांति बहुत लोगों में होती है। असल में देखा गया है कि नजले-जुकाम आदि से पीड़ित लोग ज्यादातर दवाएं खाते रहते हैं और उनकी सेहत ठीक नहीं होती। इस वजह से कई बार बाल गिरने लगते हैं। नजला/जुकाम से बाल नहीं गिरते।

अक्सर लोग सफेद बाल उखाड़ने से मना करते हैं क्योंकि उनका मानना होता है कि अगर एक बाल उखाड़ेंगे तो उसकी जड़ से दव निकलेगा, जो आसपास के बालों को भी सफेद कर देगा। यह गलत है।

Friday, 1 May 2015

तलाक से महिलाओं में बढ़ जाता है दिल के दौरे ...

By flipkart   Posted at  22:56   HEALTH NEWS No comments


तलाक से महिलाओं में बढ़ जाता है दिल के दौरे ...

तलाक के बाद दिल टूटने के बारे में तो सभी लोगों ने सुना होगा लेकिन तलाकशुदा पुरुषों के दिल पर इसका जितना असर होता है, उससे दोगुना असर महिलाओं के दिल पर हाेता है और इसके कारण उनमें दिल का दौरा पड़ने की आशंका दोगुना बढ़ जाती है. अमेरिका में उत्तरी कैरोलीना की ड्यूक यूनीवर्सिटी में हाल ही में हुए एक शोध के मुताबिक खुशहाल शादीशुदा महिलाओं की तुलना में तलाकशुदा महिलाओं में दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है और पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह खतरा दोगुना रहता है.

अपने तरह के अनोखे इस शोध में शोध ने 18 वर्षों तक लगभग 16 हजार पुरुष और महिलाओं का अध्ययन किया। इनमें से हर तीसरे व्यक्ति का इस दौरान कम से कम एक बार तलाक हुआ, जिनमें से 12 सौ लोगों को दिल का दौरा पड़ा। इनमें बड़ी संख्या महिलाओं की थी। शोध के मुताबिक, महिलाओं को पहली शादी के टूटने की मानसिक पीड़ा से उबरने में काफी मुश्किल होती है।

शादीशुदा महिलाओं के मुकाबले तलाकशुदा महिलाओं में दिल का दौरा पडने का खतरा 24 फीसदी बढ़ जाता है. महिलाएं अपने रिश्ते को लेकर इतनी संवेदनशील होती हैं कि उसके टूटने से वह तनाव, दुख और ऐसी तमाम मानिसक पीड़ा से गुजरती हैं जो दिल के दौरे की आशंका को बहुत ज्यादा बढ़ा देती हैं. दो या उस से ज्यादा तलाक के बाद शादीशुदा महिलाओं के मुकाबले तो यह खतरा और भी बढ़ जाता है. शोध में हालांकि यह भी बताया गया है कि अपनी जीवनसाथी से अलगाव के बाद पुरुषों में भी दिल के दौरे का खतरा बढ़ जाता है लेकिन यह महिलाओं की तुलना में काफी कम होता है. शोध के मुताबिक महिलाओं में दाेबारा शादी के बाद भी ये खतरा बना रहता है जबकि पुरुषों का दिल दूसरी शादी के बाद और तंदुरुस्त हो जाता है. अपने तरह के

यूक युनिवर्सिटी  के प्रोफेसर जॉर्ज ने बताया कि तलाक के कारण तनाव की समस्या पैदा हो जाती है, जिस वजह से शरीर में रक्तचाप और हार्मोन प्रभावित होता है, जिसका असर दिल पर होता है। हालांकि ब्रिटिश हार्ट फॉउंडेशन का कहना है कि तलाक के मामलों को दिल के दौरे के खतरे से जोडऩे से पहले और अधिक शोध किए जाने की जरूरत है। इस से पहले एक और शोध से पता चला था कि अविवाहित लोगों में शादीशुदा लोगों के मुकाबले दिल का दौरा पडऩे की संभावना ज्यादा होती है।

Thursday, 30 April 2015

क्या होती है इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल

By flipkart   Posted at  00:54   HEALTH NEWS No comments
क्या होती है इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल

एक गोली ने औरतों की दुनिया बदल दी। कॉन्ट्रासेप्टिव पिल के आने के बाद महिलाएं महज बच्चे पैदा करने की मशीन नहीं रह गईं , बल्कि वे खुद से फैसला करने लगीं कि उन्हें मां कब बनना है। इस रिवोल्यूशन का अगला स्टेप था इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल , जिसे एहतियात बरते बिना सेक्स करने के फौरन बाद खा लेने से गर्भ ठहरने की आशंका नहीं रहती। मगर इस गोली की वजह से महिलाओं का भला ही नहीं , बुरा भी हो रहा है। इन गोलियों के अंधाधुंध इस्तेमाल की वजह से होने वाली दिक्कतों और प्रेग्नेंसी रोकने और फैमिली प्लानिंग के दूसरों तरीकों पर तमाम एक्सर्पट्स से बात के बाद जो जानकारी हमने इकट्ठा की , उसके अनुसार ...

क्या होती है इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल
अनसेफ सेक्स के बाद प्रेग्नेंसी रोकने के लिए खाई जाने वाली गोली। इस गोली में दो - तीन तरह के हॉर्मोंस की हेवी डोज होती है। ये हॉर्मोन हैं - इस्ट्रजन और प्रजेस्टिन। कुछ गोलियों में इन दोनों का कॉम्बिनेशन होता है तो कुछ में इनके साथ एंटीप्रजेस्टिन भी होता है। मार्केट में मिल रही कुछ पॉपुलर इमरजेंसी पिल आईपिल और पिल -72 हैं। दावा किया जाता है कि अगर इन दवाओं को अनसेफ सेक्स के 72 घंटे के अंदर खा लिया जाए तो प्रेग्नेंट होने की संभावना नहीं रहती।

कैसे करती है काम
इमरजेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल यूटरस ( गर्भाशय ) की अंदरूनी सतह पर असर करती है। इस सतह या इनर लाइनिंग को एंडोमीट्रियम कहते हैं। पिल में मौजूद हॉर्मोंस की वजह से इसमें कुछ फिजिकल और बायोकेमिकल चेंज होते हैं। जब एक एग फर्टिलाइज होता है , तो उसे खुद को इंप्लांट करना होता है , जो पिल से आए बदलावों की वजह से मुमकिन नहीं हो पाता।

इसके अलावा हॉर्मोन वेजाइना के अंदरूनी हिस्से सर्विक्स ( यही हिस्सा वेजाइना को यूटरस से जोड़ता है ) में रिसने वाले फ्लुइड ( सर्वाइकल म्यूकस ) को गाढ़ा कर देते हैं। इस म्यूकस के गाढ़ा होने की वजह से वेजाइना के अंदर स्पर्म आसानी से ट्रांसपोर्ट नहीं कर पाते हैं और गर्भ ठहरने की संभावना कम हो जाती है।

बारिश में डायरिया होने पर बरतें सावधानियां

By flipkart   Posted at  00:19   HEALTH NEWS No comments



बारिश में डायरिया होने पर बरतें सावधानियां

 बारिश के दिनों में गैस्ट्रोएंट्राइटिस होने पर डायरिया और उल्टियां होने जैसी परेशानियां हो सकती हैं। यह वायरस, बै‍क्टीरिया या पैरासाइट्स से होता है। इस बीमारी का मुख्य कारण पानी का संक्रमित होना है।

क्या सावधानी बरतें :
हमेशा फिल्टर्ड पानी इस्तेमाल में लाएं। घर में लगे वॉटर फिल्टर की नियमित रूप से सर्विस कराएं।

    इसका कंटेनर अंदर से बिलकुल सूखा होना चाहिए। इसे नल के पानी से साफ करें। अगर यह अंदर से गीला होगा तो फिल्टर होकर जमा होने वाला पानी नल के पानी से मिक्स होकर संक्रमित होकर संक्रमित हो जाएगा। इसे सामान्य पानी से साफ करने के बाद आखिर में उबले या फिल्टर किए पानी से अंदर से धो लें ताकि यह जर्म्स फ्री हो जाए।
  
 इसके कंटेनर को नियमित रूप से धोएं। इसे 2-3 दिन के लिए यों ही रखा रहने देने से भी इसके अंदर गंदगी जमा हो जाती है।

फिल्टर पानी को 24 घंटे के अंदर-अंदर इस्तेमाल करें। इस्तेमाल में लाने के बाद इसके कंटेनर को फिर से साफ करें।

छोटे बच्चों को फिल्टर के पानी को उबालकर व ठंडा करके पीने के लिए देना चाहिए।

डेढ़-दो साल के बच्चे को नहलाना भी इसी पानी से चाहिए, क्योंकि नहलाते समय पानी उनके मुंह में चला जाता है। उससे भी डायरिया हो सकता है।

कई पैरेंट्स बच्चे को गीजर से गरम किए पानी से यह सोचकर नहला देते हैं कि पानी गरम होने की वजह से जर्म्स फ्री हो गया है। ऐसा न करें।

हमेशा खाना बनाने से पहले हाथ धोएं। फल-सब्जियां अच्छी तरह साफ कर इस्तेमाल करें।

बच्चे को भी हाथ धोकर खाना खाने को कहें। छोटे बच्चे दीवारों पर हाथ लगाते हुए चलते हैं और उसी हाथ से खाना खा लेते हैं। इससे भी संक्रमण का खतरा रहता है।

डेढ़ से दो साल बच्चे जिनके दांत निकल रहे होते हैं, उनमें डायरिया होना सामान्य समस्या है। इसका कारण जमीन पर रखी कोई भी संक्रमित चीज उठाकर मुंह में डालकर चबाना है।

डायरिया का दांत निकलने से कोई संबंध नहीं है जबकि अकसर मां यही कहती हैं कि बच्चा दांत निकाल रहा है इसलिए डायरिया हो गया है। मां ध्यान रखें कि बच्चे जो भी चीज मुंह में डालें, वह साफ हो।

बच्चे को बाजार से कोई भी कटा फल न खाने को दें और न ही ज्यूस पीने दें। मक्खियों की वजह से संक्रमण हो सकता है।

मां बच्चों को गरमियों में दही, छाछ, मट्ठा आदि खूब दें। दही पाचन शक्ति बढ़ाता है और इंफेक्शन से बचाता है।

बड़े लोगों को डायरिया हो तो वे इलाज कराने पर जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन बच्चों को अकसर ठीक होने में वक्त लग जाता है।

अगर बच्चे को डायरिया हो जाए तो डॉक्टर से इलाज कराएं। इसमें मुख्य रूप से डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है

Tuesday, 28 April 2015

जाने कैसे फायदा करता है हमारे शरीर के लिये सेंधा नमक

By flipkart   Posted at  04:24   HEALTH NEWS No comments


जाने कैसे फायदा करता है हमारे शरीर के लिये सेंधा नमक

प्राकृतिक नमक हमारे शरीर के लिये बहुत जरूरी है। इसके बावजूद हम सब घटिया किस्म का आयोडिन मिला हुआ समुद्री नमक खाते है। यह शायद आश्चर्यजनक लगे , पर यह एक हकीकत है ।

नमक विशेषज्ञ का कहना है कि भारत मे अधिकांश लोग समुद्र से बना नमक खाते है जो की शरीर के लिए हानिकारक और जहर के समान है । समुद्री नमक तो अपने आप मे बहुत खतरनाक है लेकिन उसमे आयोडिन नमक मिलाकर उसे और जहरीला बना दिया जाता है , आयोडिन की शरीर मे  अधिक मात्र जाने से नपुंसकता जैसा गंभीर रोग हो जाना मामूली बात है।

उत्तम प्रकार का नमक सेंधा नमक है, जो पहाडी नमक है । आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयों मे सेंधा नमक का उपयोग होता है।आम तौर से उपयोग मे लाये जाने वाले समुद्री नमक से उच्च रक्तचाप ,डाइबिटीज़,लकवा आदि गंभीर बीमारियो का भय रहता है । इसके विपरीत सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप पर नियन्त्रण रहता है । इसकी शुद्धता के कारण ही इसका उपयोग व्रत के भोजन मे होता है ।

ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को 'सेंधा नमक' या 'सैन्धव नमक' कहा जाता है जिसका मतलब है 'सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ'। अक्सर यह नमक इसी खान से आया करता था। सेंधे नमक को 'लाहौरी नमक' भी कहा जाता है क्योंकि यह व्यापारिक रूप से अक्सर लाहौर से होता हुआ पूरे उत्तर भारत में बेचा जाता था।

भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनिया भारत मे नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है ,उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द्वारा भारत की भोली-भाली जनता को आयोडिन मिलाकर समुद्री नमक खिलाया जा रहा है सिर्फ आयोडीन के चक्कर में ज्यादा नमक खाना समझदारी नहीं है,

क्योंकि आयोडीन हमें आलू, अरबी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है।
यह सफ़ेद और लाल रंग मे पाया जाता है । सफ़ेद रंग वाला नमक उत्तम होता है। यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और

पाचन मे मदद करता है, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़्ते हैं। रक्त विकार आदि के रोग जिसमे नमक खाने को मना हो उसमे भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह पित्त नाशक और आंखों के लिये हितकारी है । दस्त, कृमिजन्य रोगो और रह्युमेटिज्म मे काफ़ी उपयोगी होता है ।
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