बारिश में डायरिया होने पर बरतें सावधानियां
बारिश के दिनों में गैस्ट्रोएंट्राइटिस होने पर डायरिया और उल्टियां होने जैसी परेशानियां हो सकती हैं। यह वायरस, बैक्टीरिया या पैरासाइट्स से होता है। इस बीमारी का मुख्य कारण पानी का संक्रमित होना है।
क्या सावधानी बरतें :
हमेशा फिल्टर्ड पानी इस्तेमाल में लाएं। घर में लगे वॉटर फिल्टर की नियमित रूप से सर्विस कराएं।
इसका कंटेनर अंदर से बिलकुल सूखा होना चाहिए। इसे नल के पानी से साफ करें। अगर यह अंदर से गीला होगा तो फिल्टर होकर जमा होने वाला पानी नल के पानी से मिक्स होकर संक्रमित होकर संक्रमित हो जाएगा। इसे सामान्य पानी से साफ करने के बाद आखिर में उबले या फिल्टर किए पानी से अंदर से धो लें ताकि यह जर्म्स फ्री हो जाए।
इसके कंटेनर को नियमित रूप से धोएं। इसे 2-3 दिन के लिए यों ही रखा रहने देने से भी इसके अंदर गंदगी जमा हो जाती है।
फिल्टर पानी को 24 घंटे के अंदर-अंदर इस्तेमाल करें। इस्तेमाल में लाने के बाद इसके कंटेनर को फिर से साफ करें।
छोटे बच्चों को फिल्टर के पानी को उबालकर व ठंडा करके पीने के लिए देना चाहिए।
डेढ़-दो साल के बच्चे को नहलाना भी इसी पानी से चाहिए, क्योंकि नहलाते समय पानी उनके मुंह में चला जाता है। उससे भी डायरिया हो सकता है।
कई पैरेंट्स बच्चे को गीजर से गरम किए पानी से यह सोचकर नहला देते हैं कि पानी गरम होने की वजह से जर्म्स फ्री हो गया है। ऐसा न करें।
हमेशा खाना बनाने से पहले हाथ धोएं। फल-सब्जियां अच्छी तरह साफ कर इस्तेमाल करें।
बच्चे को भी हाथ धोकर खाना खाने को कहें। छोटे बच्चे दीवारों पर हाथ लगाते हुए चलते हैं और उसी हाथ से खाना खा लेते हैं। इससे भी संक्रमण का खतरा रहता है।
डेढ़ से दो साल बच्चे जिनके दांत निकल रहे होते हैं, उनमें डायरिया होना सामान्य समस्या है। इसका कारण जमीन पर रखी कोई भी संक्रमित चीज उठाकर मुंह में डालकर चबाना है।
डायरिया का दांत निकलने से कोई संबंध नहीं है जबकि अकसर मां यही कहती हैं कि बच्चा दांत निकाल रहा है इसलिए डायरिया हो गया है। मां ध्यान रखें कि बच्चे जो भी चीज मुंह में डालें, वह साफ हो।
बच्चे को बाजार से कोई भी कटा फल न खाने को दें और न ही ज्यूस पीने दें। मक्खियों की वजह से संक्रमण हो सकता है।
मां बच्चों को गरमियों में दही, छाछ, मट्ठा आदि खूब दें। दही पाचन शक्ति बढ़ाता है और इंफेक्शन से बचाता है।
बड़े लोगों को डायरिया हो तो वे इलाज कराने पर जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन बच्चों को अकसर ठीक होने में वक्त लग जाता है।
अगर बच्चे को डायरिया हो जाए तो डॉक्टर से इलाज कराएं। इसमें मुख्य रूप से डिहाइड्रेशन का खतरा रहता है
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