5 पंचम भाव :
कुंडली के पाँचवे घर को भारतीय वैदिक ज्योतिष में सुत भाव अथवा संतान भाव भी कहा जाता है तथा अपने नाम के अनुसार ही कुंडली का यह घर संतान प्राप्ति के बारे में बताता है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली से उसकी संतान पैदा करने की क्षमता मुख्य रुप से कुंडली के इसी घर से देखी जाती है, हालांकि कुंडली के कुछ और तथ्य भी इस विषय में अपना महत्त्व रखते है। यहां पर यह बात घ्यान देने योग्य है कि कुंडली का पाँचवा घर केवल संतान की उत्पत्ति के बारे में बताता है तथा संतान के पैदा हो जाने के बाद व्यक्ति के अपनी संतान से रिश्ते अथवा संतान से प्राप्त होने वाला सुख को कुंडली के केवल इसी घर को देखकर नहीं बताया जा सकता तथा उसके लिए कुंडली के कुछ अन्य तथ्यों पर भी विचार करना पड़ता है।
कुंडली का पाँचवा घर बलवान होने से तथा किसी शुभ ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक स्वस्थ संतान पैदा करने में पूर्ण रुप से सक्षम होता है तथा ऐसे व्यक्ति की संतान आम तौर पर स्वस्थ होने के साथ-साथ मानसिक, शारीरिक तथा बौद्भिक स्तर पर भी सामान्य से अधिक होती है तथा समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सक्षम होती है। दूसरी ओर कुंडली का पाँचवा घर बलहीन होने की स्थिति में अथवा इस घर के किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक को संतान की उत्पत्ति में समस्याएं आती हैं तथा ऐसे व्यक्तियों को आम तौर पर संतान प्राप्ति देर से होती है, या फिर कई बार होती ही नहीं।
कुंडली का पाँचवा घर व्यक्ति के मानसिक तथा बौद्धिक स्तर को दर्शाता है तथा उसकी कल्पना शक्ति, ज्ञान, उच्च शिक्षा, तथा ऐसे ज्ञान तथा उच्च शिक्षा से प्राप्त होने वाले व्यवसाय, धन तथा समृद्धि के बारे में भी बताता है। कुंडली के पाँचवे घर के बलवान होने से तथा किसी शुभ ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम होता है तथा आम तौर पर इस शिक्षा के आधार पर आगे जाकर उसे जीवन में व्यवसाय भी प्राप्त हो जाता है जिससे इस शिक्षा की प्राप्ति सार्थक हो जाती है जबकि कुंडली के पाँचवे घर के बलहीन होने अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक आम तौर पर उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता अथवा उसे इस शिक्षा को व्यवसाय में परिवर्तित करने का उचित अवसर नहीं मिल पाता।
कुंडली का पाँचवा घर कुडली धारक के प्रेम-संबंधों के बारे में, उसके पूर्व जन्मों के बारे में तथा उसकी आध्यात्मिक रुचियों तथा आध्यात्मिक प्रगति के बारे में भी बताता है। कुंडली के पाँचवे घर पर किन्हीं विशेष अच्छे या बुरे ग्रहों के प्रभाव का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने पर कुंडली धारक के पूर्व जन्मों में संचित किए गए अच्छे अथवा बुरे कर्मों के बारे में भी पता चल सकता है तथा कुंडली धारक की आध्यत्मिक यात्रा की उन्नति या अवनति का भी पता चल सकता है। कुंडली धारक के जीवन में आने वाले प्रेम-संबंधों के बारे जानने के लिए भी कुंडली के इस घर पर ध्यान देना आवश्यक है तथा पूर्व जन्मों से संबंधित प्रेम-संबंध भी कुंडली के इस घर से जाने जा सकते हैं।
शरीर के अंगों में कुंडली का यह घर जिगर, पित्ताशय, अग्न्याशय, तिल्ली, रीढ की हड्डी तथा अन्य कुछ अंगों को दर्शाता है। महिलाओं की कुंडली में कुंडली का यह घर प्रजनन अंगों को भी कुछ हद तक दर्शाता है जिससे उनकी प्रजनन करने की क्षमता का पता चलता है। कुंडली के पाँचवे घर पर किन्हीं विशेष बुरे ग्रहों का प्रभाव कुंडली धारक को प्रजनन संबंधित समस्याएं तथा मधुमेह, अल्सर तथा पित्ताशय में पत्थरी जैसी बिमारियों से पीड़ित कर सकता है।
कुंडली के पाँचवे घर को भारतीय वैदिक ज्योतिष में सुत भाव अथवा संतान भाव भी कहा जाता है तथा अपने नाम के अनुसार ही कुंडली का यह घर संतान प्राप्ति के बारे में बताता है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली से उसकी संतान पैदा करने की क्षमता मुख्य रुप से कुंडली के इसी घर से देखी जाती है, हालांकि कुंडली के कुछ और तथ्य भी इस विषय में अपना महत्त्व रखते है। यहां पर यह बात घ्यान देने योग्य है कि कुंडली का पाँचवा घर केवल संतान की उत्पत्ति के बारे में बताता है तथा संतान के पैदा हो जाने के बाद व्यक्ति के अपनी संतान से रिश्ते अथवा संतान से प्राप्त होने वाला सुख को कुंडली के केवल इसी घर को देखकर नहीं बताया जा सकता तथा उसके लिए कुंडली के कुछ अन्य तथ्यों पर भी विचार करना पड़ता है।
कुंडली का पाँचवा घर बलवान होने से तथा किसी शुभ ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक स्वस्थ संतान पैदा करने में पूर्ण रुप से सक्षम होता है तथा ऐसे व्यक्ति की संतान आम तौर पर स्वस्थ होने के साथ-साथ मानसिक, शारीरिक तथा बौद्भिक स्तर पर भी सामान्य से अधिक होती है तथा समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने में सक्षम होती है। दूसरी ओर कुंडली का पाँचवा घर बलहीन होने की स्थिति में अथवा इस घर के किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक को संतान की उत्पत्ति में समस्याएं आती हैं तथा ऐसे व्यक्तियों को आम तौर पर संतान प्राप्ति देर से होती है, या फिर कई बार होती ही नहीं।
कुंडली का पाँचवा घर व्यक्ति के मानसिक तथा बौद्धिक स्तर को दर्शाता है तथा उसकी कल्पना शक्ति, ज्ञान, उच्च शिक्षा, तथा ऐसे ज्ञान तथा उच्च शिक्षा से प्राप्त होने वाले व्यवसाय, धन तथा समृद्धि के बारे में भी बताता है। कुंडली के पाँचवे घर के बलवान होने से तथा किसी शुभ ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक उच्च स्तर की शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम होता है तथा आम तौर पर इस शिक्षा के आधार पर आगे जाकर उसे जीवन में व्यवसाय भी प्राप्त हो जाता है जिससे इस शिक्षा की प्राप्ति सार्थक हो जाती है जबकि कुंडली के पाँचवे घर के बलहीन होने अथवा किसी बुरे ग्रह के प्रभाव में होने से कुंडली धारक आम तौर पर उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता अथवा उसे इस शिक्षा को व्यवसाय में परिवर्तित करने का उचित अवसर नहीं मिल पाता।
कुंडली का पाँचवा घर कुडली धारक के प्रेम-संबंधों के बारे में, उसके पूर्व जन्मों के बारे में तथा उसकी आध्यात्मिक रुचियों तथा आध्यात्मिक प्रगति के बारे में भी बताता है। कुंडली के पाँचवे घर पर किन्हीं विशेष अच्छे या बुरे ग्रहों के प्रभाव का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने पर कुंडली धारक के पूर्व जन्मों में संचित किए गए अच्छे अथवा बुरे कर्मों के बारे में भी पता चल सकता है तथा कुंडली धारक की आध्यत्मिक यात्रा की उन्नति या अवनति का भी पता चल सकता है। कुंडली धारक के जीवन में आने वाले प्रेम-संबंधों के बारे जानने के लिए भी कुंडली के इस घर पर ध्यान देना आवश्यक है तथा पूर्व जन्मों से संबंधित प्रेम-संबंध भी कुंडली के इस घर से जाने जा सकते हैं।
शरीर के अंगों में कुंडली का यह घर जिगर, पित्ताशय, अग्न्याशय, तिल्ली, रीढ की हड्डी तथा अन्य कुछ अंगों को दर्शाता है। महिलाओं की कुंडली में कुंडली का यह घर प्रजनन अंगों को भी कुछ हद तक दर्शाता है जिससे उनकी प्रजनन करने की क्षमता का पता चलता है। कुंडली के पाँचवे घर पर किन्हीं विशेष बुरे ग्रहों का प्रभाव कुंडली धारक को प्रजनन संबंधित समस्याएं तथा मधुमेह, अल्सर तथा पित्ताशय में पत्थरी जैसी बिमारियों से पीड़ित कर सकता है।
0 comments: