भूकंप से हिले भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल
शनिवार सुबह 11.47 बजे भूकंप के झटके आए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6 बताई जा रही है। भूकंप का केंद्र नेपाल में काठमांडू से 83 किमी दूर उत्तर-पश्चिम में था। वहां भूकंप की तीव्रता 7.7 बताई जा रही है।
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक भूकंप के झटके काफी तेज थे। दिल्ली, रांची, जयपुर, पटना, गुवाहाटी, लखनऊ, कोलकाता सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में करीब 2 मिनट तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र नेपाल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.4 थी।
भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल पैमाने को सन 1935 में कैलिफॉर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से खोजा था।
इस स्केल के अंतर्गत प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुणा बढ़ जाती है और भूकंप के दौरान जो ऊर्जा निकलती है वह प्रति स्केल 32 गुणा बढ़ जाती है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि 3 रिक्टर स्केल पर भूकंप की जो तीव्रता थी वह 4 स्केल पर 3 रिक्टर स्केल का 10 गुणा बढ़ जाएगी। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 60 लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
भूकंप को मापने के लिए रिक्टर के अलावा मरकेली स्केल का भी इस्तेमाल किया जाता है। पर इसमें भूकंप को तीव्रता की बजाए ताकत के आधार पर मापते हैं। इसका प्रचलन कम है क्योंकि इसे रिक्टर के मुकाबले कम वैज्ञानिक माना जाता है। भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के लिए कई कारण जिम्मेवार हो सकते हैं, जैसे घरों की खराब बनावट, खराब संरचना, भूमि का प्रकार, जनसंख्या की बसावट आदि।
भूकंप आने पर तुरंत सुरक्षित खुले मैदान में जाएं। बड़ी इमारतों, पेड़ों, बिजली के खंभों से दूर रहें।
बाहर जाने के लिए लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
भूकंप आने पर खिड़की, अलमारी, पंखे, ऊपर रखे भारी सामान से दूर हट जाएं ताकि इनके गिरने से चोट न लगे।
कहीं फंस गए हों तो दौड़ें नहीं। इससे भूकंप का ज्यादा असर होगा।
टेबल, बेड, डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं।
किसी मजबूत दीवार, खंभे से सटकर सिर, हाथ आदि को किसी मजबूत चीज़ से ढककर बैठ जाएं।
वाहन चला रहे हैं तो बिल्डिंग, होर्डिंग्स, खंभों, फ्लाईओवर, पुल से दूर सड़क के किनारे गाड़ी रोक लें।
शनिवार सुबह 11.47 बजे भूकंप के झटके आए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 6 बताई जा रही है। भूकंप का केंद्र नेपाल में काठमांडू से 83 किमी दूर उत्तर-पश्चिम में था। वहां भूकंप की तीव्रता 7.7 बताई जा रही है।
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक भूकंप के झटके काफी तेज थे। दिल्ली, रांची, जयपुर, पटना, गुवाहाटी, लखनऊ, कोलकाता सहित उत्तर भारत के कई हिस्सों में करीब 2 मिनट तक भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप का केंद्र नेपाल बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 7.4 थी।
भूकंप की तीव्रता मापने के लिए रिक्टर स्केल का पैमाना इस्तेमाल किया जाता है। इसे रिक्टर मैग्नीट्यूड टेस्ट स्केल कहा जाता है। भूकंप की तरंगों को रिक्टर स्केल 1 से 9 तक के आधार पर मापता है। रिक्टर स्केल पैमाने को सन 1935 में कैलिफॉर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलाजी में कार्यरत वैज्ञानिक चार्ल्स रिक्टर ने बेनो गुटेनबर्ग के सहयोग से खोजा था।
इस स्केल के अंतर्गत प्रति स्केल भूकंप की तीव्रता 10 गुणा बढ़ जाती है और भूकंप के दौरान जो ऊर्जा निकलती है वह प्रति स्केल 32 गुणा बढ़ जाती है। इसका सीधा मतलब यह हुआ कि 3 रिक्टर स्केल पर भूकंप की जो तीव्रता थी वह 4 स्केल पर 3 रिक्टर स्केल का 10 गुणा बढ़ जाएगी। रिक्टर स्केल पर भूकंप की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 8 रिक्टर पैमाने पर आया भूकंप 60 लाख टन विस्फोटक से निकलने वाली ऊर्जा उत्पन्न कर सकता है।
भूकंप को मापने के लिए रिक्टर के अलावा मरकेली स्केल का भी इस्तेमाल किया जाता है। पर इसमें भूकंप को तीव्रता की बजाए ताकत के आधार पर मापते हैं। इसका प्रचलन कम है क्योंकि इसे रिक्टर के मुकाबले कम वैज्ञानिक माना जाता है। भूकंप के कारण होने वाले नुकसान के लिए कई कारण जिम्मेवार हो सकते हैं, जैसे घरों की खराब बनावट, खराब संरचना, भूमि का प्रकार, जनसंख्या की बसावट आदि।
भूकंप आने पर तुरंत सुरक्षित खुले मैदान में जाएं। बड़ी इमारतों, पेड़ों, बिजली के खंभों से दूर रहें।
बाहर जाने के लिए लिफ्ट की बजाय सीढ़ियों का इस्तेमाल करें।
भूकंप आने पर खिड़की, अलमारी, पंखे, ऊपर रखे भारी सामान से दूर हट जाएं ताकि इनके गिरने से चोट न लगे।
कहीं फंस गए हों तो दौड़ें नहीं। इससे भूकंप का ज्यादा असर होगा।
टेबल, बेड, डेस्क जैसे मजबूत फर्नीचर के नीचे छिप जाएं।
किसी मजबूत दीवार, खंभे से सटकर सिर, हाथ आदि को किसी मजबूत चीज़ से ढककर बैठ जाएं।
वाहन चला रहे हैं तो बिल्डिंग, होर्डिंग्स, खंभों, फ्लाईओवर, पुल से दूर सड़क के किनारे गाड़ी रोक लें।
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