Saturday, 4 April 2015

श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्त्रोत्र

By flipkart   Posted at  00:17   No comments

                  """'"श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्त्रोत्र""''''









मुनीन्द वृन्दवन्दिते, त्रिलोक शोकहारिणी, प्रसन्न वक्त्र पंकजे ,निकंजभू विलासिनी। व्रजेन्द भानुनन्दिनी , व्रजेन्द सूनुसंगते, कदा करिष्यसीह मां ,कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥­१॥ अशोकवृक्ष वल्लरी, वितान मण्डपस्थिते, प्र­वालज्वालपल्लव ,प्रभारूणांघ्रि कोमले। वरा भयस्फुरत्करे , प्रभूत सम्पदालये, कदा करिष्यसीह मां, कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥२­॥ अनंग रंग मंगल ,प्रसंग भंगुरभ्रुवां, सुविभ्रम ससम्भ्रम ,दृगन्त बाण पातनैः। निरन्तरं वशीकृत, प्रतीत नन्दनन्दने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥३॥ तड़ित् सुवर्ण चम्पक , प्रदीप्त गौर विगहे, मुख प्रभा परास्त-कोटि, शारदेन्दु मण्ङले। विचित्र चित्र-संचरच् च­कोर शाव लोचने, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥४॥ मदोन्मदाति यौवने ,प्रमोद मान मणिस्ते, प्रियानुराग रंजिते, कलाविलास पणिडते। अनन्य धन्य कुंजराज ,कामकेलि कोविदे , कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥५­॥ अशेष हाव भाव धीर ,हीर हार भूषिते, प्रभूत शातकुम्भ कुम्भ, कुमिभ कुम्भ सुस्तनी। प्रशस्त मंदहास्य चूण ,पू­ण सौख्य सागरे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥६॥ मृणाल बाल वल्लरी ,तरंग रंगदोलते, लता गलास्य लोल नील ,लोचनाव लोकने। ललल्लुल मिलन्मनोज्ञ, मुग्ध मोहनाश्रये, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥७॥ सुवर्ण मालि कांचिते, त्रिरेख कम्बु कण्ठगे, त्रिसुत्र मंगली गुण , त्रिरत्न दीप्ति दीधिअति­। सलोल नील कुन्तले, प्रसून गुच्छ गुम्फिते,­ कदा करिष्यसीहमां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥८॥ नितम्ब बिम्ब लम्बमान, पुष्प मेखला गुण, प्रशस्त रत्नकिंकणी, कलाप मध्य मंजुले। करीन्द्र शुण्ड दण्डिका,­ वरोहसोभगोरुके, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥९॥ अनेक मन्त्र नाद मंजु, नूपुरा रवस्खलत्, समाज राज हंस, वंश नि क्वणातिग। विलोल हेम वल्लरी, विड मिब चारू चंकमे, कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥१­०॥ अनन्त कोटि विष्णुलोक , नम् पदम जाचिते, हिमादिजा पुलोमजा-विरंचिजा वर प्रदे। अपार सिदि वृदि दिग्ध ,सत्पदां गुली नखे, कदा करिष्यसीह मां कृपा -कटाक्ष भाजनम्॥११॥ मखेश्वरी क्रियेश्वरी, स्वधेश्वरी सुरेश्वरी, त्रिवेद भारतीश्वरी , प्रमाणशासनेश्वरी। रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोद काननेश्वरी, ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते॥१२॥ इतीद मत भुतस्तवं ,निशम्य भानु नंदिनी, करोतु संततं जनं ,कृपाकटाक्ष भाजनम्। भवेत् तदैव संचित, त्रिरूप कमनाशनं­, लभेत्ताद ब्रजेन्द्र सू­नु, मण्डल प्रवेशनम॥१३॥

About flipkart

Nulla sagittis convallis arcu. Sed sed nunc. Curabitur consequat. Quisque metus enim, venenatis fermentum, mollis in, porta et, nibh. Duis vulputate elit in elit. Mauris dictum libero id justo.
View all posts by: flipkart

0 comments:

Connect with Us

What they says

Socials

Navigation

© 2014 PICVEND.COM. WP Mythemeshop converted by Bloggertheme9.
Powered by Blogger.
back to top