अमरनाथ यात्रा यात्रा के लिये आवश्यक सामान:
रास्ता
वैसे तो आप आगे पढेंगे तो सारी जानकारी विस्तार से मिलती जायेगी, लेकिन फिर भी संक्षिप्त में:
यात्रा पहलगाम से शुरू होती है। पहलगाम जम्मू और श्रीनगर से सडक मार्ग से अच्छी तरह जुडा है।
पहलगाम (2100) से चन्दनवाडी (2800)= 16 किलोमीटर सडक मार्ग
चन्दनवाडी (2800) से शेषनाग झील (3700)=16 किलोमीटर पैदल
शेषनाग झील (3700) से महागुनस दर्रा (4200)=4 किलोमीटर पैदल
महागुनस दर्रे (4200) से पंचतरणी (3600)=6 किलोमीटर पैदल
पंचतरणी (3600) से अमरनाथ गुफा (3900)=6 किलोमीटर पैदल
अमरनाथ गुफा (3900) से बालटाल (2800)=16 किलोमीटर पैदल
वैसे तो आप आगे पढेंगे तो सारी जानकारी विस्तार से मिलती जायेगी, लेकिन फिर भी संक्षिप्त में:
यात्रा पहलगाम से शुरू होती है। पहलगाम जम्मू और श्रीनगर से सडक मार्ग से अच्छी तरह जुडा है।
पहलगाम (2100) से चन्दनवाडी (2800)= 16 किलोमीटर सडक मार्ग
चन्दनवाडी (2800) से शेषनाग झील (3700)=16 किलोमीटर पैदल
शेषनाग झील (3700) से महागुनस दर्रा (4200)=4 किलोमीटर पैदल
महागुनस दर्रे (4200) से पंचतरणी (3600)=6 किलोमीटर पैदल
पंचतरणी (3600) से अमरनाथ गुफा (3900)=6 किलोमीटर पैदल
अमरनाथ गुफा (3900) से बालटाल (2800)=16 किलोमीटर पैदल
यात्रा से पहले श्राइन बोर्ड के तरफ से कुछ औपचारिकताएँ पूरी करनी होती है जिसमें श्राइन बोर्ड के तरफ से दो फार्म भर कर जे.एंड.के बैंक अथवा अन्य बैंकों में जमा करना होता है। पहला फार्म-ए एक आवेदन के रूप में होता है, जिस पर एक पासपोर्ट आकार का रंगीन फोटो लगाना होता है और दूसरा फार्म यात्रा परमिट का होता है जिसमें तीन भाग होते हैं। उन तीनों पर भी पासपोर्ट आकार के फोटो लगाने होते हैं। इसका एक भाग चंदनवारी प्रवेश द्वार पर, दूसरा पवित्र गुफा के प्रवेश द्वार पर तथा तीसरा भाग पूरी यात्रा के दौरान अपने पास पहचान पत्र के रूप में रखना होता है। आजकल इंटरनेट की सुविधा होने के कारण ये औपचारिकताएं भी ऑन-लाइन संभव है। औपचारिकताएं पूरी होने के बाद मैं सफर की तैयारी में लगा, सर्वप्रथम एक जोड़ी जूता खरीदा व 4 से 5 किलोमीटर चलने का अभ्यास रोजाना शुरू किया तथा कुछ आवश्यक सामाग्री की व्यवस्था भी करनी शुरू की, जिनकी जरूरत यात्रा के दौरान पड़नी थी जैसे- टार्च, चश्मा, बरसाती, गर्म ट्रैकशूट, पैजामी, बनियान, एक जोड़ी कपड़ा दर्शन हेतु, दस्ताना, सनस्क्रीन लोशन, वैसलिन, कोल्ड क्रीम, ग्लूकोज, काली मिर्च पाउडर, काला नमक, भूने चने, ड्राई फ्रुट, चाकलेट, नींबू कुछ जरूरी दवाएं जैसे बुखार, उल्टी, दस्त, चक्कर, घबराहट, आदि के उपचार हेतु।
यात्रा के लिये आवश्यक सामान:
यात्रा चूंकि उच्च हिमालयी रास्तों पर पैदल की जाती है, जहां हवा का दबाव भी काफी कम रहता है। इसलिये सबसे पहली बात कि सांस और हृदय रोगी यात्रा न करें। यात्रा मानसून में होती है, इसलिये बारिश और बर्फबारी के लिये तैयार रहें। सामान कम से कम ले जायें, लेकिन पर्याप्त सामान ले जायें। पर्याप्त जोडी गर्म कपडे, एक कम्बल, रेनकोट, मंकी कैप, दस्ताने, मोटी जुराबें, जूते आवश्यक हैं। बर्फ में धूप के नुकसान से बचने के लिये धूप का चश्मा ले जायें। कोल्ड क्रीम भी ले लें और रोज यात्रा शुरू करने से पहले शरीर के नंगे हिस्सों जैसे हथेली, चेहरे, गर्दन पर अच्छी तरह पोत लें, नहीं तो त्वचा जल जायेगी। एक डण्डा भी जरूरी है। अगर वाकिंग स्टिक ले जायें तो अति उत्तम। वाकिंग स्टिक मजबूत तो होती ही है, इसे बैग में भी रखा जा सकता है। वैसे डण्डे पहलगाम और बालटाल में भी मिल जाते हैं, लेकिन ये उस समय तक टूटने लगते हैं, जब इनकी सर्वाधिक आवश्यकता होती है, यानी शेषनाग झील तथा गुफा के बीच में बर्फ पर चलते समय। मैं वैसे तो दवाई नहीं ले जाता, लेकिन कुछ दवाईयां भी ले लेनी चाहिये। सर्दी-जुकाम, बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, चक्कर आना; ये कुछ प्रमुख बीमारियां हैं जो यात्रा के समय लग जाती हैं। इनके लिये जो भी अच्छी दवाईयां होती हैं, ले जायें। पैदल चलते समय टॉफी ठीक रहती है, इससे मुंह में आर्द्रता बनी रहती है, गला सूखने नहीं पाता। पानी की बोतल भी आवश्यक है, हालांकि स्थान स्थान पर पानी के स्त्रोत मिलते रहते हैं। खाने की कोई परेशानी नहीं है। रास्ते भर भण्डारे मिलते हैं। सोने की भी कोई परेशानी नहीं। पहलगाम, शेषनाग, पंचतरणी, गुफा और बालटाल में भारी संख्या में टेण्ट होते हैं। जहां निर्धारित दर पर सोने की अच्छी व्यवस्था हो जाती है।
यात्रा चूंकि उच्च हिमालयी रास्तों पर पैदल की जाती है, जहां हवा का दबाव भी काफी कम रहता है। इसलिये सबसे पहली बात कि सांस और हृदय रोगी यात्रा न करें। यात्रा मानसून में होती है, इसलिये बारिश और बर्फबारी के लिये तैयार रहें। सामान कम से कम ले जायें, लेकिन पर्याप्त सामान ले जायें। पर्याप्त जोडी गर्म कपडे, एक कम्बल, रेनकोट, मंकी कैप, दस्ताने, मोटी जुराबें, जूते आवश्यक हैं। बर्फ में धूप के नुकसान से बचने के लिये धूप का चश्मा ले जायें। कोल्ड क्रीम भी ले लें और रोज यात्रा शुरू करने से पहले शरीर के नंगे हिस्सों जैसे हथेली, चेहरे, गर्दन पर अच्छी तरह पोत लें, नहीं तो त्वचा जल जायेगी। एक डण्डा भी जरूरी है। अगर वाकिंग स्टिक ले जायें तो अति उत्तम। वाकिंग स्टिक मजबूत तो होती ही है, इसे बैग में भी रखा जा सकता है। वैसे डण्डे पहलगाम और बालटाल में भी मिल जाते हैं, लेकिन ये उस समय तक टूटने लगते हैं, जब इनकी सर्वाधिक आवश्यकता होती है, यानी शेषनाग झील तथा गुफा के बीच में बर्फ पर चलते समय। मैं वैसे तो दवाई नहीं ले जाता, लेकिन कुछ दवाईयां भी ले लेनी चाहिये। सर्दी-जुकाम, बुखार, थकान, सिरदर्द, उल्टी, चक्कर आना; ये कुछ प्रमुख बीमारियां हैं जो यात्रा के समय लग जाती हैं। इनके लिये जो भी अच्छी दवाईयां होती हैं, ले जायें। पैदल चलते समय टॉफी ठीक रहती है, इससे मुंह में आर्द्रता बनी रहती है, गला सूखने नहीं पाता। पानी की बोतल भी आवश्यक है, हालांकि स्थान स्थान पर पानी के स्त्रोत मिलते रहते हैं। खाने की कोई परेशानी नहीं है। रास्ते भर भण्डारे मिलते हैं। सोने की भी कोई परेशानी नहीं। पहलगाम, शेषनाग, पंचतरणी, गुफा और बालटाल में भारी संख्या में टेण्ट होते हैं। जहां निर्धारित दर पर सोने की अच्छी व्यवस्था हो जाती है।
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