Saturday, 11 April 2015

" मौन " शब्दो से परे आत्मा की भाषा

By flipkart   Posted at  01:20   No comments

" मौनं सर्वत्र् साधयते "
" मौन " शब्दो से परे आत्मा की भाषा है "
हमारी भाषा मानवीय भावनाओ की अभिव्यक्ति का सहज साधन ओर साथ ही ये कितनी संमृद्ध | अनेकों शब्द ,अनेकों वर्ण ,स्वर,अलंकार ....!!!
लेकिन भाषा हमेशा ही प्रभावी नहीं होती .... य दि बोलकर बातें की जा सकती हैं, तो चुप रहकर उससे भी ज्यादा बातें होती हैं।किसी की आंखें बातें करती हैंतो किसी की शारीरिक गति विधी ।हमारे अंतर मन मे तो अनेकों भाव उमड़ते हे |लिकिन ये जरूरी नहीं की हर बार हम सही शब्दो से उन भावो को अभिव्यक्त कर पाये |
जब हमारे शब्द अंतर मन की भावनाओ की अभिव्यक्ति मे कमजोर साबित होते हे .... मौन ही हे जो बिना कहे सब समजादे ....!!!
मौन एक तपस्या भी हे जो की हमारे भीतर अनेकों अद्भुत श्क्तिओ को स्वतः प्रवाहित करता हे |बोलचाल की भाषाएं मात्र भौतिक शक्ति से संबंधित होती है, लेकिन मौन आत्मबल की प्रेरणा है। मौन से ही मनोबल मे वृद्धि .... !!!
मौन की भाषा शब्दों की भाषा से किसी भी रूप में कमजोर नहीं होती, बस उसे समझने वाला चाहिए साथ ही भावुक हदय । जिस प्रकार शब्दों की भाषा का शास्त्र होता है, उसी प्रकार मौन का भी भाषा विज्ञान होता है, किंतु वह किसी शास्त्र में लिखा हुआ नहीं होता। मौन का भाषा विज्ञान भी मौन ही होता है। इसे समझा तो जा सकता है, पर समझाया नहीं जा सकता। संभवत: इसीलिए रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहा था कि मौन अनंत की भाषा है।
कुछ कह देना इतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कुछ नहीं कहना। बोलना यदि कला है, तो मौन सर्वश्रेष्ठ कला है। मौन का रहस्य इतना गहरा है कि उसे मौन धारण करने वाला ही समझ सकता है। कुछ कहना बहुत थोड़ा होता है । कुछ भी नहीं कहना बहुत ज्यादा होता है । जो परम सत्य है, उसे कह नहीं सकते जताया तो जाही सकता हे । वेदांती उसे अनिर्वचनीय तथा जैन (स्यात) अवक्तव्य कहते हैं।
हमारी प्रकृति मौन हे चंद्र -सूर्य-तारे -आसमान ,पर्वत ,पेड़ जिनहे देख कर आप कई कविता या गीतो की रचना करते हे वे भी तो मौन ...!!!
बोलने वालों के मायने तय हो जाते हैं, पर मौन रहने वालों के हजार मायने हो सकते हैं। कुछ लोग कहकर कहना चाहते हैं, कुछ लोग बिना कहे ही सब कुछ कहना चाहते हैं, लेकिन इतना निश्चित है कि बिना कहे जो कहा जाता है, वह कहे गए से इतना ज्यादा बड़ा और महान होता है कि उसे कहा नहीं जा सकता है ।
अब आप स्वयं भावुक हदय के स्वामी हे ... कभी तो रहे होंगे ना मौन...!!!

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