पर्यटन की दृष्टि से मुख्य-स्थल:-
नैनी झील--
नैनीताल का मुख्य आकर्षण यहां की नैनी झील है। स्कंद पुराण में इसे त्रिऋषि सरोवर कहा गया है। कहा जाता है कि जब अत्री, पुलस्त्य और पुलह ऋषि को नैनीताल में कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने एक गड्ढा खोदा और मानसरोवर झील से पानी लाकर उसमें भरा। इस झील में बारे मे कहा जाता है यहां डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य मिलता है जितना मानसरोवर नदी से मिलता है। यह झील 64 शक्ति पीठों में से एक है।
इस खूबसूरत झील में नौकायन का आनंद लेने के लिए लाखों देशी-विदेशी पर्यटक यहां आते हैं। झील के पानी में आसपास के पहाड़ों का प्रतिबिंब दिखाई पड़ता है। रात के समय जब चारों ओर बल्बों की रोशनी होती है तब तो इसकी सुंदरता और भी बढ़ जाती है। झील के उत्तरी किनारे को मल्लीताल और दक्षिणी किनारे को तल्लीताल करते हैं। यहां एक पुल है जहां गांधीजी की प्रतिमा और पोस्ट ऑफिस है। यह विश्व का एकमात्र पुल है जहां पोस्ट ऑफिस है। इसी पुल पर बस स्टेशन, टैक्सी स्टैंड और रेलवे रिजर्वेशन काउंटर भी है। झील के दोनों किनारे पर बहुत सी दुकानें और खरीदारी केंद्र हैं जहां बहुत भीड़भाड़ रहती है। नदी के उत्तरी छोर पर नैना देवी मंदिरहै ।
तल्ली एवं मल्ली ताल--
नैनीताल के ताल के दोनों ओर सड़के हैं। ताल का ऊंचा(मल्ला) भाग मल्लीताल और निचला(तल्ला) भाग तल्लीताल कहलाता है। मल्लीताल में समतल खुला मैदान है। मल्लीताल के समतल मैदान पर शाम होते ही मैदानी क्षेत्रों से आए हुए सैलानी एकत्र हो जाते हैं। यहाँ नित नये खेल-तमाशे होते रहते हैं। संध्या के समय जब सारी नैनीताल नगरी बिजली के प्रकाश में जगमगाने लगती है तो नैनीताल के ताल के देखने में ऐसा लगता है कि मानो सारी नगरी इसी ताल में डूब सी गयी है। संध्या समय तल्लीताल से मल्लीताल को आने वाले सैलानियों का तांता सा लग जाता है। इसी तरह मल्लीताल से तल्लीताल (माल रोड) जाने वाले प्रकृतिप्रेमियों का काफिला देखने योग्य होता है।
नैनीताल, पर्यटकों, सैलानियों पदारोहियों और पर्वतारोहियों का चहेता नगर है जिसे देखने प्रतिवर्ष हजारों लोग यहाँ आते हैं। कुछ ऐसे भी यात्री होते हैं जो केवल नैनीताल का "नैनी देवी" के दर्शन करने और उस देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने की अभिलाषा से आते हैं। यह देवी कोई और न होकर स्वयं 'शिव पत्नी' नंदा (पार्वती) हैं। यह तालाब उन्हीं की स्मृति का द्योतक है। इस सम्बन्ध में पौराणिक कथा कही जाती है ।
नैनीताल के ताल के दोनों ओर सड़के हैं। ताल का ऊंचा(मल्ला) भाग मल्लीताल और निचला(तल्ला) भाग तल्लीताल कहलाता है। मल्लीताल में समतल खुला मैदान है। मल्लीताल के समतल मैदान पर शाम होते ही मैदानी क्षेत्रों से आए हुए सैलानी एकत्र हो जाते हैं। यहाँ नित नये खेल-तमाशे होते रहते हैं। संध्या के समय जब सारी नैनीताल नगरी बिजली के प्रकाश में जगमगाने लगती है तो नैनीताल के ताल के देखने में ऐसा लगता है कि मानो सारी नगरी इसी ताल में डूब सी गयी है। संध्या समय तल्लीताल से मल्लीताल को आने वाले सैलानियों का तांता सा लग जाता है। इसी तरह मल्लीताल से तल्लीताल (माल रोड) जाने वाले प्रकृतिप्रेमियों का काफिला देखने योग्य होता है।
नैनीताल, पर्यटकों, सैलानियों पदारोहियों और पर्वतारोहियों का चहेता नगर है जिसे देखने प्रतिवर्ष हजारों लोग यहाँ आते हैं। कुछ ऐसे भी यात्री होते हैं जो केवल नैनीताल का "नैनी देवी" के दर्शन करने और उस देवी का आशीर्वाद प्राप्त करने की अभिलाषा से आते हैं। यह देवी कोई और न होकर स्वयं 'शिव पत्नी' नंदा (पार्वती) हैं। यह तालाब उन्हीं की स्मृति का द्योतक है। इस सम्बन्ध में पौराणिक कथा कही जाती है ।
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