Tuesday, 21 April 2015

प्राणायाम से खत्म करें अवसाद को...

By flipkart   Posted at  23:11   HEALTH NEWS No comments


डिप्रेशन' यानी नैराश्य, यानी मन और मानस का असहयोग, यानी प्रकृति से तादात्म्य न हो पाना या जीवन से आस्था उठ जाना। डिप्रेशन यानी जीने का नकारात्मक रवैया, स्वयं से अनुकूलन में असमर्थता आदि। जब ऐसा हो जाए तो उस व्यक्ति विशेष के लिए सुख, शांति, सफलता, खुशी यहां तक कि संबंध तक बेमानी हो जाते हैं। उसे सर्वत्र निराशा, तनाव, अशांति, अरुचि का ही आभास होता है।

यदि ऐसा क्षणिक हो तो उसे स्वाभाविक या व्यावहारिक मानना होगा, किंतु यह मनःस्थिति और मानसिकता अगर सतत बनी रहे तो परिणाम निश्चित तौर पर घातक होंगे। यह प्रतिकूलता व्याधि और विकृति को जन्म देगी। जीवन तक को नकार सकता है ऐसा व्यक्ति। पहले समाज, फिर परिवार और अंत में स्वयं से कटने लगता है वह।

'डिप्रेशन' का कारण वातावरण परिस्थिति, स्वास्थ्य, सामर्थ्य, संबंध या किसी घटनाक्रम से जुड़ा हो सकता है। शुरुआत में व्यक्ति को खुद नहीं मालूम होता, किंतु उसके व्यवहार और स्वभाव में धीरे-धीरे परिवर्तन आने लगता है। कई बार अतिरिक्त चिड़चिड़ापन, अहंकार, कटुता या आक्रामकता अथवा नास्तिकता, अनास्था और अपराध अथवा एकांत की प्रवृत्ति पनपने लगती है या फिर व्यक्ति नशे की ओर उन्मुख होने लगता है।

ऐसे में जरूरी है कि हम किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। व्यक्ति को खुशहाल वातावरण दें। उसे अकेला न छोड़ें तथा छिन्द्रान्वेषणकतई न करें। उसकी रुचियों को प्रोत्साहित कर, उसमें आत्मविश्वास जगाएं और कारण जानने का प्रयत्न करें।

मैत्रीपूर्ण वातावरण में प्रभावोत्पादक तरीके से जीवन की सच्चाई उसके सामने रखें और आत्मीयता से उसे 'प्राणायाम' के लिए राजी करें। सर्वप्रथम पद्मासन करवाएं। फिर प्राणायाम के छोटे-छोटे आवर्तन करवाएं। बीच में गहरी श्वास लेने दें। आप देखेंगे 'डिप्रेशन' घटता जा रहा है। चित्त शांत हो रहा है। नाड़ीशोधन प्राणायाम के पश्चात ग्रीष्मकाल में 'शीतली' और शीतकाल में सावधानी से 'मस्त्रिका' प्राणायाम करवाएं।

प्राणायाम के दो आवर्तनों के पश्चात 'ॐ' नाद करवा दें। प्रथम स्तर पर 'ओ' दीर्घ करवाएं, जिससे ग्रीवा के अंदरूनी स्नायु कंपन, लय और बल पाकर सहज हों। तत्पश्चात 'ओ' लघु से दीर्घनाद करवाएँ। इसके कंपन मस्तिष्क, अधर-ओष्ठ और तालू को प्रभावित करेंगे। अनुभूत आनंद से चेहरे के खिंचाव और तनाव की स्थिति स्वतः जाती रहेगी। यदि ऐसा होने लगे तो समझिए आप कामयाब हो रहे हैं अपने 'मिशन' में। इसके बाद थोड़ा विश्राम। फिर श्वासन। अनिद्रा जनित 'डिप्रेशन' का रोगी ऐसे में सोना चाहता है। उसे भरपूर नींद ले लेने दें।

ये प्रक्रियागत परिणाम तुरंत प्राप्त होते हैं। इनके दीर्घकालीन स्थायित्व के लिए प्रयत्न में निरंतरता रखी जानी अनिवार्य है। सदैव अनुभवसिद्ध योग विशेषज्ञ ही से संपर्क किया जाना चाहिए।

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