चीन की 21 हजार 196 किलोमीटर लंबी दीवार देखना सबकी ख्वाहिश होती है। सोचते होंगे कि दुनिया के अजूबों में शामिल यह जगह क्यों न हमारे बीच हो! हमें पता था आप देखेंगे जरूर, इसलिए जानकारी शुरू से अंत तक बता रहे हैं।
ग्रेट वाल मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है, जिसे चीन के विभिन्न शासको के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है की इस मानव निर्मित ढांचे को अन्तरिक्ष से भी देखा जा सकता है। यह दीवार 6,400 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है। इसका विस्तार पूर्व में शानहाइगुआन से पश्चिम में लोप नुर तक है और कुल लंबाई लगभग 6,700 किलो मीटर तक है।
अपने उत्कर्ष पर मिंग वंश की सुरक्षा हेतु दस लाख से अधिक लोग नियुक्त थे। यह अनुमानित है, कि इस महान दीवार निर्माण परियोजना में लगभग 20 से 30 लाख लोगों ने अपना जीवन लगा दिया था। चीन की रक्षा हेतु ऐसा बॉर्डर बनाने की शुरुआत तब हुई जब आठवीं शताब्दी ईसापूर्व के समय कुई, यान और जाहो राज्यों ने तीर एवं तलवारों के आक्रमण से बचने के लिए इस दीवार का निर्माण किया। ईसा से 221 वर्ष पूर्व चीन किन साम्राज्य में आ गया। इस साम्राज्य ने सभी छोटे राज्यों को एक करके एक अखंड चीन की रचना की। किन साम्राज्य से शासको ने पूर्व में बनायी हुई विभिन्न दीवारों को एक कर दिया जो की चीन की उत्तरी सीमा बनी।
अब आप सोच रहे हों कि यह एक दीवार तो दिख नहीं रही, तो आपको बता दें कि पांचवीं शताब्दी से बहुत बाद तक ढेरों दीवारें बनीं, जिन्हें मिलाकर चीन की दीवार कहा गया। प्रसिद्धतम दीवारों में से एक 220-206 ई.पू. में चीन के प्रथम सम्राट किन शी हुआंग ने बनवाई थी। उस दीवार के अंश के कुछ ही अवशेष बचे हैं। यह मिंग वंश द्वारा बनवाई हुई वर्तमान दीवार के सुदूर उत्तर में बनी थी। आज यह दीवार विश्व में चीन का नाम ऊंचा करती है, व युनेस्को द्वारा 1987 से विश्व धरोहर घोषित है।
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