मुक्तेश्वर का शिव-मंदिर--
मुक्तेश्वर उत्तराखण्ड के नैनीताल जिले में स्थित है। यह् कुमाऊँ की पहाडियों में २२८६ मीटर (७५०० फीट) की ऊँचाई पर स्तिथ है। यहाँ से नंदा देवी ,त्रिशूल आदि हिमालय पर्वतों की चोटियाँ दिखती हैं। यहाँ शिवजी का मन्दिर है जो की २३१५ मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इसमें जाने के लिये सीढियाँ हैं। मन्दिर के पास चट्टानों में चौली की जाली है ।
मुक्तेश्वर का असल आकर्षण है पर्वतराज हिमालय की हिम-मंडित श्रृंखला का १८० डिग्री का दीदार । सवेरे -सवेरे येचोटियाँ बिल्कुल साफ़ नज़र आती हैं और फिर दिन चढ़ने के साथ -साथ बादलों में छिपती जाती हैं । ये तस्वीर हमनेदोपहर डेढ़ बजे ली थी । इस नज़ारे के लिए आपको पी डब्लू डी गेस्ट हाउस के लान में खड़ा होना पड़ता है 'बिना आज्ञाप्रवेश वर्जित' की तख्ती को नज़रंदाज़ करते हुए । इसी गेस्ट हाउस के पीछे कुमाऊँ मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउससे भी हिमालय के दीदार किये जा सकते हैं या चाहे तो 'चौथी जाली' की चट्टानों पे खड़े होके देखिये ।यहाँ आप 'रॉक - क्लाइम्बिंग और 'रिवर- क्रॉसिंग ' के अभ्यास में भी हाथ आज़मा सकते हैं। ' चौथी जाली' जगह का असल नाम है और स्थानीय लोग तथा 'आउटलुक ट्रेवलर' दोनों इसी नाम का प्रयोग करते हैं |
मुक्तेश्वर का असल आकर्षण है पर्वतराज हिमालय की हिम-मंडित श्रृंखला का १८० डिग्री का दीदार । सवेरे -सवेरे येचोटियाँ बिल्कुल साफ़ नज़र आती हैं और फिर दिन चढ़ने के साथ -साथ बादलों में छिपती जाती हैं । ये तस्वीर हमनेदोपहर डेढ़ बजे ली थी । इस नज़ारे के लिए आपको पी डब्लू डी गेस्ट हाउस के लान में खड़ा होना पड़ता है 'बिना आज्ञाप्रवेश वर्जित' की तख्ती को नज़रंदाज़ करते हुए । इसी गेस्ट हाउस के पीछे कुमाऊँ मंडल विकास निगम के गेस्ट हाउससे भी हिमालय के दीदार किये जा सकते हैं या चाहे तो 'चौथी जाली' की चट्टानों पे खड़े होके देखिये ।यहाँ आप 'रॉक - क्लाइम्बिंग और 'रिवर- क्रॉसिंग ' के अभ्यास में भी हाथ आज़मा सकते हैं। ' चौथी जाली' जगह का असल नाम है और स्थानीय लोग तथा 'आउटलुक ट्रेवलर' दोनों इसी नाम का प्रयोग करते हैं |
'विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट नेशनल पार्क'
(१४.)जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान--
दिल्ली से मुरादाबाद - काशीपुर - रामनगर होते हुए कार्बेट नेशनल पार्क की दूरी २९० कि.मी. है। यह गौरवशाली पशु विहार है। यह रामगंगा की पातलीदून घाटी में ५२५.८ वर्ग किलोमीटर में बसा हुआ है। कुमाऊँ के नैनीताल जनपद में यह उद्यान विस्तार लिए हुए है । कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों के भ्रमण का समय नवंबर से मई तक होता है। इस मौसम में की ट्रैवल एजेन्सियाँ कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों को घुमाने का प्रबन्ध करती हैं। कुमाऊँ विकास निगम भी प्रति शुक्रवार के दिल्ली से कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान तक पर्यटकों को ले जाने के लिए संचालित भ्रमणों (कंडक टेड टूर्स) का आयोजन करता है। कुमाऊँ विकास निगम की बसों में अनुभवी मार्गदर्शक होते हैं जो पशुओं की जानकारी, उनकी आदतों को बताते हुए बातें करते रहते हैं।
यहाँ पर शेर, हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरण, चीतल, साँभर, पाण्डा, काकड़, नीलगाय, घुरल, और चीता आदि 'वन्य प्राणी' अधिक संख्या में मिलते हैं। इसी प्रकार इस वन में अजगर तथा कई प्रकार के साँप भी निवास करते हैं ।
सरोवरों और झीलों की नगरी 'नैनीताल' हेतु आवागमन के विभिन्न मार्ग:--
वायु मार्ग--
निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर विमानक्षेत्र नैनीताल से ७१ किमी. दूर है। यहाँ से दिल्ली के लिए उड़ानें हैं।
रेल मार्ग--
निकटतम रेलहेड काठगोदाम रेलवे स्टेशन (३५ किमी.) है जो सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा है।
सड़क मार्ग--
नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग ८७ से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, आगरा, देहरादून, हरिद्वार, लखनऊ, कानपुर, और बरेली से रोडवेज की बसें नियमित रूप से यहां के लिए चलती हैं ।
दिल्ली से मुरादाबाद - काशीपुर - रामनगर होते हुए कार्बेट नेशनल पार्क की दूरी २९० कि.मी. है। यह गौरवशाली पशु विहार है। यह रामगंगा की पातलीदून घाटी में ५२५.८ वर्ग किलोमीटर में बसा हुआ है। कुमाऊँ के नैनीताल जनपद में यह उद्यान विस्तार लिए हुए है । कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों के भ्रमण का समय नवंबर से मई तक होता है। इस मौसम में की ट्रैवल एजेन्सियाँ कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों को घुमाने का प्रबन्ध करती हैं। कुमाऊँ विकास निगम भी प्रति शुक्रवार के दिल्ली से कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान तक पर्यटकों को ले जाने के लिए संचालित भ्रमणों (कंडक टेड टूर्स) का आयोजन करता है। कुमाऊँ विकास निगम की बसों में अनुभवी मार्गदर्शक होते हैं जो पशुओं की जानकारी, उनकी आदतों को बताते हुए बातें करते रहते हैं।
यहाँ पर शेर, हाथी, भालू, बाघ, सुअर, हिरण, चीतल, साँभर, पाण्डा, काकड़, नीलगाय, घुरल, और चीता आदि 'वन्य प्राणी' अधिक संख्या में मिलते हैं। इसी प्रकार इस वन में अजगर तथा कई प्रकार के साँप भी निवास करते हैं ।
सरोवरों और झीलों की नगरी 'नैनीताल' हेतु आवागमन के विभिन्न मार्ग:--
वायु मार्ग--
निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर विमानक्षेत्र नैनीताल से ७१ किमी. दूर है। यहाँ से दिल्ली के लिए उड़ानें हैं।
रेल मार्ग--
निकटतम रेलहेड काठगोदाम रेलवे स्टेशन (३५ किमी.) है जो सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा है।
सड़क मार्ग--
नैनीताल राष्ट्रीय राजमार्ग ८७ से जुड़ा हुआ है। दिल्ली, आगरा, देहरादून, हरिद्वार, लखनऊ, कानपुर, और बरेली से रोडवेज की बसें नियमित रूप से यहां के लिए चलती हैं ।
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