संजना को सुबह उठने में रोज देर हो जाती है। जाहिर है, देर से उठने के बाद हर काम के लिए वह लेट हो चुकी होती है। बस, वह यही सोचती है कि उसे ऑफिस ठीक साढ़े नौ बजे पहुंचना है, वरना वह नौकरी से हाथ धो बैठेगी। वह तेज गति से जैसे-तैसे तैयार होती है। बैग उठाया और सीधे गाड़ी में सवार। ऑफिस तो वह रोज समय से पहुँच जाती है, पर इस भागा-दौड़ी में उसका स्वास्थ्य लगातार गिरता जा रहा है और इसकी खास वजह है सुबह का नाश्ता न करना।
ब्रेकफास्ट के लिए टाइम नहीं बचता, यह दलील वह पिछले पांच वर्षो से देती आ रही है। जाने-अनजाने ब्रेकफास्ट न करना उसके स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक है। घड़ी की सुइयों की नोक पर टिकी रीना की जिंदगी में बहुत से ऐसे काम हैं जो छूटते जा रहे हैं। अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही भी उनमें से एक है।
बढ़ती प्रवृत्ति
महानगरों या शहरों में यह कहानी सिर्फ सीमा की नहीं है, बल्कि अधिकतर कामकाजी स्त्रियों की है। क्यों छूट रही है नाश्ते की आदत? महानगरों के तेज रफ्तार जीवन को देखते हुए यह बात और भी स्पष्ट हो जाती है कि परंपरागत रूप से दिनचर्या में शामिल होने वाले कामों की सूची अब आधी से भी कम रह गई है। सूर्य नमस्कार, पेड़-पौधों को जल डालना, पूजा-अर्चना की बातें तो इतिहास बन ही चुकी हैं, जिंदगी की तेज रफ्तार ने बे्रकफास्ट या सुबह के नाश्ते जैसी स्वास्थ्य के लिए जरूरी चीज को भी पीछे छोड़ दिया है। महानगरों में लगभग 40 प्रतिशत वयस्क सुबह का नाश्ता बिना किए घर छोड़ते हैं।
नाश्ता न करने के दो मुख्य कारण होते हैं- समय की कमी या डाइटिंग। पुरुष जहां समय की कमी के कारण चाहते हुए भी नाश्ता नहीं कर पाते, स्त्रियाँ मुख्यत: स्वैच्छिक रूप से नाश्ता नहीं करतीं, क्योंकि वे डाइटिंग कर रही होती हैं। या फिर ऑफिस जल्दी पहुँचने के चक्कर में वे नाश्ते को प्राथमिकता नहीं देतीं। कुछ स्त्रियाँ तो पाश्चात्य संस्कृति की दुहाई देते हुए ब्रेकफास्ट न करने को बहुत आधुनिक समझती हैं।
क्या है ब्रेकफास्ट
ब्रेकफास्ट अंग्रेजी का शब्द है जो दो शब्दों को जोड़कर बना है- ब्रेक (तोड़ना)+फास्ट (उपवास) यानी ऐसा भोजन, जो उपवास को तोड़ता है। शाब्दिक अर्थ अपने आप में महत्वपूर्ण तथ्य लिए है, जिसका स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। भारतीय परंपरा में भी सुबह के नाश्ते को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया गया है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि नाश्ता शरीर द्वारा रखे गए रात भर के उपवास को सुबह तोड़ता है और शरीर को दिन भर कार्य करने की क्षमता व ऊर्जा प्रदान करता है। ऐसे में कामकाजी स्ति्रयों के लिए यह बहुत जरूरी है कि दफ्तर जाने से पहले वह नाश्ता कर लें, ताकि दिन भर काम के लिए उनको उचित ऊर्जा मिले।
वैज्ञानिक तथ्य
वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार, मनुष्य का मैटाबॉलिज्म रेट, यानी शरीर की वह क्रिया जिससे भोजन जीवित पदार्थो में बदल जाता है, सोते वक्त धीमी हो जाती है और शरीर में जमा कैलोरीज बहुत धीरे जलती हैं। जबकि मनुष्य की जागृत अवस्था में यही क्रिया तेज गति से होती है और कैलोरीज भी जल्दी जलती हैं, जिससे शरीर स्फूर्तिमय रहता है। यह एक भ्रामक धारणा है कि ऐसा न करने से कैलोरीज घटती हैं। सच तो यह है कि ब्रेकफास्ट न करने से शरीर में वसा का बढ़ना शुरू हो जाता है क्योंकि शरीर का मौलिक मैटाबॉलिक रेट तथा ऊर्जा अत्यंत कम हो जाती है।
रात भर सोने के बाद जब आप सुबह उठती हैं तो शरीर प्राप्त संकेतों के अनुसार कार्य करना शुरू कर देता है। मस्तिष्क शरीर के मैटाबॉलिज्म के अनुसार संकेत लेता है और शरीर की गतिविधियों के अनुसार इच्छित व सही बदलाव शरीर में लाता है। यदि आप सुबह के समय सुस्ती या आलस्य महसूस करती हैं तो बहुत संभव है कि दिन भर आपकी कैलोरीज जलने की मात्रा बहुत कम होगी।
घातक है नाश्ता न करना
ब्रेकफास्ट न करने से शरीर में कैलोरीज का जमाव होता रहता है। कभी-कभी सुबह भूख न लगने के कारण नाश्ता करने की इच्छा नहीं होती और बहुत से लोग इसी वजह से नाश्ता नहीं करते। पर ऐसा करने से शरीर में मैटाबॉलिज्म धीमा होने के कारण कैलोरीज जलने के बजाय शरीर में जमा होती रहती हैं। कैलोरीज का जमा होना यानी चर्बी का बढ़ना। जो स्त्रियाँ खुद को फिट रखने की या पतला होने की इच्छा से ब्रेकफास्ट नहीं करतीं, दरअसल उनकी यह आदत उनके उद्देश्य की विपरीत दिशा में कार्य कर रही होती है।
यदि नाश्ता न करने के कारण या किसी अन्य वजह से आप शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं तो शरीर इस अवस्था को भूख से ग्रस्त स्थिति समझ लेता है। शरीर की ऊर्जा शरीर द्वारा अत्यंत कम मात्रा में ग्रहण की जाती है और इसका दुष्परिणाम यह होता है कि आपकी इच्छा वसायुक्त भोजन करने की होती है। अत: ब्रेकफास्ट न करने से जो कैलोरीज या शक्ति शरीर के अंदर नहीं गई थी, वह दोपहर के भोजन या लंच द्वारा दुगनी मात्रा में या उससे भी अधिक मात्रा में (वसायुक्त भोज्य पदार्थो के खाने से) शरीर में पहुँच जाती है। अत: डाइटिंग का असर शरीर के अनुकूल होने के बजाय प्रतिकूल होता है। इसके विपरीत, 'ब्रेकफास्ट में यदि आपने कम वसा वाला भोजन लिया है तथा मैटाबॉलिज्म को बढ़ाने वाले प्रोटीन से भरपूर चीजें खाई हैं, जैसे बिना मलाई वाला दूध, कम वसा वाली चीज या दही, तो लंच में बहुत ज्यादा खाने की इच्छा स्वत: ही खत्म हो जाएगी,' ऐसा कहना है डाइटीशियनस का....
शरीर के लिए जरूरी है
आहार विशेषज्ञों के अनुसार ब्रेकफास्ट करने का अर्थ है, शरीर को दिन भर गतिशील और आलस्य से दूर रखना, ताकि शरीर व मस्तिष्क द्वारा किए गए काम सुचारु रूप से किए जा सकें। यदि आप सुबह बे्रकफास्ट नहीं करती हैं तो शरीर को पर्याप्त ईधन नहीं मिलता और बार-बार कुछ न कुछ खाने की इच्छा उत्पन्न होती रहती है, जो आमतौर पर लोगों की आदत बन जाती है।
इस आदत के शिकार लोगों का स्वास्थ्य प्राय: ठीक नहीं रहता और वे अधिकांशत: ज्यादा वजन वाले होते हैं। जबकि दिन में तीन मुख्य भोजन बे्रकफास्ट, लंच व डिनर करने वाले व्यक्तियों का स्वास्थ्य सामान्य व अच्छा होता है। इन भोजनों के बीच कुछ तरल खाद्य पदार्थो का सेवन जैसे चाय, कॉफी, जूस आदि उतना हानि नहीं पहुँचाते, जितना स्नैक्स पहुँचाते हैं। यह भी सच है कि ब्रेकफास्ट में आपने क्या खाया है, इसका असर आपकी दिनचर्या पर भी पड़ता है। यदि आप ताजा और पौष्टिक नाश्ता करती हैं तो दिन भर आप स्वस्थ और स्फूर्ति से भरपूर रहेंगी। ऐसे में सुबह घर से निकलने से पहले पौष्टिक नाश्ता करना आवश्यक है। ब्रेकफास्ट करने वाले व्यक्तियों का वजन न करने वालों की अपेक्षा तो कम होता ही है, साथ ही रक्तचाप का स्तर भी ऐसे व्यक्तियों का सामान्य पाया गया है।
क्या कहती हैं आहार विशेषज्ञा
आहार विशेषज्ञ ब्रेकफास्ट करने की सलाह इसलिए देते हैं क्योंकि इससे दिन की शुरुआत स्फूर्तिमय होती है। शरीर की रासायनिक प्रक्रिया को भली-भांति समझते हुए ही डॉक्टरों व आहार विशेषज्ञों द्वारा ऐसी राय दी जाती है, 'लिवर या यकृत सुबह के वक्त अपनी शक्ति ईधन ग्लाइकोजन से लगभग 75 प्रतिशत वंचित रहता है। लिवर को यह ईधन ग्लूकोज से प्राप्त होता है। अपनी क्षतिपूर्ति के लिए लिवर यह ग्लूकोज मांसपेशियों के प्रोटीन से प्राप्त करना चाहता है। मांसपेशियों के प्रोटीन को बचाने के लिए जरूरी है कि सुबह शरीर में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा पहुंचा दी जाए, ताकि लिवर को ग्लाइकोजन मिल सके।
ऐसा करने से मस्तिष्क भी बेहतर काम करता है क्योंकि मस्तिष्क को जटिल कार्यो को करने में ग्लूकोज की आवश्यकता होती है। संक्षेप व सरल भाषा में यह कहा जा सकता है कि यदि ब्रेकफास्ट में कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन किया जाए तो आप दिन भर न थकान महसूस करेंगी और न ही सुस्ती। साथ ही एकाग्रचित्त होकर काम भी कर पाएंगी।'
क्या खाएं क्या नहीं
सुबह ब्रेकफास्ट करना अच्छा ही नहीं आवश्यक है, यह बात तो स्पष्ट हो जाती है, पर यह जानना भी जरूरी है कि ब्रेकफास्ट कैसा हो। हलका, पौष्टिक तथा संतुष्टिदायक ब्रेकफास्ट स्वास्थ्य के लिए सबसे अच्छा है। उत्तर भारत में प्रचलित व पसंदीदा नाश्ता परांठे, समोसे या तले हुए अन्य स्नैक्स होते हैं या फिर व्हाइट ब्रेड, उबले अंडे या बेकन, सैंडविच इत्यादि। डॉक्टरों की राय में दोनों ही प्रकार के नाश्ते स्वास्थ्य के लिए अच्छे नहीं हैं, क्योंकि इनमें तेल और चिकनाई की मात्रा अधिक होती है।
आदर्श ब्रेकफास्ट में ताजे फल, गेहूं का बे्रड या हलके वसायुक्त मक्खन वाले टोस्ट या मार्जरिन होते हैं। जैम के साथ टोस्ट, मलाई रहित दूध के साथ कोई भी सीरियल (कार्नफ्लेक्स आदि), ताजे फलों का रस, अंकुरित अनाज, उबले या पोच्ड अंडे और नारियल पानी होना चाहिए। यदि वजन को नियंत्रित करने के लिए आप ब्रेकफास्ट नहीं करतीं तो यह ठीक नहीं है। वजन कम करने वाले लोगों को भी ब्रेकफास्ट करना चाहिए, बस इस बात का ध्यान रखें, उसमें 10 ग्राम से अधिक वसा की मात्रा न हो। दिन में भोजन कम मात्रा में करें लेकिन ब्रेकफास्ट जरूरी है।
बेहतर होगा किसी डाइटीशियन या न्यूट्रीशनिस्ट की सलाह से ब्रेकफास्ट चार्ट तैयार करें जिससे हर भोजन से मिलने वाली कैलोरीज, वसा, प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट व खनिज पदार्थो की सही मात्रा आपको पता लग सके.......
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