Saturday, 4 April 2015

'चाणक्य' की मन की बात

By flipkart   Posted at  04:04   No comments

                                         'चाणक्य' की मन की बात







Quote 191: अपने स्वामी के स्वभाव को जानकार ही आश्रित कर्मचारी कार्य करते है।
Quote 192: गाय के स्वभाव को जानने वाला ही दूध का उपभोग करता है।
Quote 193: नीच व्यक्ति के सम्मुख रहस्य और अपने दिल की बात नहीं करनी चाहिए।
Quote 194: कोमल स्वभाव वाला व्यक्ति अपने आश्रितों से भी अपमानित होता है।
Quote 195: कठोर दंड से सभी लोग घृणा करते है।
Quote 196: राजा योग्य अर्थात उचित दंड देने वाला हो।
Quote 197: अगम्भीर विद्वान को संसार में सम्मान नहीं मिलता।
Quote 198: महाजन द्वारा अधिक धन संग्रह प्रजा को दुःख पहुँचाता है।
Quote 199: अत्यधिक भार उठाने वाला व्यक्ति जल्दी थक जाता है।
Quote 200: सभा के मध्य जो दूसरों के व्यक्तिगत दोष दिखाता है, वह स्वयं अपने दोष दिखाता है।
Quote 201: मुर्ख लोगों का क्रोध उन्हीं का नाश करता है।

Quote 202: सच्चे लोगो के लिए कुछ भी अप्राप्य नहीं।

Quote 203: केवल साहस से कार्य-सिद्धि संभव नहीं।

Quote 204: व्यसनी व्यक्ति लक्ष्य तक पहुँचने से पहले ही रुक जाता है।

Quote 205: असंशय की स्तिथि में विनाश से अच्छा तो संशय की स्तिथि में हुआ विनाश होता है।

Quote 206: दूसरे के धन पर भेदभाव रखना स्वार्थ है।

Quote 207: न्याय विपरीत पाया धन, धन नहीं है।

Quote 208: दान ही धर्म है।

Quote 209: अज्ञानी लोगों द्वारा प्रचारित बातों पर चलने से जीवन व्यर्थ हो जाता है।

Quote 210: न्याय ही धन है।

Quote 211: जो धर्म और अर्थ की वृद्धि नहीं करता वह  कामी है।

Quote 212: धर्मार्थ विरोधी कार्य करने वाला अशांति उत्पन्न करता है।

About flipkart

Nulla sagittis convallis arcu. Sed sed nunc. Curabitur consequat. Quisque metus enim, venenatis fermentum, mollis in, porta et, nibh. Duis vulputate elit in elit. Mauris dictum libero id justo.
View all posts by: flipkart

0 comments:

Connect with Us

What they says

Socials

Navigation

© 2014 PICVEND.COM. WP Mythemeshop converted by Bloggertheme9.
Powered by Blogger.
back to top