चाणक्य सूत्र
Quote 213: सीधे और सरल व्तक्ति दुर्लभता से मिलते है।
Quote 214: निकृष्ट उपायों से प्राप्त धन की अवहेलना करने वाला व्यक्ति ही साधू होता है।
Quote 215: बहुत से गुणों को एक ही दोष ग्रस लेता है।
Quote 216: महात्मा को पराए बल पर साहस नहीं करना चाहिए।
Quote 217: चरित्र का उल्लंघन कदापि नहीं करना चाहिए।
Quote 218: विश्वास की रक्षा प्राण से भी अधिक करनी चाहिए।
Quote 219: चुगलखोर श्रोता के पुत्र और पत्नी उसे त्याग देते है।
Quote 220: बच्चों की सार्थक बातें ग्रहण करनी चाहिए।
Quote 221: साधारण दोष देखकर महान गुणों को त्याज्य नहीं समझना चाहिए।
Quote 222: ज्ञानियों में भी दोष सुलभ है।
Quote 223: रत्न कभी खंडित नहीं होता। अर्थात विद्वान व्यक्ति में कोई साधारण दोष होने पर उस पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए।
Quote 224: मर्यादाओं का उल्लंघन करने वाले का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए।
Quote 225: शत्रु द्वारा किया गया स्नेहिल व्यवहार भी दोषयुक्त समझना चाहिए।
Quote 226: सज्जन की राय का उल्लंघन न करें।
Quote 227: गुणी व्यक्ति का आश्रय लेने से निर्गुणी भी गुणी हो जाता है।
Quote 228: दूध में मिला जल भी दूध बन जाता है।
Quote 229: मृतिका पिंड (मिट्टी का ढेला) भी फूलों की सुगंध देता है। अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवशय पड़ता है जैसे जिस मिटटी में फूल खिलते है उस मिट्टी से भी फूलों की सुगंध आने लगती है।
Quote 230: मुर्ख व्यक्ति उपकार करने वाले का भी अपकार करता है। इसके विपरीत जो इसके विरुद्ध आचरण करता है, वह विद्वान कहलाता है।
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