10 दशम भाव :
कुंडली के दसवें घर को भारतीय वैदिक ज्योतिष में कर्म स्थान अथवा कर्म भाव कहा जाता है तथा कुंडली का यह घर मुख्य रूप से कुंडली धारक के व्यवसाय के साथ जुड़े उतार-चढ़ाव तथा सफलता-असफलता को दर्शाता है। कोई व्यक्ति अपने व्यवसायिक क्षेत्र में कितनी सफलता या असफलता प्राप्त कर सकता है, यह सफलता या असफलता उसके जीवन के किन समयों में सबसे अधिक हो सकती है तथा यह सफलता या असफलता किस सीमा तक हो सकती है, इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए कुंडली के दसवें घर का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है। कुंडली में दसवें घर के बलवान होने से तथा इस घर पर एक या एक से अधिक शुभ ग्रहों का प्रभाव होने से कुंडली धारक को अपने व्यवसायिक जीवन में बड़ी सफलताएं मिलतीं हैं तथा उसका व्यवसायिक जीवन आम तौर पर बहुत सफल रहता है जबकि कुंडली के दसवें घर के बलहीन होने से तथा इस घर पर एक या एक से अधिक बुरे ग्रहों का प्रभाव होने से कुंडली धारक को आम तौर पर अपने व्यवसायिक जीवन में अधिक सफलता नहीं मिल पाती तथा उसका अधिकतर जीवन व्यवसायिक संघर्ष में ही बीत जाता है।
कुंडली का दसवां घर कुंडली धारक को अपने जीवन में प्राप्त होने वाले यश या अपयश के बारे में भी बताता है तथा विशेष रूप से अपने व्यवसाय के कारण मिलने वाले यश या अपयश के बारे में। कुंडली धारक को मिलने वाले इस यश या अपयश की सीमा तथा समय निश्चित करने के लिए उसकी जन्म कुंडली में कुंडली के दसवें घर पर अच्छे या बुरे ग्रहों के प्रभाव को भली-भांति समझना अति आवश्यक है। उदाहरण के लिए किसी कुंडली में दसवें घर पर शुभ तथा बलवान सूर्य का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को किसी उच्च सरकारी पद पर बिठा सकता है जबकि किसी कुंडली में दसवें घर पर अशुभ तथा बलवान शनि अथवा राहु का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को गैर-कानूनी व्यसायों में संलिप्त करवा सकता है जिसके कारण कुंडली धारक की बहुत बदनामी हो सकती है।
कुंडली का दसवां घर कुंडली धारक की महत्त्वाकांक्षाओं के बारे में भी बताता है तथा कुंडली के अन्य तथ्यों पर विचार करने के बाद इन महत्त्वाकांक्षाओं के पूरे होने या न होने का पता भी चल सकता है। कुंडली धारक के अपनी संतान के साथ संबंध तथा संतान से मिलने वाला सुख अथवा दुख देखने के लिए भी कुंडली के इस घर पर विचार करना आवश्यक है।
कुंडली के दसवें घर को भारतीय वैदिक ज्योतिष में कर्म स्थान अथवा कर्म भाव कहा जाता है तथा कुंडली का यह घर मुख्य रूप से कुंडली धारक के व्यवसाय के साथ जुड़े उतार-चढ़ाव तथा सफलता-असफलता को दर्शाता है। कोई व्यक्ति अपने व्यवसायिक क्षेत्र में कितनी सफलता या असफलता प्राप्त कर सकता है, यह सफलता या असफलता उसके जीवन के किन समयों में सबसे अधिक हो सकती है तथा यह सफलता या असफलता किस सीमा तक हो सकती है, इन सभी प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए कुंडली के दसवें घर का ध्यानपूर्वक अध्ययन करना आवश्यक है। कुंडली में दसवें घर के बलवान होने से तथा इस घर पर एक या एक से अधिक शुभ ग्रहों का प्रभाव होने से कुंडली धारक को अपने व्यवसायिक जीवन में बड़ी सफलताएं मिलतीं हैं तथा उसका व्यवसायिक जीवन आम तौर पर बहुत सफल रहता है जबकि कुंडली के दसवें घर के बलहीन होने से तथा इस घर पर एक या एक से अधिक बुरे ग्रहों का प्रभाव होने से कुंडली धारक को आम तौर पर अपने व्यवसायिक जीवन में अधिक सफलता नहीं मिल पाती तथा उसका अधिकतर जीवन व्यवसायिक संघर्ष में ही बीत जाता है।
कुंडली का दसवां घर कुंडली धारक को अपने जीवन में प्राप्त होने वाले यश या अपयश के बारे में भी बताता है तथा विशेष रूप से अपने व्यवसाय के कारण मिलने वाले यश या अपयश के बारे में। कुंडली धारक को मिलने वाले इस यश या अपयश की सीमा तथा समय निश्चित करने के लिए उसकी जन्म कुंडली में कुंडली के दसवें घर पर अच्छे या बुरे ग्रहों के प्रभाव को भली-भांति समझना अति आवश्यक है। उदाहरण के लिए किसी कुंडली में दसवें घर पर शुभ तथा बलवान सूर्य का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को किसी उच्च सरकारी पद पर बिठा सकता है जबकि किसी कुंडली में दसवें घर पर अशुभ तथा बलवान शनि अथवा राहु का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को गैर-कानूनी व्यसायों में संलिप्त करवा सकता है जिसके कारण कुंडली धारक की बहुत बदनामी हो सकती है।
कुंडली का दसवां घर कुंडली धारक की महत्त्वाकांक्षाओं के बारे में भी बताता है तथा कुंडली के अन्य तथ्यों पर विचार करने के बाद इन महत्त्वाकांक्षाओं के पूरे होने या न होने का पता भी चल सकता है। कुंडली धारक के अपनी संतान के साथ संबंध तथा संतान से मिलने वाला सुख अथवा दुख देखने के लिए भी कुंडली के इस घर पर विचार करना आवश्यक है।
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