सौरमंडल का जन्म
सूर्य तथा उसके चारों ओर घुमने वाले आकाशीय पिंडों के समूह को सौर-परिवार कहते हैं l सूरज के परिवार में पृथ्वी सहित नौ ग्रह हैं l इन ग्रहों में से छ: के अपने उपग्रह हैं l इनके अतिरिक्त 1500 छोटे-छोटे ग्रह, पुच्छल तारे, उल्काएं आदि भी सौर-परिवार के सदस्य हैं सूर्य अपने इस परिवार संहित अन्तरिक्ष की परिक्रमा करता रहता है l ये सभी ग्रह सूर्य के गुरुत्वाकर्षण के कारण उसकी परिक्रमा करते रहते हैं l क्या आप जानते है कि सौर-परिवार का जन्म कैसे हुआ ?
सौर-परिवार के सदस्यों का अध्ययन करने से पता चला है कि सभी पिंड सूरज के चारों और एक ही दिशा में गति करते रहते हैं l इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि सौर-परिवार की उत्पत्ति एक ही प्रकार से हुई है l सौर-परिवार की उत्पत्ति के विषय में अब तक दो सिद्धांत प्रचलित हुए हैं l एक सिद्धांत के अनुसार अब से अरबों वर्ष पहले कोई तारा सूर्य के बहुत पास से गुजरा और उससे टकरा गया l इसके फलस्वरूप सूर्य का कुछ हिस्सा इससे टूटकर अलग हो गया और तेज़ी से सूर्य का चक्कर लगाने लगा l इस पदार्थ के कई टुकड़े हो गए, जिन्होंने बाद में नौ ग्रहों का रूप ले लिया l
दूसरे सिद्धांत के अनुसार-परिवार का जन्म गैस व धूल के एक बहुत बड़े बादल से हुआ है l अरबों वर्ष पहले सौर-परिवार गैस व धूल के बादलों के रूप में था l गुरुत्वाकर्षण बल के अंतर्गत गैस व धूल के परमाणु लाखों वर्षों में पास-पास आने लगे l जैसे-जैसे समय बीतता गया ; यह बादल एक तबे के रूप में परिवर्तित होता गया और अपनी धुरी का चक्कर लगाने लगा l कालांतर में इस तवे के कई भाग हो गए l कुछ पदार्थ का 90% भाग इस चक्की के केंद्र में इकट्ठा हो गया और शेष 10% छल्लों में बंटकर बिच वाले गोले का चक्कर काटने लगा l यही बीच वाला गोला आगे चलकर सूर्य बना और शेष छल्ले में बंटकर बीच वाले गोले का चक्कर काटने लगा l यही बीच वाला गोला आगे चलकर सूर्य बना और शेष छल्ले ग्रहों में बदल गए l गुरुत्वाकर्षण बल के अंतर्गत यह गोला सिकुड़ता गया और सिकुड़ने के कारण यह छोटा और गर्म होता गया l इसके फलस्वरूप इसमें ताप नाभिकीय क्रियाएं (Nuclear Fusion) शुरू हो गई l इन कियाओं के परिणामस्वरूप सूरज से गर्मी और प्रकाश निकलने लगा और सारा सौरमंडल इसकी रौशनी से चमक उठा l अब तक सूर्य पृथ्वी सहित इन ग्रहों को अपना प्रकाश दे रहा है l इस सिद्धांत को मूल रूप में सन् 1796 में फ़्रांस के गणितज्ञ पियारे साइमन लेपलास (Pierre Simon Laplace) ने दिया था l इसके बाद इस सिद्धांत में कई संशोधन किए गए हैं आज सौर-परिवार की उत्पत्ति के विषय में इसी सिद्धांत को मान्यता दी जाती है l ............
सौर-परिवार के सदस्यों का अध्ययन करने से पता चला है कि सभी पिंड सूरज के चारों और एक ही दिशा में गति करते रहते हैं l इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि सौर-परिवार की उत्पत्ति एक ही प्रकार से हुई है l सौर-परिवार की उत्पत्ति के विषय में अब तक दो सिद्धांत प्रचलित हुए हैं l एक सिद्धांत के अनुसार अब से अरबों वर्ष पहले कोई तारा सूर्य के बहुत पास से गुजरा और उससे टकरा गया l इसके फलस्वरूप सूर्य का कुछ हिस्सा इससे टूटकर अलग हो गया और तेज़ी से सूर्य का चक्कर लगाने लगा l इस पदार्थ के कई टुकड़े हो गए, जिन्होंने बाद में नौ ग्रहों का रूप ले लिया l
दूसरे सिद्धांत के अनुसार-परिवार का जन्म गैस व धूल के एक बहुत बड़े बादल से हुआ है l अरबों वर्ष पहले सौर-परिवार गैस व धूल के बादलों के रूप में था l गुरुत्वाकर्षण बल के अंतर्गत गैस व धूल के परमाणु लाखों वर्षों में पास-पास आने लगे l जैसे-जैसे समय बीतता गया ; यह बादल एक तबे के रूप में परिवर्तित होता गया और अपनी धुरी का चक्कर लगाने लगा l कालांतर में इस तवे के कई भाग हो गए l कुछ पदार्थ का 90% भाग इस चक्की के केंद्र में इकट्ठा हो गया और शेष 10% छल्लों में बंटकर बिच वाले गोले का चक्कर काटने लगा l यही बीच वाला गोला आगे चलकर सूर्य बना और शेष छल्ले में बंटकर बीच वाले गोले का चक्कर काटने लगा l यही बीच वाला गोला आगे चलकर सूर्य बना और शेष छल्ले ग्रहों में बदल गए l गुरुत्वाकर्षण बल के अंतर्गत यह गोला सिकुड़ता गया और सिकुड़ने के कारण यह छोटा और गर्म होता गया l इसके फलस्वरूप इसमें ताप नाभिकीय क्रियाएं (Nuclear Fusion) शुरू हो गई l इन कियाओं के परिणामस्वरूप सूरज से गर्मी और प्रकाश निकलने लगा और सारा सौरमंडल इसकी रौशनी से चमक उठा l अब तक सूर्य पृथ्वी सहित इन ग्रहों को अपना प्रकाश दे रहा है l इस सिद्धांत को मूल रूप में सन् 1796 में फ़्रांस के गणितज्ञ पियारे साइमन लेपलास (Pierre Simon Laplace) ने दिया था l इसके बाद इस सिद्धांत में कई संशोधन किए गए हैं आज सौर-परिवार की उत्पत्ति के विषय में इसी सिद्धांत को मान्यता दी जाती है l ............
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