Thursday, 7 May 2015

जानिए महाभारत में कौन किसका अवतार था

By flipkart   Posted at  23:17   ASTROLOGY No comments


भारत का प्राचीन इतिहास ग्रंथ 'महाभारत' कई रहस्यों से भरा हुआ है। इसका प्रत्येक पात्र अपने आप में एक रहस्य है। महाभारत को ‘पंचम वेद’ कहा गया है। यह ग्रंथ हमारे देश के मन-प्राण में बसा हुआ है। यह भारत की राष्ट्रीय गाथा है। इस ग्रंथ में तत्कालीन भारत (आर्यावर्त) का समग्र इतिहास वर्णित है। अपने आदर्श स्त्री-पुरुषों के चरित्रों से हमारे देश के जनजीवन को यह प्रभावित करता रहा है। इसमें सैकड़ों पात्रों, स्थानों, घटनाओं तथा विचित्रताओं व विडंबनाओं का वर्णन है। प्रत्येक हिन्दू के घर में महाभारत होना चाहिए।

महाभारत में जितने भी प्रमुख पात्र थे वे सभी देवता, गंधर्व, यक्ष, रुद्र, वसु, अप्सरा, राक्षस तथा ऋषियों के अंशावतार थे। उनमें से शायद ही कोई सामान्य मनुष्य रहा हो। महाभारत के आदिपर्व में इसका विस्तृत वर्णन किया गया है। आओ जानते हैं कि कौन किसका अवतार था।

भगवान श्रीकृष्ण : 64 कला और अष्ट सिद्धियों के पूर्ण श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। माना जाता है कि वे अपने पिछले जन्म में मनु थे।

बलराम : महाबली बलराम शेषनाग के अंश थे। जब कंस ने देवकी-वसुदेव के 6 पुत्रों को मार डाला, तब देवकी के गर्भ में भगवान बलराम पधारे। योगमाया ने उन्हें आकर्षित करके नंद बाबा के यहां निवास कर रही श्रीरोहिणीजी के गर्भ में पहुंचा दिया इसलिए उनका एक नाम संकर्षण पड़ा। बलवानों में श्रेष्ठ होने के कारण उन्हें बलभद्र भी कहा जाता है। कृष्ण के बड़े भाई होने के कारण उन्हें 'दाऊजी' कहा जाता है। बलरामजी का विवाह रेवती से हुआ था। महाभारत युद्ध में बलराम तटस्थ होकर तीर्थयात्रा के लिए चले गए। यदुवंश के संहार के बाद उन्होंने समुद्र तट पर आसन लगाकर अपनी लीला का अंत कर लिया था। उनके शौर्य की गाथाएं अनेक हैं।

भीष्म : कृष्ण के बाद भीष्म का नंबर आता है, जो महाभारत के प्रमुखों में से एक थे। 'द्यु' नामक वसु ने ही भीष्म के रूप में जन्म लिया था। वसिष्ठ ऋषि के शाप व इंद्र की आज्ञा से आठों वसुओं को शांतनु-गंगा से उत्पन्न होना पड़ा। 7 को तो गंगा ने नदी में बहा दिया जबकि 8वें वसु 'द्यु' जिंदा रह गए वहीं भीष्म थे जिनका प्रारंभिक नाम 'देवव्रत' था।

द्रोणाचार्य : भीष्म के बाद द्रोणाचार्य को सबसे अहम माना जाता है। देवगुरु बृहस्पति ने ही द्रोणाचार्य के रूप में जन्म लिया था।

अश्वत्थामा : उपरोक्त के बाद अश्‍वत्थामा सबसे अहम है। गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे अश्‍वत्थामा। पिता- पुत्र की जोड़ी ने मिलकर महाभारत में कोहराम मचा दिया था। अश्‍वत्थामा को महादेव, यम, काल और क्रोध के सम्मिलित अंश से उत्पन्न किया गया था।

कर्ण : देवताओं में सबसे प्रमुख सूर्यदेव के पुत्र थे कर्ण। कर्ण सूर्य के अंशावतार थे। कर्ण के बारे में सभी जानते हैं कि वे सूर्य-कुंती पुत्र थे। उनके पालक माता-पिता का नाम अधिरथ और राधा था। उनके गुरु परशुराम और मित्र दुर्योधन थे। हस्तिनापुर में ही कर्ण का लालन-पालन हुआ। उन्होंने अंगदेश के राजसिंहासन का भार संभाला था। जरासंध को हराने के कारण उनको चंपा नगरी का राजा बना दिया गया था।

दुर्योधन : दुर्योधन कलियुग का तथा उसके 100 भाई पुलस्त्य वंश के राक्षस के अंश थे। दुर्योधन हस्तिनापुर के महाराज धृतराष्ट्र और गांधारी के 100 पुत्रों में सबसे बड़ा पुत्र था। वेद व्यास के वरदान से ही गांधारी के 100 पुत्रों का जन्म हुआ था। दुर्योधन के असंख्य कुकृत्य के कारण अंततोगत्वा कौरव और पांडवों में युद्ध आरंभ हो गया। दुर्योधन गदा युद्ध में पारंगत था और श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का शिष्य था। दुर्योधन ने कर्ण को अपना मित्र बनाया था। गांधारी द्वारा देखे जाने से उसका शरीर वज्र के समान हो गया था लेकिन कृष्ण के छल के कारण उसके गुप्तांग का स्थान कठोर नहीं हो पाया जिसके चलते महाभारत युद्ध में भीम ने दुर्योधन को उसकी जंघा से पकड़कर उसके दो फाड़ कर दिया और इस तरह दुर्योधन मारा गया।

अर्जुन : इनके धर्मपिता पांडु थे, लेकिन असल में वे इन्द्र-कुंती के पुत्र थे। देवराज इन्द्र ने अर्जुन को बचाने के लिए कर्ण के कवच और कुंडल उनसे छल द्वारा छीन लिए थे। देवराज इन्द्र एक ब्राह्मण के वेश में पहुंच गए कर्ण के द्वार और उनसे दान मांग लिया।

भीम : भीम को पवनपुत्र कहा जाता है। हनुमानजी भी पवनपुत्र ही थे। कहते हैं कि भीम में 10 हजार हाथियों का बल था। भीम ने बलराम से गदा युद्ध सीखा था। भीम ने ही दुर्योधन और दुःशासन सहित गांधारी के 100 पुत्रों को मारा था। द्रौपदी के अलावा भीम की पत्नी का नाम हिडिंबा था जिससे भीम का परमवीर पुत्र घटोत्कच पैदा हुआ था। घटोत्कच ने ही इन्द्र द्वारा कर्ण को दी गई अमोघ शक्ति को अपने ऊपर चलवाकर अर्जुन के प्राणों की रक्षा की थी।

युधिष्ठिर : युधिष्ठिर धर्मराज-कुंती के पुत्र थे। युधिष्ठिर के धर्मपिता पांडु थे और वे 5 पांडवों में से सबसे बड़े भाई थे। वे सत्यवादिता एवं धार्मिक आचरण के लिए विख्यात थे। अनेकानेक धर्म संबंधी प्रश्न एवं उनके उत्तर युधिष्ठिर के मुख से महाभारत में कहलाए गए हैं। उनके पिता धर्मराज ने यक्ष बनकर सरोवर पर उनकी परीक्षा भी ली थी। द्रौपदी के अलावा उनकी देविका नामक एक और पत्नी थी। द्रौपदी से प्रतिविंध्य और देविका से धौधेय नामक उनके 2 पुत्र थे। ये सशरीर स्वर्गारोहण कर गए थे।

नकुल व सहदेव : ये 33 देवताओं में से 2 अश्विनीकुमारों के अंश से उत्पन्न हुए थे। ये 2 अश्‍विनी कुमार थे- 1. नासत्य और 2. दस्त्र। सहदेव त्रिकालदर्शी था। उसने महाभारत युद्ध के होने और इसके परिणाम की घटनाओं को पहले से ही जान लिया था लेकिन श्रीकृष्ण ने उसे इस घटना को किसी को भी बताने से इंकार कर दिया था।

कृपाचार्य : रुद्र के एक गण ने कृपाचार्य के रूप में अवतार लिया।
शकुनि : द्वापर युग के अंश से शकुनि का जन्म हुआ।

धृतराष्ट्र और पांडु : अरिष्टा के पुत्र हंस नामक गंधर्व धृतराष्ट्र तथा उसका छोटा भाई पाण्डु के रूप में जन्मे।

विदुर : सूर्य के अंश धर्म ही विदुर के नाम से प्रसिद्ध हुए।

कुंती-माद्री : कुंती और माद्री के रूप में सिद्धि और धृतिका का जन्म हुआ था।

गांधारी : मति का जन्म राजा सुबल की पुत्री गांधारी के रूप में हुआ था।

रुक्मणी-द्रौपदी : राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणी के रूप में लक्ष्मीजी व द्रौपदी के रूप में इंद्राणी उत्पन्न हुई थीं।

अभिमन्यु चंद्रमा के पुत्र वर्चा का अंश था। मरुतगण के अंश से सात्यकि, द्रुपद, कृतवर्मा व विराट का जन्म हुआ था। अग्नि के अंश से धृष्टधुम्न व राक्षस के अंश से शिखंडी का जन्म हुआ था।

विश्वदेवगण द्रौपदी के पांचों पुत्र प्रतिविन्ध्य, सुतसोम, श्रुतकीर्ति, शतानीक और श्रुतसेव के रूप में पैदा हुए थे।

दानवराज विप्रचित्ति जरासंध व हिरण्यकशिपु शिशुपाल का अंश था।

कालनेमि दैत्य ने ही कंस का रूप धारण किया था।

इंद्र की आज्ञानुसार अप्सराओं के अंश से 16 हजार स्त्रियां उत्पन्न हुई थीं।

About flipkart

Nulla sagittis convallis arcu. Sed sed nunc. Curabitur consequat. Quisque metus enim, venenatis fermentum, mollis in, porta et, nibh. Duis vulputate elit in elit. Mauris dictum libero id justo.
View all posts by: flipkart

0 comments:

Connect with Us

What they says

Socials

Navigation

© 2014 PICVEND.COM. WP Mythemeshop converted by Bloggertheme9.
Powered by Blogger.
back to top