पारद शिवलिंग स्वयम शिव स्वरूप
मृद : कोटी गुणम सुवर्णम स्वर्णात्मकम गुणम मणि माणे:कोती गुणम बाणो,
बाणात्कोटी गुणम रस :रसातपरतरं लिंगो नभूतो न भविष्यति "
महादेव महादेव महादेव .... हर कंकर मे शंकर ... देवधिदेव महादेव की शास्त्रो पुराणो मे अनेक ों विविध भाव पुजा का निर्देश मिलता हे| यहा रस से बने पारद लिंग की महिमा बताई गयी हे |
मिट्टी से बने पाथेस्वर की पुजा से करोड़ गुना फल सोने से निर्मित शिवलिंग की पुजा से मिलता हे |सुवर्ण से निर्मित लिंग से करोड़ गुना ज्यादा फल मणि से निर्मित लिंग से ... मणि से करोड़ गुना बाणलिंग की पुजा से ...ओर बाणलिंग की पुजा से करोड़ गुना ज्यादा फल रसलिंग याने परे से निर्मित पारदशिवलिंग की पुजा से मिलता हे |
सभी शिवलिंगों मे नर्मदा नदी से स्वयंभू निर्मित नर्मदेस्वर की महिमा भी अनन्य मानी गयी हे |
पारद को रसराज कहा जाता है। पारद से बने शिवलिंग की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का ही रूप है इसलिए इसकी पूजा विधि-विधान से करने से कई गुना फल प्राप्त होता है तथा हर मनोकामना पूरी होती है। इसे घर में स्थापित करने से भी कई लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं|
लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्।
तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत्।।
ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।
तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात्।।
पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से मुक्ति प्राप्त होती है।पारद की उत्पत्ति भगवान शंकर के वीर्य से हुई मानी जाती है इसीलिए धर्मशास्त्रों में इसे साक्षात शिव माना गया है। शुद्ध पारद संस्कार द्वारा बंधन करके जिस देवी-देवता की प्रतिमा बनाई जाती है, वह स्वयं सिद्ध होती है।
पारदलिंग का दर्शन महापुण्य दाता है। इसके दर्शन से सैकड़ों अश्वमेध यज्ञों का फल मिलता है। जिस घर में पारद शिवलिंग की नियमित पूजन होता है, वहां सभी प्रकार के लौकिक और पारलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है। किसी भी प्रकार की कमी उस घर में नहीं होती, क्योंकि वहां लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा वहां का वास्तुदोष भी समाप्त हो जाता है। प्रत्येक सोमवार को पारद शिवलिंग का अभिषेक-पूजन करने से तांत्रिक प्रयोग नष्ट हो जाते हैं।
- पारद शिवलिंग को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता है।
- पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसलिए इसे घर में स्थापित कर प्रतिदिन पूजन करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है।
- यदि किसी को पितृदोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है।
- अगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है।
गरूड़ पुराण में पारद शिवलिंग को ऎश्वर्यदायक कहा है। इसकी पूजा करने से धन, असीम ज्ञान व ऎश्वर्य प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यतानुसार रावण ने भी पारद शिवलिंग के निर्माण एवं उसकी पूजा उपासना कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। पारद शिवलिंग का निर्माण विशेष मुहूर्त में किया जाता है। श्रावण मास में पारद शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा करके घर पर नित्य पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
‘‘स्वर्णग्रासयुक्त पारदेश्वर शिवलिंग’’ की स्थापना घर के ईशान कोण (पूर्व तथा उत्तर के मध्य) में ही करें तथा पारदेश्वरी लक्ष्मी प्रतिमा की स्थापना आग्नेय कोण (दक्षिण पूर्व के मध्य) में ही करें।
मंत्र – ‘ऊ हृीं तेजसे श्रीं कामसे क्रीं पूर्णत्व सिद्धिं देहि पारदेश्वराय क्रीं श्रीं हृीं ऊँ।।’यथा शक्ति इस दिवि मंत्र का जाप करे |
आप भी यथा उचित शिवलिंग से करे सारी मनिकामनाओ की पूर्ति ..... हर हर महादेव .... जय हो.
बाणात्कोटी गुणम रस :रसातपरतरं लिंगो नभूतो न भविष्यति "
महादेव महादेव महादेव .... हर कंकर मे शंकर ... देवधिदेव महादेव की शास्त्रो पुराणो मे अनेक ों विविध भाव पुजा का निर्देश मिलता हे| यहा रस से बने पारद लिंग की महिमा बताई गयी हे |
मिट्टी से बने पाथेस्वर की पुजा से करोड़ गुना फल सोने से निर्मित शिवलिंग की पुजा से मिलता हे |सुवर्ण से निर्मित लिंग से करोड़ गुना ज्यादा फल मणि से निर्मित लिंग से ... मणि से करोड़ गुना बाणलिंग की पुजा से ...ओर बाणलिंग की पुजा से करोड़ गुना ज्यादा फल रसलिंग याने परे से निर्मित पारदशिवलिंग की पुजा से मिलता हे |
सभी शिवलिंगों मे नर्मदा नदी से स्वयंभू निर्मित नर्मदेस्वर की महिमा भी अनन्य मानी गयी हे |
पारद को रसराज कहा जाता है। पारद से बने शिवलिंग की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। धर्मशास्त्रों के अनुसार पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का ही रूप है इसलिए इसकी पूजा विधि-विधान से करने से कई गुना फल प्राप्त होता है तथा हर मनोकामना पूरी होती है। इसे घर में स्थापित करने से भी कई लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं|
लिंगकोटिसहस्त्रस्य यत्फलं सम्यगर्चनात्।
तत्फलं कोटिगुणितं रसलिंगार्चनाद् भवेत्।।
ब्रह्महत्या सहस्त्राणि गौहत्याया: शतानि च।
तत्क्षणद्विलयं यान्ति रसलिंगस्य दर्शनात्।।
पारद शिवलिंग के स्पर्श मात्र से मुक्ति प्राप्त होती है।पारद की उत्पत्ति भगवान शंकर के वीर्य से हुई मानी जाती है इसीलिए धर्मशास्त्रों में इसे साक्षात शिव माना गया है। शुद्ध पारद संस्कार द्वारा बंधन करके जिस देवी-देवता की प्रतिमा बनाई जाती है, वह स्वयं सिद्ध होती है।
पारदलिंग का दर्शन महापुण्य दाता है। इसके दर्शन से सैकड़ों अश्वमेध यज्ञों का फल मिलता है। जिस घर में पारद शिवलिंग की नियमित पूजन होता है, वहां सभी प्रकार के लौकिक और पारलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है। किसी भी प्रकार की कमी उस घर में नहीं होती, क्योंकि वहां लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा वहां का वास्तुदोष भी समाप्त हो जाता है। प्रत्येक सोमवार को पारद शिवलिंग का अभिषेक-पूजन करने से तांत्रिक प्रयोग नष्ट हो जाते हैं।
- पारद शिवलिंग को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता है।
- पारद शिवलिंग साक्षात भगवान शिव का स्वरूप माना गया है। इसलिए इसे घर में स्थापित कर प्रतिदिन पूजन करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है।
- यदि किसी को पितृदोष हो तो उसे प्रतिदिन पारद शिवलिंग की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है।
- अगर घर का कोई सदस्य बीमार हो जाए तो उसे पारद शिवलिंग पर अभिषेक किया हुआ पानी पिलाने से वह ठीक होने लगता है।
गरूड़ पुराण में पारद शिवलिंग को ऎश्वर्यदायक कहा है। इसकी पूजा करने से धन, असीम ज्ञान व ऎश्वर्य प्राप्त होता है। पौराणिक मान्यतानुसार रावण ने भी पारद शिवलिंग के निर्माण एवं उसकी पूजा उपासना कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था। पारद शिवलिंग का निर्माण विशेष मुहूर्त में किया जाता है। श्रावण मास में पारद शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा करके घर पर नित्य पूजा करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
‘‘स्वर्णग्रासयुक्त पारदेश्वर शिवलिंग’’ की स्थापना घर के ईशान कोण (पूर्व तथा उत्तर के मध्य) में ही करें तथा पारदेश्वरी लक्ष्मी प्रतिमा की स्थापना आग्नेय कोण (दक्षिण पूर्व के मध्य) में ही करें।
मंत्र – ‘ऊ हृीं तेजसे श्रीं कामसे क्रीं पूर्णत्व सिद्धिं देहि पारदेश्वराय क्रीं श्रीं हृीं ऊँ।।’यथा शक्ति इस दिवि मंत्र का जाप करे |
आप भी यथा उचित शिवलिंग से करे सारी मनिकामनाओ की पूर्ति ..... हर हर महादेव .... जय हो.
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