पढ़िए खास चाणक्य नीतियां -
Quote 61: प्रकृति (सहज) रूप से प्रजा के संपन्न होने से नेताविहीन राज्य भी संचालित होता रहता है।
Quote 62: वृद्धजन की सेवा ही विनय का आधार है।
Quote 63: वृद्ध सेवा अर्थात ज्ञानियों की सेवा से ही ज्ञान प्राप्त होता है।
Quote 64: ज्ञान से राजा अपनी आत्मा का परिष्कार करता है, सम्पादन करता है।
Quote 65: आत्मविजयी सभी प्रकार की संपत्ति एकत्र करने में समर्थ होता है।
Quote 66: जहां लक्ष्मी (धन) का निवास होता है, वहां सहज ही सुख-सम्पदा आ जुड़ती है।
Quote 67: इन्द्रियों पर विजय का आधार विनर्मता है।
Quote 68: प्रकर्ति का कोप सभी कोपों से बड़ा होता है।
Quote 69: शासक को स्वयं योगय बनकर योगय प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।
Quote 70: योग्य सहायकों के बिना निर्णय करना बड़ा कठिन होता है।
Quote 71: एक अकेला पहिया नहीं चला करता।
Quote 72: सुख और दुःख में सामान रूप से सहायक होना चाहिए।
Quote 73: स्वाभिमानी व्यक्ति प्रतिकूल विचारों कोसम्मुख रखकर दुबारा उन पर विचार करे।
Quote 74: अविनीत व्यक्ति को स्नेही होने पर भी मंत्रणा में नहीं रखना चाहिए।
Quote 75: शासक को स्वयं योग्य बनकर योग्य प्रशासकों की सहायता से शासन करना चाहिए।
Quote 76: सुख और दुःख में समान रूप से सहायक होना चाहिए।
Quote 77: स्वाभिमानी व्यक्ति प्रतिकूल विचारों को सम्मुख रखकर दोबारा उन पर विचार करे।
Quote 78: अविनीत व्यक्ति को स्नेही होने पर भी अपनी मंत्रणा में नहीं रखना चाहिए।
Quote 79: ज्ञानी और छल-कपट से रहित शुद्ध मन वाले व्यक्ति को ही मंत्री बनाए।
Quote 80: समस्त कार्य पूर्व मंत्रणा से करने चाहिए।
0 comments: