चाणक्य जीवन गाथा
Quote 81: विचार अथवा मंत्रणा को गुप्त न रखने पर कार्य नष्ट हो जाता है।
Quote 82: लापरवाही अथवा आलस्य से भेद खुल जाता है।
Quote 83: सभी मार्गों से मंत्रणा की रक्षा करनी चाहिए।
Quote 84: मन्त्रणा की सम्पति से ही राज्य का विकास होता है।
Quote 85: मंत्रणा की गोपनीयता को सर्वोत्तम माना गया है।
Quote 86: भविष्य के अन्धकार में छिपे कार्य के लिए श्रेष्ठ मंत्रणा दीपक के समान प्रकाश देने वाली है।
Quote 87: मंत्रणा के समय कर्त्तव्य पालन में कभी ईर्ष्या नहीं करनी चाहिए।
Quote 88: मंत्रणा रूप आँखों से शत्रु के छिद्रों अर्थात उसकी कमजोरियों को देखा-परखा जाता है।
Quote 89: राजा, गुप्तचर और मंत्री तीनो का एक मत होना किसी भी मंत्रणा की सफलता है।
Quote 90: कार्य-अकार्य के तत्वदर्शी ही मंत्री होने चाहिए।
Quote 91: छः कानो में पड़ने से (तीसरे व्यक्ति को पता पड़ने से) मंत्रणा का भेद खुल जाता है।
Quote 92: अप्राप्त लाभ आदि राज्यतंत्र के चार आधार है।
Quote 93: आलसी राजा अप्राप्त लाभ को प्राप्त नहीं करता।
Quote 94: आलसी राजा प्राप्त वास्तु की रक्षा करने में असमर्थ होता है।
Quote 95: आलसी राजा अपने विवेक की रक्षा नहीं कर सकता।
Quote 96: आलसी राजा की प्रशंसा उसके सेवक भी नहीं करते।
Quote 97: शक्तिशाली राजा लाभ को प्राप्त करने का प्रयत्न करता है।
Quote 98: राज्यतंत्र को ही नीतिशास्त्र कहते है।
Quote 99: राज्यतंत्र से संबंधित घरेलु और बाह्य, दोनों कर्तव्यों को राजतंत्र का अंग कहा जाता है।
Quote 100: राज्य नीति का संबंध केवल अपने राज्य को सम्रद्धि प्रदान करने वाले मामलो से होता है।
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